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पटना के आजाद आलम की लघु फिल्म 'Together' दिखेगी सात समंदर पार, न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में शामिल

बिहार के युवा हर क्षेत्र में अपना डंका बजा रहे हैं. अब फिल्म इंडस्ट्री में भी प्रदेश का नाम देश सहित विदेश में चमक रहा है. बिहार के आजाद आलम (Bihar Director Azad Alam) की शार्ट फिल्म टुगेदर को 22वें न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में शामिल किया गया है. ईटीवी भारत से आजाद ने खास बातचीत की है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

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Published : May 7, 2022, 7:05 AM IST

न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल
न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल

पटना: बिहारी प्रतिभा का जलवा अब न्यूयॉर्क में भी देखने को मिलेगा. उत्तरी अमेरिका के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक 22वां न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल (New York Indian Film Festival) 7 मई से 14 मई के बीच आयोजित हो रहा है. इसमें भारत और भारतीय डायस्पोरा की फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा. 36 शॉर्ट फिल्मों का प्रीमियर इस फिल्म फेस्टिवल में होगा. इन्हीं 36 शॉर्ट फिल्मों में शामिल है एक फिल्म 'टुगेदर' (Film Together) जिसके लेखक और निर्माता पटना के अनिशाबाद के रहने वाले आजाद आलम हैं. ईटीवी भारत ने फिल्म 'टुगेदर' आजाद आलम से एक्सक्लूसिव बात की है.

पढ़ें- ETV Bharat से बोलीं अभिनेत्री नीतू चंद्र श्रीवास्तव- 'बिहार में फिल्म पॉलिसी की कमी, सीएम नीतीश करेंगे समाधान'

'फिल्म 'टुगेदर' कोरोना के दूसरे लहर की कहानी': आजाद आलम ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि यह फिल्म 'टुगेदर' कोरोना के दूसरे लहर के समय की एक कहानी है, जिसमें दो अलग-अलग सामाजिक स्तर के महिलाओं की कहानी दिखाई गई है. इस कहानी में दिखाया गया है कि दोनों कैसे कोएक्जिस्टेंस के साथ कोरोना के समय को सरवाइव करती हैं. उन्होंने कहा कि इस फिल्म में संदेश दिया गया है कि कैसे आपदा के समय में एक दूसरे का सहयोग करके ही सुरक्षित रह सकते हैं.

न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में देखी जाएगी फिल्म: निर्देशक आजाद आलम बताते हैं कि लड़ाई के कई माध्यम होते हैं लेकिन जो फोकस होता है वह टुगेदर्नेस का होता है. एक दूसरे को दर्द को समझकर और बांटकर ही प्रतिकूल समय की स्थिति से उबर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गौरव का क्षण है कि 36 शॉर्ट फिल्में जिनका प्रीमियर होना है उसमें एक फिल्म इनका भी है. इस फिल्म की कहानी को उन्होंने खुद लिखा है और इसमें सहयोग किया है प्रियंका सिंह ने जो इंडियन वुमन सिनेमैटोग्राफर्स कलेक्टिव की एक सदस्य भी हैं. प्रियंका सिंह की निर्देशित फिल्म मौन को लास एंजिल्स एशियन पेसिफिक फिल्म फेस्टिवल में 2020 में भारत के सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला था.

'महिलाओं पर बनी फिल्म': आजाद आलम ने बताया कि पूरी फिल्म की शूटिंग मुंबई में हुई है और कलाकार भी बिहार के बाहर के हैं. इस फिल्म में महिलाओं की कहानी दिखाई गई है उसमें उच्च मध्यम वर्ग की महिला का किरदार नताशा रस्तोगी ने निभाया है और जो उनकी मेड की किरदार को निभाई है वह मुनमुन हैं. आजाद आलम ने बताया कि बिहार के कलाकारों में टैलेंट की कमी नहीं है और मुंबई में काफी संख्या में बिहार के कलाकार, लेखक और निर्देशक मिलते हैं. मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े जितने काम होते हैं, उन सभी क्षेत्रों में देश के कोने कोने में बिहारी प्रतिभा देखने को मिलते हैं.

"बिहार के कलाकार मुंबई जाकर काम करते हैं और अन्य प्रदेशों में जाकर काम करते हैं. सरकार को सोचना चाहिए कि आखिर क्यों ऐसा हो रहा है. इसका कारण है कि उनके प्रदेश में फिल्मों के निर्माण को लेकर उस प्रकार का वातावरण नहीं है. बिहार में अगर फिल्मों को लेकर वातावरण बेहतर बनता है तो मैं और मेरे जैसे निर्देशक बिहार में ही फिल्म बनाना चाहेंगे."-आजाद आलम, लेखक और निर्माता

'फिल्म फेस्टिवल कलाकारों के लिए है बेहद जरूरी': आजाद आलम ने बताया कि फिल्म फेस्टिवल अपकमिंग फिल्म मेकर्स के लिए बहुत अच्छा प्लेटफार्म होता है. यहां उनके टैलेंट को कंसीडर किया जाता है. उन्होंने कहा कि मार्केट ओरिएंटेड फिल्म करने के लिए एक होड़ लगी हुई है. इसमें होता यह है कि एक ही फ्लेवर की कई फिल्में आ जाती हैं. सब लोग वही करने लगते हैं जो लगता है कि चल रहा है. कुछ नया नहीं आ पाता. किसी भी निर्देशक और मीडिया कर्मी का फोकस होता है कि उन्हें लोगों की बातों को सामने रखना है. इस प्रकार के फिल्म फेस्टिवल का अधिक से अधिक होना जरूरी है क्योंकि इसके कारण कलाकारों की आर्टिस्टिक एबिलिटी जिंदा रहती है.

'ओटीटी प्लेटफॉर्म शॉर्ट फिल्मों के लिए वरदान': आलम बताते हैं कि फिल्म फेस्टिवल से कलाकारों को एक उम्मीद रहती है कि सब कुछ मार्केट के भरोसे नहीं चल रहा है. लोग हैं जो अच्छे कंटेंट को देखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पहले शार्ट फिल्में फिल्म फेस्टिवल को लेकर ही बनाई जाती थी. लेकिन अब विभिन्न प्रकार के ओटीटी प्लेटफॉर्म के आने के वजह से शॉर्ट फिल्मों का निर्माण बढ़ गया है. शॉर्ट फिल्मों को दर्शक मिल रहे हैं और इसके साथ ही साथ फिल्मों के खरीदार भी मिल रहे हैं. छोटी और अच्छी कहानी भी चल रही है और कलाकारों को प्रोत्साहन भी प्राप्त हो रहा है. बड़े-बड़े आर्टिस्ट अब शॉर्ट फिल्में करना शुरू कर दिए हैं. अब शॉर्ट फिल्मों का लिमिटेड स्कोप नहीं रह गया है बल्कि एक खुला बाजार उपलब्ध हो गया है.

आजाद की अप कमिंग मूवी: आजाद आलम ने बताया कि आने वाले दिनों में वह फिर से दो औरतों की कहानी ला रहे हैं. यह फिल्म मां बेटी की कहानी है,मूवी का नाम है सोल कैफे. इसकी कहानी वह लिख चुके हैं और मानसून के बाद इसकी शूटिंग शुरू होने जा रही है. इस कहानी में ऐसा है कि परिवार के अंदर एक दूसरे के प्रति इश्यू पाले हुए हैं और यह बढ़ते जा रही है. एक दिन यह बढ़ते बढ़ते अचानक फट पड़ता है और उसके बाद इसमें देखना होगा कि परिवार एकजुट होता है या बिखर जाता है. आजाद आलम ने बताया कि 22 वां न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल का लाइव स्ट्रीमिंग भी किया जाएगा. nyiff.us पर 7 मई से 14 मई के बीच लोग फिल्म फेस्टिवल के लिए चयनित तमाम फिल्मों को देख सकते हैं. इसके लिए उन्हें कुछ मामूली शुल्क रेंट के तौर पर देना होगा.



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पटना: बिहारी प्रतिभा का जलवा अब न्यूयॉर्क में भी देखने को मिलेगा. उत्तरी अमेरिका के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक 22वां न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल (New York Indian Film Festival) 7 मई से 14 मई के बीच आयोजित हो रहा है. इसमें भारत और भारतीय डायस्पोरा की फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा. 36 शॉर्ट फिल्मों का प्रीमियर इस फिल्म फेस्टिवल में होगा. इन्हीं 36 शॉर्ट फिल्मों में शामिल है एक फिल्म 'टुगेदर' (Film Together) जिसके लेखक और निर्माता पटना के अनिशाबाद के रहने वाले आजाद आलम हैं. ईटीवी भारत ने फिल्म 'टुगेदर' आजाद आलम से एक्सक्लूसिव बात की है.

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'फिल्म 'टुगेदर' कोरोना के दूसरे लहर की कहानी': आजाद आलम ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि यह फिल्म 'टुगेदर' कोरोना के दूसरे लहर के समय की एक कहानी है, जिसमें दो अलग-अलग सामाजिक स्तर के महिलाओं की कहानी दिखाई गई है. इस कहानी में दिखाया गया है कि दोनों कैसे कोएक्जिस्टेंस के साथ कोरोना के समय को सरवाइव करती हैं. उन्होंने कहा कि इस फिल्म में संदेश दिया गया है कि कैसे आपदा के समय में एक दूसरे का सहयोग करके ही सुरक्षित रह सकते हैं.

न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल में देखी जाएगी फिल्म: निर्देशक आजाद आलम बताते हैं कि लड़ाई के कई माध्यम होते हैं लेकिन जो फोकस होता है वह टुगेदर्नेस का होता है. एक दूसरे को दर्द को समझकर और बांटकर ही प्रतिकूल समय की स्थिति से उबर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए गौरव का क्षण है कि 36 शॉर्ट फिल्में जिनका प्रीमियर होना है उसमें एक फिल्म इनका भी है. इस फिल्म की कहानी को उन्होंने खुद लिखा है और इसमें सहयोग किया है प्रियंका सिंह ने जो इंडियन वुमन सिनेमैटोग्राफर्स कलेक्टिव की एक सदस्य भी हैं. प्रियंका सिंह की निर्देशित फिल्म मौन को लास एंजिल्स एशियन पेसिफिक फिल्म फेस्टिवल में 2020 में भारत के सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला था.

'महिलाओं पर बनी फिल्म': आजाद आलम ने बताया कि पूरी फिल्म की शूटिंग मुंबई में हुई है और कलाकार भी बिहार के बाहर के हैं. इस फिल्म में महिलाओं की कहानी दिखाई गई है उसमें उच्च मध्यम वर्ग की महिला का किरदार नताशा रस्तोगी ने निभाया है और जो उनकी मेड की किरदार को निभाई है वह मुनमुन हैं. आजाद आलम ने बताया कि बिहार के कलाकारों में टैलेंट की कमी नहीं है और मुंबई में काफी संख्या में बिहार के कलाकार, लेखक और निर्देशक मिलते हैं. मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े जितने काम होते हैं, उन सभी क्षेत्रों में देश के कोने कोने में बिहारी प्रतिभा देखने को मिलते हैं.

"बिहार के कलाकार मुंबई जाकर काम करते हैं और अन्य प्रदेशों में जाकर काम करते हैं. सरकार को सोचना चाहिए कि आखिर क्यों ऐसा हो रहा है. इसका कारण है कि उनके प्रदेश में फिल्मों के निर्माण को लेकर उस प्रकार का वातावरण नहीं है. बिहार में अगर फिल्मों को लेकर वातावरण बेहतर बनता है तो मैं और मेरे जैसे निर्देशक बिहार में ही फिल्म बनाना चाहेंगे."-आजाद आलम, लेखक और निर्माता

'फिल्म फेस्टिवल कलाकारों के लिए है बेहद जरूरी': आजाद आलम ने बताया कि फिल्म फेस्टिवल अपकमिंग फिल्म मेकर्स के लिए बहुत अच्छा प्लेटफार्म होता है. यहां उनके टैलेंट को कंसीडर किया जाता है. उन्होंने कहा कि मार्केट ओरिएंटेड फिल्म करने के लिए एक होड़ लगी हुई है. इसमें होता यह है कि एक ही फ्लेवर की कई फिल्में आ जाती हैं. सब लोग वही करने लगते हैं जो लगता है कि चल रहा है. कुछ नया नहीं आ पाता. किसी भी निर्देशक और मीडिया कर्मी का फोकस होता है कि उन्हें लोगों की बातों को सामने रखना है. इस प्रकार के फिल्म फेस्टिवल का अधिक से अधिक होना जरूरी है क्योंकि इसके कारण कलाकारों की आर्टिस्टिक एबिलिटी जिंदा रहती है.

'ओटीटी प्लेटफॉर्म शॉर्ट फिल्मों के लिए वरदान': आलम बताते हैं कि फिल्म फेस्टिवल से कलाकारों को एक उम्मीद रहती है कि सब कुछ मार्केट के भरोसे नहीं चल रहा है. लोग हैं जो अच्छे कंटेंट को देखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पहले शार्ट फिल्में फिल्म फेस्टिवल को लेकर ही बनाई जाती थी. लेकिन अब विभिन्न प्रकार के ओटीटी प्लेटफॉर्म के आने के वजह से शॉर्ट फिल्मों का निर्माण बढ़ गया है. शॉर्ट फिल्मों को दर्शक मिल रहे हैं और इसके साथ ही साथ फिल्मों के खरीदार भी मिल रहे हैं. छोटी और अच्छी कहानी भी चल रही है और कलाकारों को प्रोत्साहन भी प्राप्त हो रहा है. बड़े-बड़े आर्टिस्ट अब शॉर्ट फिल्में करना शुरू कर दिए हैं. अब शॉर्ट फिल्मों का लिमिटेड स्कोप नहीं रह गया है बल्कि एक खुला बाजार उपलब्ध हो गया है.

आजाद की अप कमिंग मूवी: आजाद आलम ने बताया कि आने वाले दिनों में वह फिर से दो औरतों की कहानी ला रहे हैं. यह फिल्म मां बेटी की कहानी है,मूवी का नाम है सोल कैफे. इसकी कहानी वह लिख चुके हैं और मानसून के बाद इसकी शूटिंग शुरू होने जा रही है. इस कहानी में ऐसा है कि परिवार के अंदर एक दूसरे के प्रति इश्यू पाले हुए हैं और यह बढ़ते जा रही है. एक दिन यह बढ़ते बढ़ते अचानक फट पड़ता है और उसके बाद इसमें देखना होगा कि परिवार एकजुट होता है या बिखर जाता है. आजाद आलम ने बताया कि 22 वां न्यूयॉर्क इंडियन फिल्म फेस्टिवल का लाइव स्ट्रीमिंग भी किया जाएगा. nyiff.us पर 7 मई से 14 मई के बीच लोग फिल्म फेस्टिवल के लिए चयनित तमाम फिल्मों को देख सकते हैं. इसके लिए उन्हें कुछ मामूली शुल्क रेंट के तौर पर देना होगा.



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