हैदराबाद : जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकवाद निरोधी अभियान के दौरान सोमवार को हुई मुठभेड़ में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) सहित सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे. इनमें से तीन जवान पंजाब के रहने वाले थे, जबकि उत्तर प्रदेश और केरल के एक-एक जवान शामिल हैं.
शहीद जवानों में नायब सूबेदार जसविंदर सिंह (कपूरथला- पंजाब), नायक मनदीप सिंह (गुरदासपुर- पंजाब), सिपाही गज्जन सिंह (Sep Gajjan Singh) (रोपड़- पंजाब), सिपाही सरज सिंह (शाहजहांपुर- यूपी) और सिपाही वैसाख एच (कोल्लम- केरल) शामिल है.
नायब सूबेदार जसविंदर सिंह
नायब सूबेदार जसविंदर सिंह (39) पुत्र हरभजन सिंह, पंजाब के कपूरथला जिले में भुलत्थ थाना क्षेत्र के मानें तलवंडी गांव के रहने वाले थे. जानकारी के अनुसार, शहीद नायब सूबेदार जसविंदर सिंह के दो भाई हैं और पिता की मौत हो चुकी है. वह भी फौज में थे और बतौर कैप्टन रिटायर हुए थे. बड़े भाई रजिंदर सिंह भी पूर्व फौजी हैं.
नायब सूबेदार जसविंदर सिंह शादीशुदा थे. उनकी पत्नी सुखप्रीत कौर और दो बच्चे (एक बेटा, एक बेटी) शहीद जवान की मां मनजीत कौर के साथ गांव में ही रहते हैं. गांव में परिवार का अच्छा मेल मिलाप है.
पिता के फौजी होने के कारण जसविंदर सिंह भी भारतीय सेना में शामिल हो गए थे. गांव के लोगों का कहना है कि जसविंदर सिंह बहुत ही अच्छे इंसान थे. देशभक्ति का जज़्बा उनके अंदर कूट-कूटकर भरा हुआ था. वह हमेशा देश सेवा की बातें करते थे. उनकी शहादत की खबर सुनते ही गांव में शौक की लहर दौड़ गई.
नायक मनदीप सिंह
जम्मू-कशमीर के पुंछ में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए नायक मनदीप सिंह की उम्र करीब 30 साल थी. वह पंजाब के गुरदासपुर के चट्ठा गांव के रहने वाले थे. शहीद मनदीप सिंह अपने पीछे अपनी विधवा बुजुर्ग माता मनजीत कौर, पत्नी मनदीप कौर और दो पुत्र छोड़ गए हैं. शहीद मनदीप सिंह का बड़ा बेटा मंताज सिंह चार साल और छोटा बेटा गुरकीरत सिंह हजे सिर्फ 39 दिन का है. मनदीप सिंह के घर कुछ दिन पहले ही खुशियों की किलकारी गूंजी थी. 16 अक्टूबर को मनदीप सिंह का जन्मदिन था.
इतनी कम उम्र में मनदीप सिंह के शहीद होने से गांव में मातम पसर गया है. शहीद जवान के चचेरे भाई गुरमुख सिंह ने बताया कि मनदीप सिंह के एक भाई जगरूप सिंह फौज में हैं और एक भाई दोहा (कतर) में रहते हैं.
शहीद मनदीप सिंह की मां मनजीत कौर ने कहा, मेरा पुत्र दुनिया से चला गया है, लेकिन हमें अपने पुत्र की शहादत पर गर्व है.
सिपाही गज्जन सिंह
पुंछ में आतंकवादियों के साथ लोहा लेते हुए शहीद हुए सिपाही गज्जन सिंह भी पंजाब के रहने वाले थे. रोपण जिले के श्री आनंदपुर तहसील के पच्चरंडा गांव के रहने वाले नौजवान सिपाही गज्जन सिंह की शहादत की खबर पहुंचते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई. शहीद सिपाही गज्जन सिंह का इसी साल फरवरी में विवाह हुआ था. उनकी पत्नी सरदारनी हरप्रीत कौर की दुनिया उजड़ गई है. उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि उन पर दुखों का पहाड़ टूट जायेगा.
परिजनों का कहना है कि गज्जन सिंह बेहद मिलनसार थे. परिवार को बेटे की शहादत पर गर्व है.
सिपाही वैसाख एच
पुंछ में आतंकवाद रोधी अभियान के दौरान शहीद हुए सिपाही वैसाख एच केरल के कोल्लम जिले के ओदनवत्तोम (Odanavattom) रहने वाले थे. वैसाख ने चार साल पहले 2017 में भारतीय सेना में बतौर सिपाही शामिल हुए थे. परिजनों के मुताबिक, वैसाख आखिरी बार ओणम पर्व के दौरान केरल आए थे और अपने नए घर में रुके थे, जिसे उन्होंने भारतीय सेना जॉइन करने के बाद बनवाया था.
वैसाख के पिता का नाम हरिकुमार और माता का नाम मीना है. वैसाख अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति थे. केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने वैसाख के निधन पर शोक व्यक्त किया.
सिपाही सरज सिंह
सिपाही सरज सिंह उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के थाना बंडा क्षेत्र के गांव अख्तियारपुर धौकल के रहने वाले थे. शहीद हुए सैनिक के घर पर मातम का माहौल है. शहीद की मां और पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है. शहीद सरज सिंह की शादी डेढ़ साल पहले दिसंबर 2019 में हुई थी. शहीद सरज सिंह के तीन भाई है. तीनों में सरज सिंह सबसे छोटे थे. सरज सिंह के दो भाई भी सेना में हैं.
सरज सिंह 16 आरआर बटालियन में सिपाही के पद पर तैनात थे. उनकी सेना में भर्ती 2015 में हुई थी. उनके बड़े भाई सुखबीर सिंह इस समय छुट्टी पर घर आए हुए थे.
शहीद के भाई सुखबीर सिंह ने कहा कि सरकार उन आतंकवादियों से बदला ले, जिन्होंने उनके छोटे भाई को गोली मारी थी. वहीं, पिता विचित्र सिंह ने कहा कि उनका सबसे छोटा बेटा देश के लिए शहीद हो गया. उनको इस बात पर गर्व है.
बता दें, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को सिपाही सरज सिंह के शौर्य और वीरता को नमन करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी थी. साथ ही उन्होंने शहीद जवान के परिजनों को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की. यूपी सरकार सरज सिंह के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने तथा जिले की एक सड़क का नामकरण शहीद के नाम पर करने की भी घोषणा की है.
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