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LAC पर तनाव के बीच भारत और चीन के बीच रडार 'रेस'

एलएसी पर तनाव (tension along LAC) के बावजूद दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है. लेकिन चीन इन वार्ताओं को लेकर बहुत अधिक उत्साहित नहीं रहता है. वह अपनी ही मनमानी करता जा रहा है. यही वजह है कि भारत ने चीन से सटे इलाकों में सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना शुरू कर दिया है. एलएसी इलाके में रडार प्रणाली को मजबूत किया जा रहा है. आप कह सकते हैं कि एलएसी पर दोनों देशों के बीच रडार रेस (RADAR Race along LAC) की शुरुआत हो चुकी है. पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार संजीब बरूआ की एक रिपोर्ट.

india china concept photo taken from social media
भारत चीन (कॉन्सेप्ट फोटो)
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Published : Dec 24, 2021, 7:55 PM IST

नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव के बीच दोनों देश अपनी-अपनी सीमाओं पर रडार इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच 3488 किलोमीटर की सीमा आपस में मिलती है.

चीन ने झोंगबा (ड्रोंगपा काउंटी) इलाके में 5600 मीटर की ऊंचाई पर रडार इकाई को स्थापित किया है. संभवतः यह सबसे ऊंचे स्थान पर रडार वाली जगह होगी. चीन यहां से नेपाल-भूटान के साथ-साथ पूर्वोत्तर भारत के इलाकों पर नजर रखना चाहता है. चीन ने यहां पर HGR-105, JY-9, JY-26 और JLC-88B रडार को इंस्टॉल किया है.

चीन ने भारतीय सीमा पर जारी गतिविधियों की निगरानी के लिए येचेंग बुरांग (शिनजियांग तिब्बत राजमार्ग पर), याडोंग काउंटी में पगरी (फरी), शन्नान काउंटी में यमद्रोक त्सो, सोना और केचन (तवांग सेक्टर के पार) पर फोकस किया है. यहां से वह अरुणाचल प्रदेश पर निगरानी रखना चाहता है.

दूसरी ओर भारत अपने उत्तरी इलाके और उत्तर पूर्वी भारत में आठ एल-बैंड लांग रेंज ट्रैकिंग रडार प्रणाली को स्थापित कर रहा है. इनका उद्देश्य चीन की सीमाई गतिविधि को कैप्चर करना है.

विगत कई सालों से भारत का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान पर निगरानी रखने के लिए रडार को सीमाई इलाके में स्थापित करना था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. अब भारत चीन को ध्यान में रखकर सीमाई और तटीय इलाकों में तकनीक को मजबूत कर रहा है.

जाहिर है, चीन को जहां मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश के इलाके पर नजर रखने में रुचि है, वहीं भारत को चीन के साथ-साथ पाकिस्तान पर भी नजर रखनी है. यानी भारत को मैकमोहन लाइन के साथ-साथ एलओसी पर भी फोकस बनाए रखना है.

भारत और चीन के बीच पिछले 19 महीनों से एलएसी पर तनाव की स्थिति बनी हुई है. वर्तमान हालात बताते हैं कि इस स्थिति में आने वाले समय में तत्काल कोई राहत भी नहीं मिलने वाली है. ऐसे में जाहिर है दोनों ही देश अपने-अपने इलाके में निगरानी प्रणाली को अधिक से अधिक मजबूत करने में जुटे हुए हैं. बल्कि आप यह भी कह सकते हैं कि दोनों देशों के बीर रडार रेस की शुरुआत हो चुकी है. दोनों देशों के सैनिक अच्छी संख्या में सीमा पर मौजूद हैं. इन इलाकों में तेजी से सड़कों का विकास किया जा रहा है. इनके वाबजूद सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत भी जारी है.

अब तक दोनों देशों के बीच 13 बार सीनियर कमांडर स्तर की बातचीत संपन्न हो चुकी है. दोनों देशों के बीच तनाव की शुरुआत गलवान हिंसा के बाद हुई थी. यह घटना पिछले साल मई में हुई थी.

सबसे ताजा बातचीत 10 अक्टूबर को हुई है. इस बैठक में चीन ने भारत द्वारा अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में पेट्रोलिंग को लेकर मुद्दा उठाया था. 28 सितंबर की घटना का जिक्र इस बैठक में किया गया था. हालांकि, भारत ने चीन पर ही सवाल उठाए थे.

भारत ने कहा था कि यह कोई नई बात नहीं है. हम इस इलाके में पेट्रोलिंग करते हैं. क्योंकि दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर अलग-अलग परसेप्शन है, लिहाजा पेट्रोलिंग के दौरान इस तरह के मुद्दे उठते रहते हैं.

इससे पहले पिछले साल नौ अप्रैल, छह जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई, 31 जुलाई, दो अगस्त, 21 सितंबर, 12 अक्टूबर और छह नवंबर तथा इस साल 24 जनवरी, 20 फरवरी और 10 अक्टूबर को बैठक हो चुकी है.

ये भी पढे़ं : 2021 : LAC पर तनाव के बावजूद भारत-चीन के बीच व्यापार में ऐतिहासिक बढ़ोतरी

नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव के बीच दोनों देश अपनी-अपनी सीमाओं पर रडार इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर रहे हैं. दोनों देशों के बीच 3488 किलोमीटर की सीमा आपस में मिलती है.

चीन ने झोंगबा (ड्रोंगपा काउंटी) इलाके में 5600 मीटर की ऊंचाई पर रडार इकाई को स्थापित किया है. संभवतः यह सबसे ऊंचे स्थान पर रडार वाली जगह होगी. चीन यहां से नेपाल-भूटान के साथ-साथ पूर्वोत्तर भारत के इलाकों पर नजर रखना चाहता है. चीन ने यहां पर HGR-105, JY-9, JY-26 और JLC-88B रडार को इंस्टॉल किया है.

चीन ने भारतीय सीमा पर जारी गतिविधियों की निगरानी के लिए येचेंग बुरांग (शिनजियांग तिब्बत राजमार्ग पर), याडोंग काउंटी में पगरी (फरी), शन्नान काउंटी में यमद्रोक त्सो, सोना और केचन (तवांग सेक्टर के पार) पर फोकस किया है. यहां से वह अरुणाचल प्रदेश पर निगरानी रखना चाहता है.

दूसरी ओर भारत अपने उत्तरी इलाके और उत्तर पूर्वी भारत में आठ एल-बैंड लांग रेंज ट्रैकिंग रडार प्रणाली को स्थापित कर रहा है. इनका उद्देश्य चीन की सीमाई गतिविधि को कैप्चर करना है.

विगत कई सालों से भारत का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान पर निगरानी रखने के लिए रडार को सीमाई इलाके में स्थापित करना था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. अब भारत चीन को ध्यान में रखकर सीमाई और तटीय इलाकों में तकनीक को मजबूत कर रहा है.

जाहिर है, चीन को जहां मुख्य रूप से पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश के इलाके पर नजर रखने में रुचि है, वहीं भारत को चीन के साथ-साथ पाकिस्तान पर भी नजर रखनी है. यानी भारत को मैकमोहन लाइन के साथ-साथ एलओसी पर भी फोकस बनाए रखना है.

भारत और चीन के बीच पिछले 19 महीनों से एलएसी पर तनाव की स्थिति बनी हुई है. वर्तमान हालात बताते हैं कि इस स्थिति में आने वाले समय में तत्काल कोई राहत भी नहीं मिलने वाली है. ऐसे में जाहिर है दोनों ही देश अपने-अपने इलाके में निगरानी प्रणाली को अधिक से अधिक मजबूत करने में जुटे हुए हैं. बल्कि आप यह भी कह सकते हैं कि दोनों देशों के बीर रडार रेस की शुरुआत हो चुकी है. दोनों देशों के सैनिक अच्छी संख्या में सीमा पर मौजूद हैं. इन इलाकों में तेजी से सड़कों का विकास किया जा रहा है. इनके वाबजूद सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत भी जारी है.

अब तक दोनों देशों के बीच 13 बार सीनियर कमांडर स्तर की बातचीत संपन्न हो चुकी है. दोनों देशों के बीच तनाव की शुरुआत गलवान हिंसा के बाद हुई थी. यह घटना पिछले साल मई में हुई थी.

सबसे ताजा बातचीत 10 अक्टूबर को हुई है. इस बैठक में चीन ने भारत द्वारा अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में पेट्रोलिंग को लेकर मुद्दा उठाया था. 28 सितंबर की घटना का जिक्र इस बैठक में किया गया था. हालांकि, भारत ने चीन पर ही सवाल उठाए थे.

भारत ने कहा था कि यह कोई नई बात नहीं है. हम इस इलाके में पेट्रोलिंग करते हैं. क्योंकि दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर अलग-अलग परसेप्शन है, लिहाजा पेट्रोलिंग के दौरान इस तरह के मुद्दे उठते रहते हैं.

इससे पहले पिछले साल नौ अप्रैल, छह जून, 22 जून, 30 जून, 14 जुलाई, 31 जुलाई, दो अगस्त, 21 सितंबर, 12 अक्टूबर और छह नवंबर तथा इस साल 24 जनवरी, 20 फरवरी और 10 अक्टूबर को बैठक हो चुकी है.

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