बूंदी. फिल्म अभिनेत्री और बिग बॉस फेम पायल रोहतगी का बूंदी न्यायालय में केस चल रहा है. मुकदमा भी नेहरू गांधी परिवार पर अशोभनीय टिप्पणी करने से जुड़ा हुआ है. यह मामला बीते 4 सालों से चल रहा है. इसमें पायल की तरफ से जमानत करवाने वाले वकील भूपेंद्र सहाय सक्सेना ही पैरवी कर रहे थे, लेकिन 22 मार्च 2023 की पेशी के बाद उन्होंने वकील से एनओसी ले ली है. इस मामले में आज पेशी के दौरान पायल रोहतगी स्वयं उपस्थित हुईं. उनके साथ पैरवी करने के लिए कोई भी अधिवक्ता आज नहीं था.
इस मामले में पायल रोहतगी और उनके वकील भूपेंद्र सहाय सक्सेना से फीस का विवाद सामने आ रहा है. एडवोकेट के केस लड़ने की फीस मांगने के बाद मामला बिगड़ गया. साथ ही इसमें लंबी तारीख नहीं लेने का विवाद भी शामिल है. इसके बाद ही पायल रोहतगी ने निशुल्क विधिक सेवा के लिए आवेदन किया है. जबकि साल 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार उनकी संपत्ति करीब 20 करोड़ के आसपास है. इसपर भी करोड़पति अभिनेत्री भी निशुल्क कानूनी सहायता चाहती हैं.
हाईकोर्ट में भी बदल चुकी हैं कई अधिवक्ता - न्यायालय के सूत्रों के अनुसार पायल रोहतगी ने कुछ पैसा एडवोकेट को बतौर फीस दिया था, लेकिन एडवोकेट के अनुसार वह कम था. विधिक सेवा प्राधिकरण बूंदी की सचिव सुमन गुप्ता ने पायल रोहतगी के निशुल्क अधिवक्ता नियुक्त करवाने की एप्लीकेशन की पुष्टि की है. सेक्रेटरी गुप्ता का कहना है कि लीगल एड के लिए पायल रोहतगी की एप्लीकेशन मिली है. इसमें वे अपना एडवोकेट विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए नियुक्त करवाना चाहती हैं. कानूनी रूप से इसमें जो भी उचित होगा वैसी कार्रवाई आगे की जाएगी. हालांकि इस मामले में एडवोकेट भूपेंद्र सहाय सक्सेना ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है. दूसरी तरफ इनके राजस्थान हाईकोर्ट में चल रहे मामले में भी यह कई वकीलों को बदल चुकी हैं.
दो दर्जन पेशियों पर नहीं आईं पायल - बूंदी न्यायालय के सूत्रों के अनुसार पायल रोहतगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के बाद बूंदी के देवपुरा थाना पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. उन्हें न्यायालय में पेश किया जहां से उन्हें जेसी हो गई थी. बाद में उन्हें डीजे कोर्ट से जमानत भी मिली थी. चार्जशीट फाइल होने के बाद भी उसके बाद करीब दो दर्जन पेशी हो गई, लेकिन जमानत के बाद एक बार भी नहीं आई हैं. हर बार उनके एडवोकेट भूपेंद्र सहाय सक्सेना उन्हें हाईकोर्ट में चल रहे 482 के केस के मामले का हवाला देकर हाजिरी माफी दिलाते रहे हैं.
पासपोर्ट भी करवाया है रिन्यूअल - नेहरू गांधी पर अशोक ने टिप्पणी के इस केस के चलते पायल रोहतगी का पासपोर्ट भी रिन्यूअल नहीं हो रहा था और उन्हें विदेश जाने में भी समस्या आ रही थी. ऐसे में दो बार पासपोर्ट का रिन्यूअल भी हुआ है. इसमें एक बार एक साल और दूसरी बार 10 साल के लिए रिन्यूअल हुआ है. दूसरी बार पासपोर्ट रिन्यूअल के दौरान एसीजेएम कोर्ट के न्यायाधीश ने 24 अप्रैल को पायल रोहतगी को उपस्थित होने के लिए निर्देशित करवा दिया था. हालांकि पायल रोहतगी और उनके लॉयर एडवोकेट भूपेंद्र सहाय सक्सेना के बीच फीस व लंबी तारीख नहीं लेने को लेकर विवाद हो गया. इसके बाद पायल रोहतगी ने लॉयर से एनओसी मांग ली है.
कौन ले सकता है निशुल्क लीगल एड - विधिक सेवा प्राधिकरण कोटा के सेक्रेटरी प्रवीण कुमार वर्मा का कहना है कि जो आरोपी न्यायालय में अपना वकील खड़ा कर पाने में असक्षम होते हैं, उनको राज्य सरकार विधिक सहायता समिति के जरिए अधिवक्ता उपलब्ध करवाती है. इसमें पुरुषों के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिए निशुल्क विधिक सेवा लेने के लिए आमदनी की लिमिट है. पुरुषों की आमदनी सालाना 3 लाख रुपए से कम होने पर ही उन्हें विधिक सेवा मिल सकती है जबकि महिलाओं के लिए आमदनी की कोई सीमा नहीं है. महिलाएं कितनी भी आमदनी होने पर भी निशुल्क विधिक सेवा ले सकती है.