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कर्नाटक: फिर सामने आया परसेंटेड इश्यू, ठेकेदार ने की दया मृत्यु की मांग

कर्नाटक (Karnataka) के हुबली में परसेंटेड इश्यू (Percentage Issue) एक बार फिर से सामने आया है. कुछ समय पहले संतोष नाम के एक ठेकेदार (Contractor) ने इसी समस्या के चलते आत्महत्या कर ली थी. अब इसी समस्या के चलते एक और ठेकेदार ने दया मृत्यु के लिए आवेदन किया है.

ठेकेदार ने की दया मृत्यु की मांग
ठेकेदार ने की दया मृत्यु की मांग
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Published : Oct 31, 2022, 5:02 PM IST

हुबली (कर्नाटक): प्रदेश (Karnataka) में एक बार फिर परसेंटेज इश्यू (Percentage Issue) का शोर शुरू हो गया है. ठेकेदार संतोष ने पहले प्रतिशत के कारण आत्महत्या कर ली थी. अब एक अन्य ठेकेदार (Contractor) ने दया मृत्यु के लिए आवेदन किया है और राज्य सरकार के व्यवहार ने तीखी बहस को जन्म दे दिया है. एक खत्म होते ही राज्य सरकार को एक और कांटा लगना शुरू हो गया है. ठेकेदार संतोष की आत्महत्या के मामले में केएस ईश्वरप्पा को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा.

अब एक अन्य ठेकेदार अधिकारियों की प्रतिशत मांग से तंग आकर इच्छामृत्यु की अपील कर चुका है. हुबली स्थित बसवराज वह ठेकेदार है, जिसने इच्छामृत्यु के लिए आवेदन किया था. देखा जाए तो उसने कोई ठेका का काम नहीं किया है. इसके बजाय उसने कोविड की आपात स्थिति के दौरान ग्राम पंचायतों को कोविड उपकरण की आपूर्ति करने का काम किया. उसने कानून के अनुसार सभी प्रक्रियाएं पूरी की थीं और उपकरणों की आपूर्ति की थी.

सामग्री की आपूर्ति किए दो साल बीत जाने के बावजूद बिल का भुगतान नहीं किया गया है. जानकारी के अनुसार हुबली के निवासी ठेकेदार बसवराज ने चिकमगलूर जिले के कदुर और मुदिगेरे तालुकों में ग्राम पंचायतों को कोविड उपकरण की आपूर्ति की थी. कुल 69 पंचायतों को उपकरण दिए गए. 2020-21 में, केंद्र और राज्य सरकारों के आदेश पत्र के अनुसार, उसने मुदिगेरे तालुक को 27 लाख और कदुर तालुक को 85 लाख रुपये के उपकरण की आपूर्ति की थी.

दो साल की आपूर्ति के बाद भी बिल का भुगतान नहीं किया गया है. पंचायत के कार्यपालक अधिकारी बिलों का भुगतान नहीं करते हैं. कडूर ईओ देवराज नायक के पास से कमीशन की रकम मांगने का आरोप सुनने को मिला. उसने कुल बिल का 40 फीसदी से ज्यादा किसी और के नाम पर मांगा है. मैंने कर्ज चुका दिया है और सामग्री उपलब्ध करा दी है. बसवराज पूछ रहा है कि मैं पैसे कहां से दूं.

विधायक के नाम पर पैसे की मांग का आरोप: हैरानी की बात यह है कि विधायक के नाम पर पैसे की मांग की जाती है. प्रतिशत का भुगतान न करने की पृष्ठभूमि बिल के लंबित रहने की है. ठेकेदार बसवराज ने आरोप लगाया कि भले ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री बोम्मई कार्यालय से आने वाले आदेश की भी उन्हें परवाह नहीं है.

पढ़ें: Gujarat bridge collapse : कांग्रेस ने की मोरबी हादसे की न्यायिक जांच की मांग

अपर मुख्य सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग के निर्देश के बावजूद बिल जारी नहीं किया गया है. इस बीच, लेनदार परेशानी दे रहे हैं. शिकायतकर्ता ने यह भी कहा कि वह इच्छामृत्यु के लिए जा रहा है. ए. बसवराज ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री से इच्छामृत्यु की अपील की. कुल मिलाकर राज्य सरकार के प्रतिशत ने शोर मचाना शुरू कर दिया है.

हुबली (कर्नाटक): प्रदेश (Karnataka) में एक बार फिर परसेंटेज इश्यू (Percentage Issue) का शोर शुरू हो गया है. ठेकेदार संतोष ने पहले प्रतिशत के कारण आत्महत्या कर ली थी. अब एक अन्य ठेकेदार (Contractor) ने दया मृत्यु के लिए आवेदन किया है और राज्य सरकार के व्यवहार ने तीखी बहस को जन्म दे दिया है. एक खत्म होते ही राज्य सरकार को एक और कांटा लगना शुरू हो गया है. ठेकेदार संतोष की आत्महत्या के मामले में केएस ईश्वरप्पा को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा.

अब एक अन्य ठेकेदार अधिकारियों की प्रतिशत मांग से तंग आकर इच्छामृत्यु की अपील कर चुका है. हुबली स्थित बसवराज वह ठेकेदार है, जिसने इच्छामृत्यु के लिए आवेदन किया था. देखा जाए तो उसने कोई ठेका का काम नहीं किया है. इसके बजाय उसने कोविड की आपात स्थिति के दौरान ग्राम पंचायतों को कोविड उपकरण की आपूर्ति करने का काम किया. उसने कानून के अनुसार सभी प्रक्रियाएं पूरी की थीं और उपकरणों की आपूर्ति की थी.

सामग्री की आपूर्ति किए दो साल बीत जाने के बावजूद बिल का भुगतान नहीं किया गया है. जानकारी के अनुसार हुबली के निवासी ठेकेदार बसवराज ने चिकमगलूर जिले के कदुर और मुदिगेरे तालुकों में ग्राम पंचायतों को कोविड उपकरण की आपूर्ति की थी. कुल 69 पंचायतों को उपकरण दिए गए. 2020-21 में, केंद्र और राज्य सरकारों के आदेश पत्र के अनुसार, उसने मुदिगेरे तालुक को 27 लाख और कदुर तालुक को 85 लाख रुपये के उपकरण की आपूर्ति की थी.

दो साल की आपूर्ति के बाद भी बिल का भुगतान नहीं किया गया है. पंचायत के कार्यपालक अधिकारी बिलों का भुगतान नहीं करते हैं. कडूर ईओ देवराज नायक के पास से कमीशन की रकम मांगने का आरोप सुनने को मिला. उसने कुल बिल का 40 फीसदी से ज्यादा किसी और के नाम पर मांगा है. मैंने कर्ज चुका दिया है और सामग्री उपलब्ध करा दी है. बसवराज पूछ रहा है कि मैं पैसे कहां से दूं.

विधायक के नाम पर पैसे की मांग का आरोप: हैरानी की बात यह है कि विधायक के नाम पर पैसे की मांग की जाती है. प्रतिशत का भुगतान न करने की पृष्ठभूमि बिल के लंबित रहने की है. ठेकेदार बसवराज ने आरोप लगाया कि भले ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री बोम्मई कार्यालय से आने वाले आदेश की भी उन्हें परवाह नहीं है.

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अपर मुख्य सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज विभाग के निर्देश के बावजूद बिल जारी नहीं किया गया है. इस बीच, लेनदार परेशानी दे रहे हैं. शिकायतकर्ता ने यह भी कहा कि वह इच्छामृत्यु के लिए जा रहा है. ए. बसवराज ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री से इच्छामृत्यु की अपील की. कुल मिलाकर राज्य सरकार के प्रतिशत ने शोर मचाना शुरू कर दिया है.

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