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राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस का आयुक्त बनाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. अधिवक्ता एमएल शर्मा ने राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस प्रमुख के रूप में नियुक्ति को चुनौती देते हुए पीएम, एचएम और एमएचए के खिलाफ अवमानना ​​​​याचिका दायर की गई है.

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Published : Jul 30, 2021, 1:47 PM IST

Updated : Jul 30, 2021, 3:30 PM IST

नई दिल्ली : राकेश अस्थाना को 27 जुलाई को दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना ​​​​याचिका दायर की गई है. राकेश अस्थाना की सेवानिवृत्ति 31 जुलाई को निर्धारित की गई थी.

दरअसल, दिल्ली के नए कमिश्नर राकेश अस्थाना को रिटायरमेंट से महज 3 दिन पहले दिल्ली के पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. सियासी गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक उनकी पोस्टिंग पर सवाल उठने लगे थे. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ में 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, यह कहा गया था कि यूपीएससी को विचार के क्षेत्र के भीतर के लोगों के बीच से नियुक्ति पर विचार करना चाहिए, जिन्होंने 2 साल की स्पष्ट सेवा प्राप्त की है.

"सभी संबंधितों द्वारा यह देखने का प्रयास किया जाना चाहिए कि सेवानिवृत्ति की तारीख पास होने के बावजूद, अस्थाना को पुलिस महानिदेशक के रूप में चुना गया और नियुक्त किया गया. हालांकि सेवानिवृत्ति की तारीख से आगे बढ़ाया गया कार्यकाल उचित अवधि होना चाहिए. यह ध्यान में लाया गया है कि कुछ राज्यों ने सेवानिवृत्ति की अंतिम तिथि पर पुलिस महानिदेशक को नियुक्त करने की प्रथा अपनाई है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति अपनी सेवानिवृत्ति की तारीख के बाद दो साल तक सेवा देताा है.

अधिवक्ता एमएल शर्मा के माध्यम से दायर अवमानना ​​याचिका में तर्क दिया गया है कि अस्थाना को उनकी सेवानिवृत्ति से ठीक पहले नियुक्त करके, सरकार ने जानबूझकर अदालत के अधिकार को कम करने और न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने की कोशिश की है. शर्मा ने अस्थाना के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को भी उजागर किया.

उन्होंने पीएम और एचएम के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग के साथ ही राकेश अस्थाना की नियुक्ति को अवैध घोषित करने की मांग की.

यह भी पढ़ें-राकेश अस्थाना: रिटायरमेंट से 3 दिन पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनने पर क्यों उठ रहे सवाल ?

बता दें कि गृह मंत्रालय ने मंगलवार को जारी एक आदेश में कहा था कि अस्थाना तत्काल प्रभाव से दिल्ली पुलिस आयुक्त का कार्यभार संभालेंगे. वह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक के रूप में कार्यरत थे.

अस्थाना की नियुक्ति 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले हुई है. उनका कार्यकाल एक साल का होगा.

इस तरह के बहुत कम उदाहरण हैं, जब अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर से बाहर के किसी आईपीएस अधिकारी को दिल्ली पुलिस के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया हो.

उन्नीस सौ चौरासी बैच के आईपीएस अधिकारी अस्थाना पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में विशेष निदेशक रह चुके हैं. सीबीआई में अपने कार्यकाल के दौरान उनका जांच एजेंसी के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा के साथ विवाद हो गया था जिसमें दोनों ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. दिलचस्प है कि वर्मा सीबीआई निदेशक बनने से पहले दिल्ली पुलिस के आयुक्त थे.

जून के अंत में पुलिस आयुक्त पद से एसएन श्रीवास्तव के सेवानिवृत्त होने के बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बालाजी श्रीवास्तव को पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था.

नई दिल्ली : राकेश अस्थाना को 27 जुलाई को दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक अवमानना ​​​​याचिका दायर की गई है. राकेश अस्थाना की सेवानिवृत्ति 31 जुलाई को निर्धारित की गई थी.

दरअसल, दिल्ली के नए कमिश्नर राकेश अस्थाना को रिटायरमेंट से महज 3 दिन पहले दिल्ली के पुलिस कमिश्नर की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी. सियासी गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक उनकी पोस्टिंग पर सवाल उठने लगे थे. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ में 2018 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, यह कहा गया था कि यूपीएससी को विचार के क्षेत्र के भीतर के लोगों के बीच से नियुक्ति पर विचार करना चाहिए, जिन्होंने 2 साल की स्पष्ट सेवा प्राप्त की है.

"सभी संबंधितों द्वारा यह देखने का प्रयास किया जाना चाहिए कि सेवानिवृत्ति की तारीख पास होने के बावजूद, अस्थाना को पुलिस महानिदेशक के रूप में चुना गया और नियुक्त किया गया. हालांकि सेवानिवृत्ति की तारीख से आगे बढ़ाया गया कार्यकाल उचित अवधि होना चाहिए. यह ध्यान में लाया गया है कि कुछ राज्यों ने सेवानिवृत्ति की अंतिम तिथि पर पुलिस महानिदेशक को नियुक्त करने की प्रथा अपनाई है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति अपनी सेवानिवृत्ति की तारीख के बाद दो साल तक सेवा देताा है.

अधिवक्ता एमएल शर्मा के माध्यम से दायर अवमानना ​​याचिका में तर्क दिया गया है कि अस्थाना को उनकी सेवानिवृत्ति से ठीक पहले नियुक्त करके, सरकार ने जानबूझकर अदालत के अधिकार को कम करने और न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करने की कोशिश की है. शर्मा ने अस्थाना के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों को भी उजागर किया.

उन्होंने पीएम और एचएम के खिलाफ अवमानना ​​कार्रवाई की मांग के साथ ही राकेश अस्थाना की नियुक्ति को अवैध घोषित करने की मांग की.

यह भी पढ़ें-राकेश अस्थाना: रिटायरमेंट से 3 दिन पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनने पर क्यों उठ रहे सवाल ?

बता दें कि गृह मंत्रालय ने मंगलवार को जारी एक आदेश में कहा था कि अस्थाना तत्काल प्रभाव से दिल्ली पुलिस आयुक्त का कार्यभार संभालेंगे. वह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक के रूप में कार्यरत थे.

अस्थाना की नियुक्ति 31 जुलाई को उनकी सेवानिवृत्ति से कुछ दिन पहले हुई है. उनका कार्यकाल एक साल का होगा.

इस तरह के बहुत कम उदाहरण हैं, जब अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर से बाहर के किसी आईपीएस अधिकारी को दिल्ली पुलिस के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया हो.

उन्नीस सौ चौरासी बैच के आईपीएस अधिकारी अस्थाना पहले केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में विशेष निदेशक रह चुके हैं. सीबीआई में अपने कार्यकाल के दौरान उनका जांच एजेंसी के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा के साथ विवाद हो गया था जिसमें दोनों ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. दिलचस्प है कि वर्मा सीबीआई निदेशक बनने से पहले दिल्ली पुलिस के आयुक्त थे.

जून के अंत में पुलिस आयुक्त पद से एसएन श्रीवास्तव के सेवानिवृत्त होने के बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बालाजी श्रीवास्तव को पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था.

Last Updated : Jul 30, 2021, 3:30 PM IST
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