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अनाथ छात्रों की शिक्षा बाधित नहीं होनी चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जो बच्चे कोरोना काल के दौरान अनाथ हो गए थे, क्या उनकी शिक्षा किसी व्यवधान के जारी है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Aug 26, 2021, 5:31 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जिन बच्चों ने कोविड 19 महामारी (covid 19 pandemic) के दौरान माता-पिता या माता-पिता दोनों को खो दिया है, क्या वे बिना किसी व्यवधान के स्कूलों में अपनी शिक्षा (education in schools) जारी रखने में सक्षम हैं और क्या वह अपनी

अदालत ने राज्यों से कहा कि वे निजी स्कूलों (private schools) से बात करें कि क्या वे शुल्क का एक हिस्सा माफ करने को तैयार हैं और बाकी खर्चा राज्य द्वारा वहन किया जा सकता है.

इसके अलावा राज्यों ने बाल स्वराज पोर्टल (Bal swaraj portal ) पर बच्चों का डाटा अपलोड (uploading data on children) करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की है, जिसे कोर्ट ने उन्हें तेजी से पूरा करने का आदेश दिया है.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव (Justice L Nageswara Rao) और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) की पीठ बाल संरक्षण गृहों (children protection homes) में कोविड-19 पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रही थी.

इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने राज्यों को बाल स्वराज पोर्टल पर उन बच्चों के संबंध में सभी जानकारी अपलोड करने को कहा था, जिन्होंने अपने माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खो दिया था और बच्चों की तत्काल जरूरतों का ध्यान रखने को कहा था.

आज अदालत ने अधिकांश राज्यों में अपने एक या दोनों माता-पिता को खोने वाले बच्चों की संख्या, उनके लिए योजनाओं आदि के बारे में सुनवाई की.

कोर्ट ने राज्यों से कहा कि वह न केवल उन लोगों से संबंधित अपनी योजनाओं का विस्तार करें, जिन्होंने कोविड 19 के कारण अपने माता-पिता को खो दिया, बल्कि उन लोगों के लिए भी जिन्होंने कोविड 19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया.

कोर्ट ने राज्यों को आदेश दिया कि वह संकटग्रस्त बच्चों की पहचान करने की प्रक्रिया में तेजी लाएं और सुनिश्चित करें कि वह शैक्षणिक वर्ष (academic year) के लिए एक ही स्कूल में पढ़ रहे हैं.

पढ़ें - Unitech Case : SC का आदेश, तिहाड़ से मुंबई की जेलोंं में शिफ्ट किए जाएं संजय, अजय चंद्रा

अदालत ने केंद्र से बच्चों की शिक्षा (children's education) के लिए पीएम केयर्स फंड (PM Cares fund) से कुछ पैसे जारी करने पर विचार करने को कहा. कोर्ट ने कहा कि सभी स्कूल फीस माफ करने को तैयार नहीं हो सकते हैं, इसलिए राज्य और केंद्र को इसका ध्यान रखना चाहिए.

केंद्र ने अदालत को सूचित किया कि 10 साल से कम उम्र के बच्चों की शिक्षा कोविड प्रभावित बच्चों के लिए शुरू की गई योजना का हिस्सा है और योजना के अनुसार उन्हें नजदीकी केंद्र विद्यालय (kendra vidyalaya) या निजी स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा.

निजी स्कूल में दाखिले पर फीस पीएम की ओर से दी जाएगी और इसमें पाठ्य पुस्तकों, यूनिफॉर्म आदि का खर्च भी शामिल होगा. चार सप्ताह बाद हलफनामे और शेष राज्यों की रिपोर्ट के साथ मामले की फिर से सुनवाई होगी.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जिन बच्चों ने कोविड 19 महामारी (covid 19 pandemic) के दौरान माता-पिता या माता-पिता दोनों को खो दिया है, क्या वे बिना किसी व्यवधान के स्कूलों में अपनी शिक्षा (education in schools) जारी रखने में सक्षम हैं और क्या वह अपनी

अदालत ने राज्यों से कहा कि वे निजी स्कूलों (private schools) से बात करें कि क्या वे शुल्क का एक हिस्सा माफ करने को तैयार हैं और बाकी खर्चा राज्य द्वारा वहन किया जा सकता है.

इसके अलावा राज्यों ने बाल स्वराज पोर्टल (Bal swaraj portal ) पर बच्चों का डाटा अपलोड (uploading data on children) करने की प्रक्रिया पूरी नहीं की है, जिसे कोर्ट ने उन्हें तेजी से पूरा करने का आदेश दिया है.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव (Justice L Nageswara Rao) और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस (Justice Aniruddha Bose) की पीठ बाल संरक्षण गृहों (children protection homes) में कोविड-19 पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रही थी.

इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने राज्यों को बाल स्वराज पोर्टल पर उन बच्चों के संबंध में सभी जानकारी अपलोड करने को कहा था, जिन्होंने अपने माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खो दिया था और बच्चों की तत्काल जरूरतों का ध्यान रखने को कहा था.

आज अदालत ने अधिकांश राज्यों में अपने एक या दोनों माता-पिता को खोने वाले बच्चों की संख्या, उनके लिए योजनाओं आदि के बारे में सुनवाई की.

कोर्ट ने राज्यों से कहा कि वह न केवल उन लोगों से संबंधित अपनी योजनाओं का विस्तार करें, जिन्होंने कोविड 19 के कारण अपने माता-पिता को खो दिया, बल्कि उन लोगों के लिए भी जिन्होंने कोविड 19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया.

कोर्ट ने राज्यों को आदेश दिया कि वह संकटग्रस्त बच्चों की पहचान करने की प्रक्रिया में तेजी लाएं और सुनिश्चित करें कि वह शैक्षणिक वर्ष (academic year) के लिए एक ही स्कूल में पढ़ रहे हैं.

पढ़ें - Unitech Case : SC का आदेश, तिहाड़ से मुंबई की जेलोंं में शिफ्ट किए जाएं संजय, अजय चंद्रा

अदालत ने केंद्र से बच्चों की शिक्षा (children's education) के लिए पीएम केयर्स फंड (PM Cares fund) से कुछ पैसे जारी करने पर विचार करने को कहा. कोर्ट ने कहा कि सभी स्कूल फीस माफ करने को तैयार नहीं हो सकते हैं, इसलिए राज्य और केंद्र को इसका ध्यान रखना चाहिए.

केंद्र ने अदालत को सूचित किया कि 10 साल से कम उम्र के बच्चों की शिक्षा कोविड प्रभावित बच्चों के लिए शुरू की गई योजना का हिस्सा है और योजना के अनुसार उन्हें नजदीकी केंद्र विद्यालय (kendra vidyalaya) या निजी स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा.

निजी स्कूल में दाखिले पर फीस पीएम की ओर से दी जाएगी और इसमें पाठ्य पुस्तकों, यूनिफॉर्म आदि का खर्च भी शामिल होगा. चार सप्ताह बाद हलफनामे और शेष राज्यों की रिपोर्ट के साथ मामले की फिर से सुनवाई होगी.

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