ETV Bharat / bharat

ओबीसी आरक्षण : क्रीमी लेयर के पैमानों को बदलने पर विचार कर रही मोदी सरकार - सामाजिक व अधिकारिता राज्य मंत्री

ओबीसी सूची से जुड़े 127वें संविधान संविधान विधेयक को पारित कराने के बाद केंद्र सरकार ने कहा है कि ओबीसी में क्रीमी लेयर का निर्धारण करने से संबंधित एक प्रस्ताव उसके पास विचाराधीन है.

Pratima Bhowmik
Pratima Bhowmik
author img

By

Published : Aug 11, 2021, 6:20 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में क्रीमी लेयर का निर्धारण करने के लिए आय मानदंड में संशोधन का एक प्रस्ताव उसके पास विचाराधीन है. राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में सामाजिक व अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक (Pratima Bhowmik) ने यह जानकारी दी.

बुधवार को तेलंगाना राष्ट्र समिति के सदस्य प्रकाश बांदा ने केंद्र सरकार से जानना चाहा था कि क्या अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने भी ओबीसी क्रीमी लेयर की आयसीमा को बढ़ाने के लिए सिफारिश की है.

इसके जवाब में भौमिक ने कहा, 'जी हां. ओबीसी के मध्य क्रीमी लेयर का निर्धारण करने के लिए आय मानदंड में संशोधन हेतु एक प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है.' ज्ञात हो कि 'क्रीमी लेयर' में ओबीसी के सामाजिक और आर्थिक रूप से तरक्की कर चुके सदस्य शामिल किए जाते हैं.

बता दें कि सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 'संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021' पारित कराया है. यह विधेयक राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों (Socially and Educationally Backward Classes) की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने के लिए सशक्त बनाता है.

बता दें कि वर्ष 2018 के 102वें संविधान संशोधन अधिनियम में अनुच्छेद 338 बी जोड़ा गया था जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के ढांचे, कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है. जबकि 342 ए किसी विशिष्ट जाति को एसईबीसी अधिसूचित करने और सूची में बदलाव करने के संसद के अधिकारों से संबंधित है.

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 5 मई के बहुमत आधारित फैसले की समीक्षा करने की केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें यह कहा गया था कि 102वां संविधान संशोधन नौकरियों एवं दाखिले में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े (एसईबीसी) को आरक्षण देने के राज्य के अधिकार को ले लेता है. विगत पांच मई को उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति अशोक भूषण के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से महाराष्ट्र में मराठा कोटा प्रदान करने संबंधी कानून को निरस्त कर दिया था.

क्या हैं विधेयक के उद्देश्य
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि संविधान 102वां अधिनियम 2018 को पारित करते समय विधायी आशय यह था कि यह सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची से संबंधित है. यह इस तथ्य को मान्यता देता है कि 1993 में सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की स्वयं की केंद्रीय सूची की घोषणा से भी पूर्व कई राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की अन्य पिछड़े वर्गों की अपनी राज्य सूची/ संघ राज्य क्षेत्र सूची हैं.

इसमें कहा गया है, 'यह विधेयक पर्याप्त रूप से यह स्पष्ट करने के लिये है कि राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने और उसे बनाये रखने को सशक्त बनाता है.'

यह भी पढ़ें- तीन दशक तक भारत की राजनीति में खलबली मचाने वाला मंडल कमीशन क्या है?

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि देश की संघीय संरचना को बनाए रखने के दृष्टिकोण से संविधान के अनुच्छेद 342क का संशोधन करने और अनुच्छेद 338ख एवं अनुच्छेद 366 में संशोधन करने की आवश्यकता है. यह विधेयक उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में क्रीमी लेयर का निर्धारण करने के लिए आय मानदंड में संशोधन का एक प्रस्ताव उसके पास विचाराधीन है. राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में सामाजिक व अधिकारिता राज्य मंत्री प्रतिमा भौमिक (Pratima Bhowmik) ने यह जानकारी दी.

बुधवार को तेलंगाना राष्ट्र समिति के सदस्य प्रकाश बांदा ने केंद्र सरकार से जानना चाहा था कि क्या अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने भी ओबीसी क्रीमी लेयर की आयसीमा को बढ़ाने के लिए सिफारिश की है.

इसके जवाब में भौमिक ने कहा, 'जी हां. ओबीसी के मध्य क्रीमी लेयर का निर्धारण करने के लिए आय मानदंड में संशोधन हेतु एक प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन है.' ज्ञात हो कि 'क्रीमी लेयर' में ओबीसी के सामाजिक और आर्थिक रूप से तरक्की कर चुके सदस्य शामिल किए जाते हैं.

बता दें कि सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित 'संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021' पारित कराया है. यह विधेयक राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक तथा शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों (Socially and Educationally Backward Classes) की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने के लिए सशक्त बनाता है.

बता दें कि वर्ष 2018 के 102वें संविधान संशोधन अधिनियम में अनुच्छेद 338 बी जोड़ा गया था जो राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के ढांचे, कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है. जबकि 342 ए किसी विशिष्ट जाति को एसईबीसी अधिसूचित करने और सूची में बदलाव करने के संसद के अधिकारों से संबंधित है.

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 5 मई के बहुमत आधारित फैसले की समीक्षा करने की केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें यह कहा गया था कि 102वां संविधान संशोधन नौकरियों एवं दाखिले में सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े (एसईबीसी) को आरक्षण देने के राज्य के अधिकार को ले लेता है. विगत पांच मई को उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति अशोक भूषण के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से महाराष्ट्र में मराठा कोटा प्रदान करने संबंधी कानून को निरस्त कर दिया था.

क्या हैं विधेयक के उद्देश्य
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि संविधान 102वां अधिनियम 2018 को पारित करते समय विधायी आशय यह था कि यह सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची से संबंधित है. यह इस तथ्य को मान्यता देता है कि 1993 में सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों की स्वयं की केंद्रीय सूची की घोषणा से भी पूर्व कई राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की अन्य पिछड़े वर्गों की अपनी राज्य सूची/ संघ राज्य क्षेत्र सूची हैं.

इसमें कहा गया है, 'यह विधेयक पर्याप्त रूप से यह स्पष्ट करने के लिये है कि राज्य सरकार और संघ राज्य क्षेत्र को सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गो की स्वयं की राज्य सूची/संघ राज्य क्षेत्र सूची तैयार करने और उसे बनाये रखने को सशक्त बनाता है.'

यह भी पढ़ें- तीन दशक तक भारत की राजनीति में खलबली मचाने वाला मंडल कमीशन क्या है?

विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि देश की संघीय संरचना को बनाए रखने के दृष्टिकोण से संविधान के अनुच्छेद 342क का संशोधन करने और अनुच्छेद 338ख एवं अनुच्छेद 366 में संशोधन करने की आवश्यकता है. यह विधेयक उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.