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नौसेना में शामिल हो रहे INS Vikrant कितना है शक्तिशाली, जानें खासियतें - आईएनएस विक्रांत लागत

आज देश को पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएएनएस विक्रांत मिल जाएगा. पीएम मोदी केरल के कोच्चि में आज आईएएनएस विक्रांत को कमीशन करेंगे.

INS Vikrant
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Published : Sep 2, 2022, 8:41 AM IST

Updated : Sep 2, 2022, 10:38 AM IST

नई दिल्ली: देश के लिए आज ऐतिहासिक दिन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर 'आईएनएस विक्रांत' (INS Vikrant) भारतीय नौसेना (Indian Navy) को सौंपेंगे. यह भारत के समुद्री इतिहास में बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा जहाज है.

आइये जानते हैं इसकी खासियत

INS विक्रांत एयरक्राफ्ट करियर समुद्र के ऊपर तैरता एक एयरफोर्स स्टेशन है जहां से फाइटर जेट्स, मिसाइलें, ड्रोन के जरिए दुश्मनों के नापाक मंसूबों को नेस्तनाबूत किया जा सकता है. आईएनएस विक्रांत से 32 बराक-8 मिसाइलें दागी जा सकेंगी. 44,570 टन से अधिक वजनी, यह युद्धपोत 30 लड़ाकू जेट विमानों को समायोजित करने में सक्षम है और दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और निर्देशित बमों और रॉकेटों से परे जहाज-रोधी मिसाइलों से लैस है. यह विभिन्न विमानों को संभालने के लिए आधुनिक लॉन्च और रिकवरी सिस्टम से भी लैस है जैसे मिग -29 के लिए लूना लैंडिंग सिस्टम और सी हैरियर के लिए डीएपीएस लैंडिंग सिस्टम.

आईएनएस विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे
INS विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे, जिनमें 20 लड़ाकू विमान होंगे और 10 हेलीकॉप्टर होंगे. फिलहाल विक्रांत पर मिग-29के ('ब्लैक‌ पैंथर') फाइटर जेट तैनात होंगे और उसके बाद डीआरडीओ और एचएएल द्वारा तैयार किया जा रहा टीईडीबीएफ यानी टूइन इंजन डेक बेस्ड फाइटर जेट होगा. क्योंकि टीईडीबीएफ के पूरी तरह से तैयार होने में कुछ साल लग सकते हैं इसलिए इस बीच में अमेरिका का एफ-18ए सुपर होरनेट या फिर फ्रांस का रफाल (एम) तैनात किया जा सकता है. इन दोनों फाइटर जेट के ट्रायल शुरु हो चुके हैं और फाइनल रिपोर्ट आने के बाद तय किया जाएगा कि कौन सा लड़ाकू विमान तैनात किया जाएगा. इस साल नबम्बर के महीने से मिग-29के फाइटर जेट विक्रांत पर तैनात होने शुरु हो जाएंगे.

निर्मित करने में कितनी लागत आई
ये 20,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हुआ है. इसका डिजाइन भारतीय नौसेना की अपनी संस्था वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है और इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कंपनी, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है. विक्रांत का निर्माण अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है और वह भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे विशाल निर्मित पोत है.

INS विक्रांत की कुल केबल बिछाने की लंबाई 2400 किमी है जो कोच्चि और दिल्ली के बीच की दूरी के बराबर है. विमानवाहक पोत के 2,300 डिब्बों में 1,700 नाविकों के लिए जगह है, साथ ही महिला अधिकारियों के लिए विशेष केबिन भी हैं, और यह एक छोटे से शहर को बिजली देने के लिए पर्याप्त बिजली पैदा करने में सक्षम है. सेना के मुताबिक, विक्रांत की किचन में एक दिन में 4800 लोगों का खाना तैयार किया जा सकता है और एक दिन में 10 हजार रोटियां सेंकी जा सकती हैं.

INS विक्रांत की ताकत क्या है?
किसी भी विमान-वाहक युद्धपोत की ताकत उसपर तैनात किए जाने वाले लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर होते हैं. समंदर में एयरक्राफ्ट कैरियर एक फ्लोटिंग एयरफील्ड के तौर पर काम करता है. उसपर तैनात फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर कई सौ मील दूर तक समंदर की निगरानी और सुरक्षा करते हैं. दुश्मन का कोई युद्धपोत तो क्या पनडुब्बी तक भी उसके आसपास फटकने की हिमाकत नहीं करती है. विक्रांत की टॉप स्पीड 28 नॉट्स है और ये एक बार में 7500 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकता है, यानी एक बार में भारत से निकलकर ब्राजील तक पहुंच सकता है. इसपर तैनात फाइटर जेट्स भी एक-दो हजार मील की दूरी तय कर सकते हैं.

विक्रांत पर जो रोटरी विंग एयरक्राफ्ट्स होंगे, उनमें छह एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर्स होंगे, जो दुश्मन की पनडुब्बियों पर खास नजर रखेंगे. भारत ने हाल ही में अमेरिका से ऐसे 24 मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर, एमएच-60आर यानी रोमियो हेलीकॉप्टर का सौदा किया है. इनमें से दो (02) रोमियो हेलीकॉप्टर भारत को मिल भी गए हैं. इसके अलावा दो टोही हेलीकॉप्टर और दो ही सर्च एंड रेस्कयू मिशन में इ‌स्तेमाल किए जाने वाले होंगे.

पढ़ें: देश को आज मिलेगा पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर IAC Vikrant, इसके बारे में जानें सबकुछ

IAC विक्रांत के चालू होने भारत की बढ़ेगी ताकत
IAC विक्रांत के चालू होने से भारत को पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर एक विमानवाहक पोत तैनात करने की अनुमति मिल जाएगी. यह क्षेत्र में भारतीय नौसेना की समुद्री उपस्थिति और क्षमताओं को भी बढ़ावा देगा.

नई दिल्ली: देश के लिए आज ऐतिहासिक दिन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) आज पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर 'आईएनएस विक्रांत' (INS Vikrant) भारतीय नौसेना (Indian Navy) को सौंपेंगे. यह भारत के समुद्री इतिहास में बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा जहाज है.

आइये जानते हैं इसकी खासियत

INS विक्रांत एयरक्राफ्ट करियर समुद्र के ऊपर तैरता एक एयरफोर्स स्टेशन है जहां से फाइटर जेट्स, मिसाइलें, ड्रोन के जरिए दुश्मनों के नापाक मंसूबों को नेस्तनाबूत किया जा सकता है. आईएनएस विक्रांत से 32 बराक-8 मिसाइलें दागी जा सकेंगी. 44,570 टन से अधिक वजनी, यह युद्धपोत 30 लड़ाकू जेट विमानों को समायोजित करने में सक्षम है और दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और निर्देशित बमों और रॉकेटों से परे जहाज-रोधी मिसाइलों से लैस है. यह विभिन्न विमानों को संभालने के लिए आधुनिक लॉन्च और रिकवरी सिस्टम से भी लैस है जैसे मिग -29 के लिए लूना लैंडिंग सिस्टम और सी हैरियर के लिए डीएपीएस लैंडिंग सिस्टम.

आईएनएस विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे
INS विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे, जिनमें 20 लड़ाकू विमान होंगे और 10 हेलीकॉप्टर होंगे. फिलहाल विक्रांत पर मिग-29के ('ब्लैक‌ पैंथर') फाइटर जेट तैनात होंगे और उसके बाद डीआरडीओ और एचएएल द्वारा तैयार किया जा रहा टीईडीबीएफ यानी टूइन इंजन डेक बेस्ड फाइटर जेट होगा. क्योंकि टीईडीबीएफ के पूरी तरह से तैयार होने में कुछ साल लग सकते हैं इसलिए इस बीच में अमेरिका का एफ-18ए सुपर होरनेट या फिर फ्रांस का रफाल (एम) तैनात किया जा सकता है. इन दोनों फाइटर जेट के ट्रायल शुरु हो चुके हैं और फाइनल रिपोर्ट आने के बाद तय किया जाएगा कि कौन सा लड़ाकू विमान तैनात किया जाएगा. इस साल नबम्बर के महीने से मिग-29के फाइटर जेट विक्रांत पर तैनात होने शुरु हो जाएंगे.

निर्मित करने में कितनी लागत आई
ये 20,000 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित हुआ है. इसका डिजाइन भारतीय नौसेना की अपनी संस्था वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है और इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कंपनी, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है. विक्रांत का निर्माण अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है और वह भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे विशाल निर्मित पोत है.

INS विक्रांत की कुल केबल बिछाने की लंबाई 2400 किमी है जो कोच्चि और दिल्ली के बीच की दूरी के बराबर है. विमानवाहक पोत के 2,300 डिब्बों में 1,700 नाविकों के लिए जगह है, साथ ही महिला अधिकारियों के लिए विशेष केबिन भी हैं, और यह एक छोटे से शहर को बिजली देने के लिए पर्याप्त बिजली पैदा करने में सक्षम है. सेना के मुताबिक, विक्रांत की किचन में एक दिन में 4800 लोगों का खाना तैयार किया जा सकता है और एक दिन में 10 हजार रोटियां सेंकी जा सकती हैं.

INS विक्रांत की ताकत क्या है?
किसी भी विमान-वाहक युद्धपोत की ताकत उसपर तैनात किए जाने वाले लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर होते हैं. समंदर में एयरक्राफ्ट कैरियर एक फ्लोटिंग एयरफील्ड के तौर पर काम करता है. उसपर तैनात फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर कई सौ मील दूर तक समंदर की निगरानी और सुरक्षा करते हैं. दुश्मन का कोई युद्धपोत तो क्या पनडुब्बी तक भी उसके आसपास फटकने की हिमाकत नहीं करती है. विक्रांत की टॉप स्पीड 28 नॉट्स है और ये एक बार में 7500 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकता है, यानी एक बार में भारत से निकलकर ब्राजील तक पहुंच सकता है. इसपर तैनात फाइटर जेट्स भी एक-दो हजार मील की दूरी तय कर सकते हैं.

विक्रांत पर जो रोटरी विंग एयरक्राफ्ट्स होंगे, उनमें छह एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर्स होंगे, जो दुश्मन की पनडुब्बियों पर खास नजर रखेंगे. भारत ने हाल ही में अमेरिका से ऐसे 24 मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर, एमएच-60आर यानी रोमियो हेलीकॉप्टर का सौदा किया है. इनमें से दो (02) रोमियो हेलीकॉप्टर भारत को मिल भी गए हैं. इसके अलावा दो टोही हेलीकॉप्टर और दो ही सर्च एंड रेस्कयू मिशन में इ‌स्तेमाल किए जाने वाले होंगे.

पढ़ें: देश को आज मिलेगा पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर IAC Vikrant, इसके बारे में जानें सबकुछ

IAC विक्रांत के चालू होने भारत की बढ़ेगी ताकत
IAC विक्रांत के चालू होने से भारत को पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर एक विमानवाहक पोत तैनात करने की अनुमति मिल जाएगी. यह क्षेत्र में भारतीय नौसेना की समुद्री उपस्थिति और क्षमताओं को भी बढ़ावा देगा.

Last Updated : Sep 2, 2022, 10:38 AM IST
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