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pk का जन सुराज 'प्लान': अभी पार्टी का ऐलान नहीं, बिहार में करूंगा 3 हजार KM की पदयात्रा

पॉलिटिकल स्ट्रेटजिस्ट प्रशांत किशोर ने कहा है कि बिहार के लिए नई सोच की जरूरत है. पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने साफ कर दिया कि वो नई पार्टी नहीं बनाएंगे. उन्होंने कहा कि बिहार की दशा और दिशा बदलने की जरूरत. उन्होंने ये भी कहा कि वो पदयात्रा करेंगे. पढ़ें पूरी खबर

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर
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Published : May 5, 2022, 10:50 AM IST

Updated : May 5, 2022, 3:53 PM IST

पटना: 'जन सुराज' लाएंगे या नीतीश के साथ जाएंगे... क्या है PK का प्लान? इस सवाल पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने (Election Strategist Prashant Kishor) प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्थिति को स्पष्ट कर दिया है. पीके ने कहा वे फिलहाल कोई राजनीतिक पार्टी बनाने नहीं जा रहे. हालांकि, उन्होंने कहा कि, ''मैं 17 हजार लोगों से बात करूंगा. अगर इस स्थिति में सभी लोग पार्टी बनाने के लिए तैयार होते हैं तो फिर पार्टी बनाने पर विचार किया जाएगा लेकिन वह पार्टी सिर्फ मेरी नहीं होगी बल्कि उन सभी लोगों की होगी जो इसमें योगदान करेंगे.''

ये भी पढ़ें: नीतीश कुमार के 'सुशासन' इमेज को टक्कर देने के लिए pk का 'सुराज' प्लान, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

प्रशांत किशोर का ऐलान- पार्टी नहीं बनाऊंगा : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि फिलहाल कोई राजनीतिक पार्टी बनाने नहीं जा रहा हूं लेकिन मैं 17 हजार लोगों से बात करूंगा. अगर इस स्थिति में सभी लोग पार्टी बनाने के लिए तैयार होते हैं तो फिर पार्टी बनाने पर विचार किया जाएगा. बिहार की दशा और दिशा बदलने की जरूरत. इसके लिए वे पदयात्रा करेंगे, इस दौरान वो 3 से 4 महीनों में 17 हजार लोगों से मुलाकात करेंगे. प्रशांत किशोर ने दो अक्तूबर से बिहार में 3 हजार किलोमीटर की 'पदयात्रा' की भी घोषणा की है. इसकी शुरुआत पश्चिमी चंपारण से होगी. उन्होंने कहा कि बिहार में फिलहाल चुनाव नहीं हैं इसलिए अभी पार्टी बनाने पर कोई बात नहीं होगी. मैं अगले तीन-चार साल तक बिहार के लोगों तक पहुंचने में लगाऊंगा.

'बिहार की दशा और दुर्दशा ठीक नहीं' : प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि, 'आने वाले 10-15 साल और इनमें यदि बिहार को अग्रणी की श्रेणी में आना है तो जिन रास्तों पर बिहार चल रहा है उससे नहीं पहुंच सकता हैं. इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है. कोई भी व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता है कि यह सोच और नई प्रयास की क्षमता किसी एक व्यक्ति के पास है. बिहार के लोग जब तक मिलकर इस सोच के पीछे ताकत नहीं लगाएंगे तब तक बिहार की दशा और दुर्दशा ठीक नहीं हो सकती है.'

'अगर पार्टी बनाएंगे तो वो अकेले pk की पार्टी नहीं होगी' : पीके ने कहा कि, जो बिहार को बदलना चाहते हैं, उन्‍हें आगे आना चाहिए. मैं कोई राजनीतिक पार्टी नहीं बना रहा, इसकर कोई घोषणा नहीं कर रहा. प्रशांत किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री बनना या बनाना यह एक के चुनावी प्रक्रिया है लेकिन मैं यह बात पक्के तौर पर कह सकता हूं कि अगर हमने पार्टी बनाई तो यह अकेले प्रशांत किशोर की पार्टी नहीं होगी, यह उन लोगों की भी पार्टी होगी जो साथ में जुड़ेंगे. प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार से इस अभियान की शुरुआत करने के पीछे मकसद यह है कि बिहार का इतिहास सबसे ज्यादा गौरवशाली रहा है.

2018 में JDU में शामिल हुए थे पीके: चार साल पहले बिहार में उनका संक्षिप्त राजनीतिक कार्यकाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल के साथ शुरू हुआ था. तब उन्हें जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था लेकिन 16 महीने बाद ही उन्होंने मतभेद के बाद पार्टी छोड़ दी थी. उन्होंने साल 2018 में जेडीयू की सदस्यता ली थी. लेकिन नीतीश कुमार संग उनकी ये राजनीतिक पारी ज्यादा लंबी नहीं चली और उन्होंने 2020 में पार्टी छोड़ दी.

2024 की बिसात.. क्या होगी pk के सामने चुनौती? : बिहार की सियासत में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के सामने कई चुनौतियां हैं. सबसे पहले, अकेले कब तक चुनावी अखाड़े में टिक पाएंगे. क्योंकी बिना गठबंधन के पीके के लिए बिहार में पांव जमाना मुश्किल होगा. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी को बिहार की जनता ने नकार दिया. ऐसे में पीके के सामने बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी, मांझी की हम पार्टी और लोजपा रामविलास जैसी दिग्गज पार्टियां हैं, जो बिहार की सियासत में मजबूत पकड़ रखती हैं.

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पटना: 'जन सुराज' लाएंगे या नीतीश के साथ जाएंगे... क्या है PK का प्लान? इस सवाल पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने (Election Strategist Prashant Kishor) प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्थिति को स्पष्ट कर दिया है. पीके ने कहा वे फिलहाल कोई राजनीतिक पार्टी बनाने नहीं जा रहे. हालांकि, उन्होंने कहा कि, ''मैं 17 हजार लोगों से बात करूंगा. अगर इस स्थिति में सभी लोग पार्टी बनाने के लिए तैयार होते हैं तो फिर पार्टी बनाने पर विचार किया जाएगा लेकिन वह पार्टी सिर्फ मेरी नहीं होगी बल्कि उन सभी लोगों की होगी जो इसमें योगदान करेंगे.''

ये भी पढ़ें: नीतीश कुमार के 'सुशासन' इमेज को टक्कर देने के लिए pk का 'सुराज' प्लान, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

प्रशांत किशोर का ऐलान- पार्टी नहीं बनाऊंगा : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि फिलहाल कोई राजनीतिक पार्टी बनाने नहीं जा रहा हूं लेकिन मैं 17 हजार लोगों से बात करूंगा. अगर इस स्थिति में सभी लोग पार्टी बनाने के लिए तैयार होते हैं तो फिर पार्टी बनाने पर विचार किया जाएगा. बिहार की दशा और दिशा बदलने की जरूरत. इसके लिए वे पदयात्रा करेंगे, इस दौरान वो 3 से 4 महीनों में 17 हजार लोगों से मुलाकात करेंगे. प्रशांत किशोर ने दो अक्तूबर से बिहार में 3 हजार किलोमीटर की 'पदयात्रा' की भी घोषणा की है. इसकी शुरुआत पश्चिमी चंपारण से होगी. उन्होंने कहा कि बिहार में फिलहाल चुनाव नहीं हैं इसलिए अभी पार्टी बनाने पर कोई बात नहीं होगी. मैं अगले तीन-चार साल तक बिहार के लोगों तक पहुंचने में लगाऊंगा.

'बिहार की दशा और दुर्दशा ठीक नहीं' : प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि, 'आने वाले 10-15 साल और इनमें यदि बिहार को अग्रणी की श्रेणी में आना है तो जिन रास्तों पर बिहार चल रहा है उससे नहीं पहुंच सकता हैं. इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है. कोई भी व्यक्ति यह दावा नहीं कर सकता है कि यह सोच और नई प्रयास की क्षमता किसी एक व्यक्ति के पास है. बिहार के लोग जब तक मिलकर इस सोच के पीछे ताकत नहीं लगाएंगे तब तक बिहार की दशा और दुर्दशा ठीक नहीं हो सकती है.'

'अगर पार्टी बनाएंगे तो वो अकेले pk की पार्टी नहीं होगी' : पीके ने कहा कि, जो बिहार को बदलना चाहते हैं, उन्‍हें आगे आना चाहिए. मैं कोई राजनीतिक पार्टी नहीं बना रहा, इसकर कोई घोषणा नहीं कर रहा. प्रशांत किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री बनना या बनाना यह एक के चुनावी प्रक्रिया है लेकिन मैं यह बात पक्के तौर पर कह सकता हूं कि अगर हमने पार्टी बनाई तो यह अकेले प्रशांत किशोर की पार्टी नहीं होगी, यह उन लोगों की भी पार्टी होगी जो साथ में जुड़ेंगे. प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार से इस अभियान की शुरुआत करने के पीछे मकसद यह है कि बिहार का इतिहास सबसे ज्यादा गौरवशाली रहा है.

2018 में JDU में शामिल हुए थे पीके: चार साल पहले बिहार में उनका संक्षिप्त राजनीतिक कार्यकाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल के साथ शुरू हुआ था. तब उन्हें जेडीयू का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया था लेकिन 16 महीने बाद ही उन्होंने मतभेद के बाद पार्टी छोड़ दी थी. उन्होंने साल 2018 में जेडीयू की सदस्यता ली थी. लेकिन नीतीश कुमार संग उनकी ये राजनीतिक पारी ज्यादा लंबी नहीं चली और उन्होंने 2020 में पार्टी छोड़ दी.

2024 की बिसात.. क्या होगी pk के सामने चुनौती? : बिहार की सियासत में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के सामने कई चुनौतियां हैं. सबसे पहले, अकेले कब तक चुनावी अखाड़े में टिक पाएंगे. क्योंकी बिना गठबंधन के पीके के लिए बिहार में पांव जमाना मुश्किल होगा. 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष पुष्पम प्रिया चौधरी को बिहार की जनता ने नकार दिया. ऐसे में पीके के सामने बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी, मांझी की हम पार्टी और लोजपा रामविलास जैसी दिग्गज पार्टियां हैं, जो बिहार की सियासत में मजबूत पकड़ रखती हैं.

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Last Updated : May 5, 2022, 3:53 PM IST

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