नई दिल्ली : केंद्र सरकार की ओर से बातचीत जारी रखने के बावजूद मंगलवार को 'भारत बंद' रखने के पीछे केंद्र सरकार के मंत्रियों को राजनीतिक साजिश नजर आती है. उनका कहना है कि जब एमएसपी पहले की तरह जारी रहेगी, मंडियां भी रहेंगी तो फिर मुद्दा क्या है? भोले-भाले किसानों को राजनीतिक दल गुमराह कर उन्हें भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.
भारत बंद को लेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ईटीवी भारत से कहा कि बंद का असर वहीं देखने को मिला, जहां बंद को राजनीतिक दलों का समर्थन था. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को कानून के सही पक्षों के बारे में बता रहे हैं और जल्द ही यह मुद्दा सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि 95 फीसदी किसानों ने कानून का समर्थन किया, लेकिन 5 फीसदी किसान इससे सहमत नहीं हो रहे, तो यह भी चिंता का विषय है.
कांग्रेस अपने कार्यकाल में लाई थी प्रस्ताव
उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन एक पहलू है, लेकिन दूसरा पहला राजनीति दलों का है, जो राजनीतिक दल पहले किसान कानून को लेकर बदलाव की बात कर रहे थे. आज वो इसका विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस करो, तो ठीक और पीएम मोदी करें, तो गलत.
विपक्ष का पाखंड का पर्दाफाश
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि किसानों के नाम पर बुलाए गए भारत बंद को राजनीतिक दलों का समर्थन एक पाखंड है. उन्होंने ही एपीएमसी समाप्त करने का कानून लाया, इन्ही पार्टियों द्वारा शासित कई राज्यों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लागू भी किया गया है. इनके पाखंड का पदार्फाश हो गया है.
सरकार का ध्येय- किसानों की समृद्धि
उन्होंने कहा, 'मैं फिर से कहना चाहता हूं, किसानों को मिलने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था, है और रहेगा. जैसे पिछले 55 सालों से किसानों को एमएसपी का लाभ मिलता आ रहा है, वैसा ही आगे भी जारी रहेगा. देश के किसानों की समृद्धि ही हमारी सरकार का ध्येय है.'
लागत से 50 फीसदी अधिक दे रही सरकार
जावड़ेकर ने कहा कि किसानों ने लागत के लिए अतिरिक्त मूल्य की मांग की थी और हम उन्हें लागत से 50 प्रतिशत अधिक दे रहे हैं. कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में कभी कोई पेशकश नहीं की. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए अनुबंध कृषि अधिनियम पारित किया था.
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में भी इन कानूनों की शुरुआत का उल्लेख किया था.
किसान आंदोलन के पीछे विघटनकारी ताकतों का हाथ : कृषि मंत्री
उधर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी किसानों के आंदोलन पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है. तोमर ने इस आंदोलन के पीछे विघटनकारी और अराजकतावादी ताकतों की ओर से फैलाए जा रहे भ्रम की तरफ संकेत किया है. उन्होंने किसानों को ऐसे लोगों से सावधान रहने को कहा है.
अपनी मर्जी से फसल बेचेंगे किसान
उन्होंने कहा, 'नए कृषि सुधार कानूनों से किसानों के जीवन में समृद्धि आएगी. विघटनकारी और अराजकतावादी ताकतों द्वारा फैलाए जा रहे भ्रामक प्रचार से किसानों को बचना चाहिए. एमएसपी और मंडियां भी जारी रहेगी और किसान अपनी फसल अपनी मर्जी से कहीं भी बेच सकेंगे.'
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उन्होंने कहा, 'देश में कोल्ड स्टोर एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में निवेश बढ़ेगा और किसान पर्याप्त भंडारण कर सकेंगे. राजनीतिक एजेंडे के तहत फैलाए जा रहे दुष्प्रचार और समाज को बांटने वाली ताकतों से बचें.'