अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले रिंकू सिंह रविवार की रात के बाद से सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं. रिंकू सिंह आईपीएल 2023 की कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के सदस्य हैं और रविवार के मैच में उन्होंने रिकॉर्ड तोड़ पारी खेली. मैच के अंतिम ओवर में लगातार पांच छक्के जड़कर रिंकू ने गुजरात टाईटन्स की झोली से जीत को छीनकर केकेआर की झोली में डाल दिया था. इसके बाद रिंकू सिंह को ट्विटर पर बड़े-बड़े लोगों ने बधाई दी.
शाहरुख खान ने दी बधाईः बधाई देने वालों में शाहरुख खान, अर्जुन रामपाल, रणवीर सिंह, वीरेंद्र सहवाग, ब्रैंडन मैकुलम जैसे दिग्गज शामिल हैं. कोलकाता की जीत के बाद एक चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने पारिवारिक स्थिति की बात खोल कर रख दी. बताया कि शुरुआत में कोचिंग सेंटर पर झाड़ू पोछा लगाने का काम मिला था. जिसे उसने मना कर दिया. वह काम अच्छा नहीं लगा. वहां से फिर क्रिकेट को कैरियर के रूप में चुना. क्योंकि, पढ़ाई में मन नहीं लगता था.
पांच भाई-बहन हैं रिंकू सिंहः रिंकू जानते थे कि क्रिकेट ही है जो उन्हें आगे ले जाएगा. कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था. रिंकू सिंह ने बताया कि बहुत मेहनत की है और वही मेहनत रंग लाई है. उन्होंने बताया कि वह पांच भाई-बहन हैं. पहले पड़ोस के लोगों के साथ क्रिकेट खेलना शुरू किया. अलीगढ़ के मॉडर्न कान्वेंट में पढ़ते थे. दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलते थे. फिर जादौन राइडर क्लब में खेलना शुरू किया.
जिंदगी के पहले मैच में बनाए थे 54 रनः इंटर स्कूल टूर्नामेंट में लेदर बॉल से पहला मैच खेला. सबसे पहले 54 रन नॉट आउट बनाए. वहीं से क्रिकेट स्टार्ट हो गया. स्कूल के समय में पैसे नहीं होते थे, एक बाल खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं होते थे. तो सरकारी स्टेडियम में प्रैक्टिस करने के लिए जाता था. मम्मी-पापा गेंद के लिए पैसे नहीं देते थे. कहते थे पढ़ाई करो. वही रिंकू सिंह स्कूल में पीरियड गोल कर क्रिकेट खेलने के लिए चले जाते थे.
पिता नहीं चाहते थे कि रिंकू क्रिकेट खेलेः पापा क्रिकेट खेलने के फेवर में नहीं थे. मम्मी थोड़ा सपोर्ट करती थीं. रिंकू बताते है कि पहली बार जब अंडर-19 खेला और अच्छे रन किए तो वहीं से लगा कि अब खेल सकता हूं. रणजी ट्रॉफी में खेलने का मौका मिला. वहीं से सोच लिया कि इंडिया की टीम के लिए खेलना है. इससे घर वाले बहुत खुश थे. केकेआर का पहला एमांउट 80 लाख रुपये का था, जो मेरे लिए बहुत बड़ा था. जिससे जो भी घर की दिक्कतें थी वह दूर कर दीं. आईपीएल में सेलेक्शन होने पर काफी अच्छा लगा. जो कार्य थे वह पूरे किए. मां-बाप के कर्ज को पूरा किया और मैदान में भी बहुत बड़ा कर्ज चुकाया.
रिंकू के पिता हैं सिलेंडर डिलीवरी मैनः यह प्रतियोगिता रिंकू सिंह के हौसले, लड़ाई, जज्बे का इम्तिहान थी. रिंकू सिंह ने क्रिकेट खेल कर अपना वक्त बदला. रिंकू सिंह के पिता एलपीजी गैस सिलेंडर डिलीवर किया करते थे. रिंकू सिंह ने अपनी जिद के चलते क्रिकेट में कैरियर बनाया. आईपीएल ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसे पूरा विश्व देख रहा है. अगर रिंकू सिंह क्रिकेट नहीं खेलते, तो सोचिए क्या करते.