नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले नरेंद्र मोदी सरकार के लिए इस बार का स्वतंत्रता दिवस इस कार्यकाल का आखिरी स्वतंत्रता दिवस होगा, जब प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से लोगों को संबोधित करेंगे. ज़ाहिर है इस बार लोगों की नजरें प्रधानमंत्री के भाषण पर टिकी होंगी. वैसे भी इस बार के स्वतंत्रता दिवस के लिए काफी तैयारियां की गई हैं और पूर्वोत्तर राज्यों के सरपंचों के साथ-साथ लगभग 1,800 मेहमान विशेष अतिथि के तौर पर बुलाए गए हैं.
प्रधानमंत्री अपने भाषण में किन-किन बातों का ज़िक्र करेंगे, यह देखना खास होगा. इस महीने की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री ने जब केंद्रीय मंत्रिमंडल के समूह से मुलाकात की थी, तो सभी मंत्रियों से पूछा था कि वे अपने-अपने मंत्रालयों की कोई ऐसी उपलब्धियां बताएं, जिससे वह लाल किले की प्राचीर से लोगों को बता सकें या फिर कोई ऐसी योजना जो आगे जनता के लिए बहुमूल्य साबित हो. प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार सभी मंत्रालय ने अपने-अपने मंत्रालय की खास बातों और इस स्कीम को लिखित तौर पर प्रधानमंत्री तक पहुंचा दिया था.
प्रधानमंत्री मोदी इस बार लाल किले से अपने 10वें संबोधन में क्या कहेंगे, ये एक बड़ा सवाल है. ये उनके इस कार्यकाल का आखिरी स्वतंत्रता दिवस है, इसके बाद अगले साल चुनाव होने वाले है, इसलिए उनके संबोधन का फोकस राष्ट्रीय और सामाजिक मुद्दे तो होंगे ही, चुनावी मुद्दे भी हो सकते हैं.
ऐसी जानकारी सामने आई थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले महीने ही कैबिनेट मीटिंग के दौरान अपने मंत्रियों को ताकीद कर चुके हैं कि वे अपने मंत्रालय का कोई सबसे अच्छा काम, उपलब्धि के तौर पर बताएं जिसका ज़िक्र वे लाल किले से अपने भाषण में करेंगे. मंत्री उन्हें भविष्य की किसी योजना के बारे में भी बता सकते हैं. सूत्रों की माने तो मंत्रालयों से जो ब्योरा मांगा गया था वो कुछ इस तरह था...
1. मंत्रालय की उपलब्धियां और भविष्य केंद्रित योजनाएं क्या हैं?
2. क्या मंत्रालय के पास कोई ऐसी कार्ययोजना है, जिसको लालकिले से जनता को बताया जा सके?
3. क्या उक्त मंत्रालय से संबंधित कुछ ऐसी उपलब्धि है, जो लाल किले से बताई जा सकती है और जिसका ऐलान लाल किले से किया जा सकता है?
मंत्रियों को अपनी सूची 3 से 4 अगस्त तक स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडविया के पास जमा करानी थी, जिसे मंत्रियों ने करवा दिया था. सूत्रों की माने तो इस बार लाल किले की प्राचीर से बाकी उपलब्धियों के अलावा पीएम अगले 25 साल का एजेंडा भी देश के सामने रख सकते हैं. साथ ही प्रधानमंत्री, गुलामी के प्रतीकों से कैसे सरकार ने मुक्ति दिलाने का काम किया है, इसका भी जिक्र करेंगे. इनमें सीआरपीसी, आईपीसी और एविडेंस एक्ट में बदलाव के लिए संसद में पेश किए गए विधेयक शामिल हैं, उनका भी जिक्र कर सकते हैं.
लाल किले की प्राचीर से पीएम मणिपुर में शांति की अपील और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बड़ी घोषणा भी कर सकते हैं. जम्मू कश्मीर के माहौल और वहां मनाए जा रहे, तिरंगा यात्रा का भीं जिक्र हो सकता है. साथ ही पाकिस्तान के एजेंडे और मंसूबों पर कैसे भारत ने पानी फेरा है इस पर भी वे गरज सकते हैं. माना जा रहा है कि मोदी अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर पर विकास के कामों में तेजी और तैयार किए जा रहे इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में भी जिक्र कर सकते हैं.
भाषण में उल्लेख उग्रवादियों के सफाए और दलित-पिछड़े वर्ग की महिलाओं के विकास के लिए किए गए कार्यों का भी हो सकता है. इस कार्यक्रम में भाग लेने अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखण्ड एवं केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सीमावर्ती 207 ग्रामों के सरपंच भी आने वाले हैं, जिन्हें गृह मंत्रालय ने देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विशेष रूप से आमंत्रित किया है. सोमवार को केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने उनसे बातचीत भी की.
इस मौके पर उत्तराखंड और नॉर्थ ईस्ट से आए सरपंचों से ईटीवी भारत ने बात की, साथ ही केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी बताया कि इनमें से ज्यादातर सरपंच पहली बार दिल्ली पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि ये पीएम के द्वारा बनाया गया वाइब्रेंट कार्यक्रम है, जिसमें देशभर से लोग शामिल होंगे. इसलिए केंद्रीय मंत्रियों को भी कहा गया है कि वो गांव-कस्बों में जाएं और वहां रात्रि विश्राम भी करें.