हैदराबाद : संसद के शीतकालीन सत्र और बजट सत्र के तुरंत बाद 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए राजनीतिक दल सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश करेंगे. इससे अलग एक साल से आंदोलन कर रहे किसानों ने आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान हर दिन संसद तक मार्च निकालने का फैसला किया है. इससे पहले कांग्रेस के नेताओं ने हिंदू और हिंदुत्व पर बयान देकर माहौल को गरमा दिया है. शीतकालीन सत्र में इसकी गूंज भी सुनाई देगी. इसके अलावा कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसमें केंद्र सरकार को जबाव देना है.
रिकॉर्डतोड़ महंगाई : पिछले 6 महीने में महंगाई आसमान छू रही है. पेट्रोल और डीजल के दाम तो बढ़ ही गए हैं, आम आदमी का राशन-पानी महंगा हो गया है. खाने के तेल की कीमत करीब दोगुनी हो गई है. महंगाई के मुद्दे पर संसद में बहस हो सकती है. कांग्रेस शासित राज्यों में वैट वसूलने का मुद्दा उठना तय है. बहस नहीं हुई तो हंगामा तय है.
कश्मीर में टारगेट किलिंग : पिछले एक महीने में कश्मीर में आम नागरिकों पर आतंकी हमले हो रहे हैं. खासकर कश्मीरी पंडितों और दूसरे राज्यों से आए नागरिकों की हत्या हुई है. जम्मू -कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के करीब एक साल बाद हुई इस आंतकी घटना से केंद्र सरकार की काफी किरकिरी हुई है. संसद में यह मुद्दा सरकार को परेशान कर सकता है.
लखीमपुर खीरी की घटना : 3 अक्टूबर को उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी में भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने प्रदर्शन करने वाले किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई. घटना के बाद हिंसा में चार और लोग मारे गए. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मुद्दे पर गिरफ्तारी भी दी थी. कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग कर रही है.
भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ : मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड बॉर्डर पर चीन ने भारतीय क्षेत्र में गांव बसा दिए हैं. एआईएआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस मुद्दे पर नोटिस दिया है. संसद के शीतकालीन सत्र में विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरेगी.
किसान आंदोलन : संयुक्त किसान मोर्चा ने संसद के बाहर रोजाना मार्च करने का ऐलान किया है. संसद में पारित किसान बिल के विरोध में 9 अगस्त 2020 से आंदोलन जारी है. सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के कारण अभी यह बिल लागू नहीं हुआ है. मगर सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है.
राफेल रिश्वत कांड : राफेल 2019 के आम चुनाव में मुद्दा बना था. मगर अब यह तीर कांग्रेस की ओर घूम गया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीए के शासनकाल में राफेल सौदे के लिए 65 करोड़ रुपये की घूस दी गई थी. बीजेपी इस मुद्दे पर हमलावर है. कांग्रेस जब सरकार को घेरने की कोशिश करेगी तो बीजेपी राफेल के जरिये पलटवार कर सकती है.
हिंदुत्व और हिंदू : संसद के शीतकालीन सत्र से पहले कांग्रेस नेताओं ने एक साथ हिंदुत्व पर अपनी राय रखनी शुरू कर दी है. खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी हिंदुत्व और हिंदू का फलसफा लेकर सामने आए हैं. यह ऐसा मुद्दा है, जिसे बीजेपी सड़क से संसद तक उठाएगी . संसद में इस पर हंगामा होने की संभावना प्रबल है.
इन राजनीतिक मुद्दों के अलावा सरकार 15 दिनों के भीतर कई बिल पेश करने वाली है. एक बिल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण से संबंधित है. बैंकों के निजीकरण के लिए बैंकिंग कंपनीज (अधिग्रहण और उपक्रमों का स्थानांतरण) अधिनियम, 1970 और बैंकिंग कंपनीज (अधिग्रहण एवं उपक्रमों का स्थानांतरण) अधिनियम, 1980 में संशोधन करने की जरूरत होगी. इसके अलावा सरकार राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली न्यास (एनपीएस) को पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) से अलग करने के लिए पीएफआरडीए, अधिनियम, 2013 में संशोधन के लिए भी सरकार विधेयक भी ला सकती है.
2019 के शीतकालीन सत्र में काम करने का रिकॉर्ड
संसद का मॉनसून सेशन पेगासस जासूसी कांड की भेंट चढ़ गया था. मॉनसून सत्र में लोकसभा में सिर्फ 21 फीसद और राज्यसभा में 29 फीसदी काम हुए. अब शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने के आसार हैं. हालांकि 2014 के बाद विंटर सेशन का ट्रैक रेकार्ड काफी अच्छा रहा है. 2014 और 2015 में इस सत्र में 98 फीसदी विधायी काम पूरे हुए. 2016 के शीतकालीन सत्र में संसद प्रोडक्टिविटी सिर्फ 15 फीसदी पर अटक गई. 2017 में यह 78 फीसद तक पहुंची, 2018 में सिर्फ 46 प्रतिशत विधायी कार्य हुए. 2019 में संसद की रेकॉर्ड 111 पर्सेंट की प्रोडक्टिविटी रही. 2020 में कोरोना के कारण शीतकालीन सत्र को रद्द करना पड़ा. इस बार संसद 15 दिनों में कितना काम करती है, यह देखना जरूरी है.