नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा नवीनतम कदम उठाया गया है, जिसमें मुगल साम्राज्य पर कुछ अध्यायों को पाठ्यक्रम से हटाया जाएगा. हालांकि कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं और इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे हैं. इन लोगों में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी भी शामिल हैं, जिन्होंने इस कदम को निंदनीय और विवादास्पद बताते हुए अपनी चिंता व्यक्त की है.
मंगलवार को ईटीवी भारत से बात करते हुए मदनी ने इस फैसले को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि 'यदि इतिहास के उस निश्चित भाग में कोई समस्या थी, तो वे उसे पूरी तरह से समाप्त करने के बजाय संपादित कर सकते थे. यह कदम अत्यंत विचित्र है.' यह पूछे जाने पर कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद क्या कार्रवाई करेगी और क्या वह इस मामले को अदालत में ले जाएगी, मदनी ने जवाब दिया कि 'अभी के लिए, मैं इस पर कुछ नहीं कह सकता, क्योंकि इसके लिए सामूहिक निर्णय की आवश्यकता होगी. समय आने दें और हम जवाब देंगे.'
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह का कदम सुर्खियों में आया है. पिछले साल, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाया, जिसने फिर से राजनीतिक नेताओं, शिक्षाविदों और अन्य लोगों की बहुत सारी आलोचनाओं को आमंत्रित किया, जिसमें सत्तारूढ़ व्यवस्था को दोषी ठहराया गया कि एक विशेष विचारधारा के अनुरूप पाठ्यपुस्तकों को फिर से लिखा जा रहा है.
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इस सवाल पर कि क्या इस तरह के कदम से समुदायों के बीच और मतभेद पैदा होंगे और क्या इस फैसले से हमें आगे बढ़ने की संभावना है, मदनी ने जवाब दिया कि 'इस निर्णय से अधिक विवाद पैदा होने की संभावना है और हमें पीछे ले जाएगा.' हालांकि, जब दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग से संपर्क किया गया, जिन्होंने जनवरी में अन्य मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ एक बंद कमरे में बैठक की थी, तो वह अपने व्यस्त कार्यक्रम का हवाला देते हुए टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे.