गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिंसत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा कि राज्य के लोगों को प्रतिबंधित संगठन उल्फा (आई) के प्रमुख परेश बरुआ पर इस बात के लिए ‘नैतिक दबाव’ बनाना होगा कि वह सम्प्रभुता की मांग करना छोड़ दें. उन्होंने कहा, लोगों को बरुआ को यह मांग छोड़ने के लिए मनाना होगा, ताकि इतिहास उन्हें धोखेबाज ना कहे.
यहां पत्रकारों से बातचीत में सरमा ने कहा, 'हमारी (सरकार की) कोशिशें जारी हैं... हमने दरवाजे खुले रखे हैं... कुछ बिन्दुओं पर मतभेद है, तो कुछ पर सहमति भी है. हमें उम्मीद बनाये रखनी चाहिए.'
सरमा ने कहा कि बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में समस्या यह है कि बरुआ सिर्फ सम्प्रभु असम की बात करते हैं. उन्होंने कहा, 'लेकिन मुख्यमंत्री होने के नाते मैंने सम्प्रभुता और अखंडता की रक्षा करने की संविधान की शपथ ली है.'
सरमा ने कहा, 'मैंने जो शपथ ली है, उससे पीछे नहीं हट सकता हूं या फिर मैं पद पर नहीं रहूंगा. मुझे लगता है कि वह भी अपनी मांग से पीछे नहीं हट सकते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि असम में उग्रवाद से जुड़ी हिंसक घटनाओं में करीब 10,000 लोगों की मौत के बाद लोग उन्हें धोखेबाज मानेंगे.'
मुख्यमंत्री ने कहा, 'इस स्तर पर पहुंच कर मतभेद समाप्त होने लायक नहीं हैं... इसलिए, यह बुद्धिजीवियों और विभिन्न संगठनों सहित जनता की जिम्मेदारी है कि वे उनसे सम्प्रभुता की मांग छोड़ने का आग्रह करें.'
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उन्होंने कहा, 'उनपर (परेश बरुआ पर) नैतिक दबाव बनाया जाना चाहिए, ताकि वह सम्प्रभुता की मांग छोड़ दें, ऐसे में इतिहास उन्हें धोखेबाज नहीं मानेगा.' उन्होंने कहा कि उल्फा (आई) के साथ बातचीत के रास्ते खुले हुए हैं.