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आसियान-भारत सम्मेलन : प्रधानमंत्री नौवीं बार करेंगे शिरकत, जानिए किन मुद्दों पर होगी बात - East Asia Summit

दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन (ASEAN) की बैठक इस बार वर्चुअल तरीके से आयोजित होगी. आसियान समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नौवीं बार शामिल होंगे. 28 अक्टूबर को आसियान समिट में कोविड-19 के अलावा आसियान देशों के साथ भारत की साझेदारी पर चर्चा किए जाने की संभावना है. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान में यह जानकारी दी गई.

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Published : Oct 26, 2021, 7:56 AM IST

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को ब्रुनेई के सुल्तान हसनल बोलकिया के आमंत्रण पर 18वें दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन, आसियान-भारत सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी, कोविड-19 व स्वास्थ्य, व्यापार, शिक्षा व संपर्क सहित अन्य प्रमुख क्षेत्रों में हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल नवंबर में 17वें आसियान सम्मेलन में हिस्सा लिया था. इस बार वह नौवें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.

सोमवार को एक बयान में पीएमओ ने कहा कि डिजिटल माध्यम से होने वाले आसियान सम्मेलन में आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष व सरकारों के मुखिया भाग लेंगे. यह सम्मेलन प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है जो आसियान व भारत को शीर्ष स्तर पर संवाद का मौका प्रदान करता है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा
पीएमओ ने कहा कि इस आयोजन से एक दिन पहले बुधवार को प्रधानमंत्री 16वें पूर्वी-एशिया शिखर सम्मेलन (16th East Asia Summit) में भी डिजिटल माध्यम से हिस्सा लेंगे. इस सम्मेलन में समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद सहित क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय हित के मुद्दों व चिंताओं पर चर्चा की जाएगी.

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन भारत-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों और क्षेत्र में एक प्रमुख विश्वास-निर्माण तंत्र पर चर्चा करने के लिए एक प्रमुख नेतृत्व-प्रधान मंच है. पूर्वी एशिया के रणनीतिक और भौगोलिक अभ्युदय में इस मंच ने अहम भमिका निभाई है. इसमें 10 आसियान देशों के सदस्यों के अलावा भारत, चीन, जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस शामिल हैं.

पीएमओ ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रुनेई के सुल्तान के आमंत्रण पर डिजिटल माध्यम से होने वाले 18वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में 28 अक्टूबर को हिस्सा लेंगे.' पिछले कुछ वर्षों में भारत और आसियान देशों के बीच संबंधों में प्रगति देखी गई है. इस दौरान व्यापार और निवेश के साथ ही सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग को आगे ले जाने को केंद्र में रखा गया.

पीएमओ ने कहा कि आसियान-भारत साझेदारी साझा भौगोलिक, ऐतिहासिक और सभ्यता के मजबूत आधारों पर आधारित है. आसियान समूह शुरू से भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' और हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर व्यापक दृष्टिकोण का मूल केंद्र रहा है. वर्ष 2022 आसियान-भारत संबंधों के 30 वर्षों का गवाह बनेगा.

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी ने 'पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन' का किया शुभारंभ

ज्ञात हो कि आसियान का उद्देश्य साझे हित एवं चिंता के राजनैतिक एवं सुरक्षा मुद्दों पर रचनात्मक संवाद को बढ़ावा देना और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विश्वास बहाली एवं निरोधात्मक राजनय की दिशा में किए जाने वाले प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देना है.

आसियान सदस्य देशों की संख्या
आसियान की स्थापना आसियान के संस्थापक सदस्यों, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन्स, सिंगापुर और थाईलैंड द्वारा आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ ही 8 अगस्त, 1967 को बैंकॉक की राजधानी थाइलैंड में की गयी थी. ब्रुनेई 1994 में, वियतनाम 1995 में, लाओ पीडीआर तथा म्यांमार 1997 में और बाद में कंबोडिया इस समूह में शामिल हुए जिसके फलस्वरूप आसियान के सदस्य देशों की संख्या 10 हो गई.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को ब्रुनेई के सुल्तान हसनल बोलकिया के आमंत्रण पर 18वें दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन, आसियान-भारत सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में आसियान-भारत रणनीतिक साझेदारी, कोविड-19 व स्वास्थ्य, व्यापार, शिक्षा व संपर्क सहित अन्य प्रमुख क्षेत्रों में हुई प्रगति की समीक्षा की जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल नवंबर में 17वें आसियान सम्मेलन में हिस्सा लिया था. इस बार वह नौवें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.

सोमवार को एक बयान में पीएमओ ने कहा कि डिजिटल माध्यम से होने वाले आसियान सम्मेलन में आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष व सरकारों के मुखिया भाग लेंगे. यह सम्मेलन प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है जो आसियान व भारत को शीर्ष स्तर पर संवाद का मौका प्रदान करता है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा
पीएमओ ने कहा कि इस आयोजन से एक दिन पहले बुधवार को प्रधानमंत्री 16वें पूर्वी-एशिया शिखर सम्मेलन (16th East Asia Summit) में भी डिजिटल माध्यम से हिस्सा लेंगे. इस सम्मेलन में समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद सहित क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय हित के मुद्दों व चिंताओं पर चर्चा की जाएगी.

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन भारत-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण रणनीतिक मुद्दों और क्षेत्र में एक प्रमुख विश्वास-निर्माण तंत्र पर चर्चा करने के लिए एक प्रमुख नेतृत्व-प्रधान मंच है. पूर्वी एशिया के रणनीतिक और भौगोलिक अभ्युदय में इस मंच ने अहम भमिका निभाई है. इसमें 10 आसियान देशों के सदस्यों के अलावा भारत, चीन, जापान, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस शामिल हैं.

पीएमओ ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रुनेई के सुल्तान के आमंत्रण पर डिजिटल माध्यम से होने वाले 18वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में 28 अक्टूबर को हिस्सा लेंगे.' पिछले कुछ वर्षों में भारत और आसियान देशों के बीच संबंधों में प्रगति देखी गई है. इस दौरान व्यापार और निवेश के साथ ही सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग को आगे ले जाने को केंद्र में रखा गया.

पीएमओ ने कहा कि आसियान-भारत साझेदारी साझा भौगोलिक, ऐतिहासिक और सभ्यता के मजबूत आधारों पर आधारित है. आसियान समूह शुरू से भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' और हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर व्यापक दृष्टिकोण का मूल केंद्र रहा है. वर्ष 2022 आसियान-भारत संबंधों के 30 वर्षों का गवाह बनेगा.

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी ने 'पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन' का किया शुभारंभ

ज्ञात हो कि आसियान का उद्देश्य साझे हित एवं चिंता के राजनैतिक एवं सुरक्षा मुद्दों पर रचनात्मक संवाद को बढ़ावा देना और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विश्वास बहाली एवं निरोधात्मक राजनय की दिशा में किए जाने वाले प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देना है.

आसियान सदस्य देशों की संख्या
आसियान की स्थापना आसियान के संस्थापक सदस्यों, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन्स, सिंगापुर और थाईलैंड द्वारा आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ ही 8 अगस्त, 1967 को बैंकॉक की राजधानी थाइलैंड में की गयी थी. ब्रुनेई 1994 में, वियतनाम 1995 में, लाओ पीडीआर तथा म्यांमार 1997 में और बाद में कंबोडिया इस समूह में शामिल हुए जिसके फलस्वरूप आसियान के सदस्य देशों की संख्या 10 हो गई.

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