नई दिल्ली : कोविड के बाद भारतीय रेलवे को यदि किसी एक फैसले के कारण से सबसे अधिक आलोचनाओं का सामना करना पड़ा तो वह था वरिष्ठ नागरिकों को किराए में मिलने वाली छूट को वापस लेना. आम लोगों से लेकर विपक्षी दलों के राजनेताओं तक ने इसकी आलोचना की थी. अब खबर यह है कि संसदीय स्थाई समिति ने एक बार फिर इस छूट को लागू करने की सिफारिश की है, जो 20 मार्च 2020 के बाद से बंद है. भाजपा सांसद राधा मोहन सिंह इस संसदीय स्थाई समिति के अध्यक्ष है.
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संसदीय स्थाई समिति ने संसद के दोनों सदनों में एक रिपोर्ट पेश की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जैसा कि सरकार ने बताया है कि कोविड का दौर समाप्त हो चुका है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे ने कोविड प्रतिबंधों के कारण वरिष्ठ नागरिकों को किराए में मिलने वाली छूट को वापस लिया था ताकि उसकी कमाई में कम असर पड़े. समिति ने कहा है कि रेलवे के आंकड़े बताते हैं कि उसे इससे फायदा भी हुआ. समिति ने कहा है कि अब स्थितियां बेहतर हो गई हैं. इसलिए, वरिष्ठ नागरिकों को किराए में मिलने वाली छूट को वापस लागू कर देना चाहिए.
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समिति ने कहा है कि कम से कम स्लीपर और एसी-3 टियर में सफर करने वाले वरिष्ठ नागरिकों को यह छूट मिलनी चाहिए. इससे जरूरतमंद लोगों को यात्रा में आसानी होगी. संसदीय स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वह सरकार और रेलवे को यह सिफारिश कर रही है कि यात्रा किराए में मिलने वाली छूट को वापस लागू किया जाये. यहां यह याद दिला देना बेहतर है कि रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कई बार सवालों के जवाब में यह स्पष्ट कहा है कि भारत सरकार पहले से ही हर यात्री की यात्रा का 50 से 55 प्रतिशत खर्च वहन कर रही है.
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इसलिए वरिष्ठ नागरिकों को किराए में मिलने वाली छूट को वापस शुरू करना अभी उनकी योजना में नहीं है. बता दें कि इंडियन रेलवे कोविड से पहले वरिष्ठ नागरिकों को किराए में छूट देता था. पुरुषों को किराए में 40 प्रतिशत की छूट मिलती थी जिसके लिए उम्र सीमा 60 साल या उससे अधिक थी. वहीं 58 साल या उससे अधिक के उम्रकी महिलाओं को 50 प्रतिशत की छूट मिलती थी.