ETV Bharat / bharat

देशभर में वर्षों से चल रहा ऑन डिमांड वाहन चोरी का गोरखधंधा, अब तक असल गुनहगारों तक नहीं पहुंची पुलिस

यूपी सहित देश के विभिन्न राज्यों में वाहन चोरी का गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है. बीती कुछ घटनाओं को देखा जाए तो पुलिस और संबंधित अधिकारी इनके सरगना गिरफ्तार और काॅकस को तोड़ नहीं पा रहे हैं. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी की विशेष रिपोर्ट.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 1, 2023, 8:15 PM IST

Updated : Sep 2, 2023, 12:23 PM IST

ऑन डिमांड वाहन चोरी का गोरखधंधा. देखें खबर




लखनऊ : उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में वाहन चोरी के सुनियोजित गोरखधंधे से जुड़े अनगिनत खुलासे हो चुके हैं. हर साल सैकड़ों गाड़ियां बरामद की जाती हैं. इस गोरखधंधे से जुड़े कुछ प्यादे सलाखों के पीछे भी पहुंच जाते हैं, लेकिन पुलिस के हाथ उन लोगों तक नहीं पहुंचते जो इसके लिए असल में जिम्मेदार हैं. वाहन चोरी का यह धंधा ऑन डिमांड चलता है. जिस रंग की गाड़ी की चेचिस और उसके कागज कबाड़ी के पास होते हैं, उसी रंग की गाड़ी चोरी कराई जाती है. 30 अगस्त 2023 को गोमतीनगर विस्तार थाने की पुलिस ने एक बार फिर ऐसे ही तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया. इसके बावजूद यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि यह गोरखधंधा आगे नहीं होगा.


ऑन डिमांड वाहन चोरी के गोरखधंधे पर बीमा कंपनी की राय.
ऑन डिमांड वाहन चोरी के गोरखधंधे पर बीमा कंपनी की राय.


22 जुलाई 2020 को राजधानी लखनऊ में बीएमडब्लू जैसी 62 लग्जरी गाड़ियों सहित 112 कारें बरामद की गई थीं. तब यह मामला मीडिया में खूब सुर्खियां बना था. केस की जांच कर रहे आईपीएस अधिकारी अनुराग वत्स पूरे गोरखधंधे के खुलासे के करीब पहुंच गए थे, लेकिन इसी दौरान उनका तबादला हो गया. नतीजतन यह कारोबार एक बार फिर पुराने ढर्रे पर चल पड़ा है. 2019 में भी लखनऊ में एक ऐसा ही खुलासा हुआ था, जिसमें करोड़ों रुपये की ऐसी ही गाड़ियां बरामद हुई थीं और कुछ लोगों को जेल भी भेजा गया था. 30 अगस्त 2023 को भी गोमतीनगर विस्तार पुलिस द्वारा पकड़ा गया गिरोह का सरगना सत्यम गुप्ता के खिलाफ पहले से 12 मुकदमे दर्ज हैं. उस पर छह और दर्ज किए गए हैं. यानी कुल 18 मुकदमों के साथ ही वह गैंगस्टर एक्ट का भी आरोपी है. इस बार सत्यम के पास से बरामद छह गाड़ियों में एक इनोवा, दो सेंट्रो, दो डिजायर शामिल हैं. इससे पहले 30 मई 2022 को भी सत्यम को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. जेल से छूटकर आते ही उसने फिर वारदात को अंजाम दे दिया.

ऑन डिमांड वाहन चोरी के गोरखधंधे पर पुलिस की बात.
ऑन डिमांड वाहन चोरी के गोरखधंधे पर पुलिस की बात.



दरअसल बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के स्पष्ट आदेश के बावजूद कुछ निजी बीमा कंपनियां 'टोटल लॉस' हो चुकी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट निरस्त नहीं करातीं. वह ग्राहकों को बीमित राशि देने से पहले ऑनलाइन ऑक्शन के माध्यम से कबाड़ की कीमत लगवाती हैं और उसे कबाड़ी के हाथों कबाड़ हो चुकी गाड़ी की वास्तविक कीमत से कई गुना ज्यादा कीमत पर बेच देती हैं. इस दौरान वाहन मालिक को कुछ भी बताया नहीं जाता. उसे यह भी मालूम नहीं होता कि उसकी गाड़ी कौन खरीद रहा है. चूंकि वाहन स्वामी को अपनी गाड़ी का क्लेम लेना होता है तो उसे कंपनियों की बात माननी ही पड़ती है. बीमा कंपनियां या कंपनियों के कहने पर सर्वेयर सादे सेल लेटर पर वाहन स्वामी के हस्ताक्षर ले लेता है. बाद में कबाड़ी दुर्घटनाग्रस्त वाहन के रंग की नई गाड़ी चोरी करता या करवाता है और कबाड़ हो चुकी गाड़ी से चेचिस नंबर काट कर चोरी की गाड़ी में बहुत ही सफाई से टेंपर कर देता है. इसके साथ ही चोरी की गई गाड़ी पर कबाड़ हो चुकी गाड़ी की नंबर प्लेट लगाकर, उसी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर बाजार में बेच दी जाती है. लखनऊ में बरामद चोरी की ज्यादातर गाड़ियां ऐसी ही हैं.

ऑन डिमांड वाहन चोरी का गोरखधंधा.
ऑन डिमांड वाहन चोरी का गोरखधंधा.


IRDA- जिसके नियम नहीं मान रहीं कई निजी बीमा कंपनियां

बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority (IRDA) भारत सरकार का एक प्राधिकरण या एजेंसी है. इसका उद्देश्य बीमा पॉलिसी धारकों के हितों की रक्षा करना, बीमा उद्योग का क्रमबद्ध विनियमन, संवर्धन तथा आकस्मिक मामलों पर कार्य करना है. बीमा कंपनियों के लिए यही संस्था नियम-कायदे तय करती है. बीमा कंपनियां इस संस्था के बनाए नियमों को मानने के लिए बाध्य हैं. हालांकि ऐसा हो नहीं रहा. 2018 में वाहन चोरी के ऐसे ही सुनियोजित गिरोह का खुलासा होने के बाद सरकारी बीमा कंपनियों ने तो टोटल लॉस की गाड़ी में RC निरस्त कराने के बाद ही कबाड़ बेचना आरंभ कर दिया, लेकिन बेपरवाह कुछ निजी बीमा कंपनियां इरडा के नियमों को ताक पर रख मनमानी करती रहीं. उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बड़े-बड़े खुलासे होने के बावजूद इन कंपनियों ने आज भी टोटल लॉस हो चुकी गाड़ियों को आरसी के साथ बेचने का क्रम जारी रखा हुआ है. यही कारण है कि गाड़ियों के फर्जीवाड़े का यह धंधा बदस्तूर जारी है. पुलिस ने भी कभी किसी मामले में बीमा कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को कठघरे में नहीं खड़ा किया. यही कारण है कि कुछ कंपनियां निरंकुश हो गई हैं.

ऑन डिमांड वाहन चोरी का गोरखधंधा.
ऑन डिमांड वाहन चोरी का गोरखधंधा.




क्या होता 'टोटल लॉस'

इरडा के नियमानुसार जब किसी वाहन को दुर्घटना में उसके बीमित मूल्य के 75% से अधिक क्षति होती है तो उस वाहन को 'Total Loss' मान लिया जाता है. किसी भी दुर्घटना के बाद वाहन स्वामी बीमा कंपनी को हादसे की सूचना देता है. जिसके बाद कंपनी किसी सर्वेयर को हादसे में वाहन को हुई क्षति का आकलन कर रिपोर्ट देने के लिए कहती है. यदि सर्वेयर अपनी रिपोर्ट में वाहन की 75% से ज्यादा क्षति की रिपोर्ट देता है तो बीमा कंपनी बीमित राशि से दुर्घटनाग्रस्त वाहन, जिसे कबाड़ मान लिया जाता है, उसकी कीमत काटकर शेष धन का भुगतान वाहन स्वामी को कर करती है. इरडा द्वारा बनाए गए नियमों को दरकिनार कर तमाम निजी बीमा कंपनियां 'टोटल लॉस' के नाम पर करोड़ों का गोरखधंधा चला रही हैं.


सरकार और आम लोगों को कैसे हो रहा नुकसान

चोरी की ऐसी ही गाड़ियों का उपयोग बड़े गिरोहों के सरगना आदि करते हैं और इन्हीं वाहनों से अपराधों को अंजाम देते हैं. ऐसे मामलों में कई बार फंसते वह लोग हैं, जिनकी गाड़ी कभी हादसाग्रस्त हुई थी और उन्होंने क्लेम लेने के लिए अपनी गाड़ी का कबाड़ बीमा कंपनी के कहे अनुसार कबाड़ी को बेच दिया था. कार बाजार से जो व्यक्ति अनजाने में इस तरह के कागजात पर गाड़ी खरीद लेता है, वह भी पुलिस पड़ताल में फंसता है और उसे जेल तक जाना पड़ता है. बीमा कंपनी के इस गोरखधंधे में चोरी की गाड़ी बेचने में कबाड़ी कभी सामने नहीं आता, क्योंकि गाड़ी सीधे lst Owner से ही Transfer हो जाती है. ऐसे घपलों-घोटालों के कारण ही वाहन बीमा साल दर साल महंगा होता जा रहा है और इसकी कीमत चुकाता है आम उपभोक्ता.






यह भी पढ़ें : हाईटेक से नए वाहन चोरी करने वाले गैंग का पर्दाफाश, खंडहर से चोरी के वाहन बरामद

यह भी पढ़ें : शौक पूरे करने के लिए वाहन चोरी करने वाले तीन युवक गिरफ्तार

ऑन डिमांड वाहन चोरी का गोरखधंधा. देखें खबर




लखनऊ : उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के कई राज्यों में वाहन चोरी के सुनियोजित गोरखधंधे से जुड़े अनगिनत खुलासे हो चुके हैं. हर साल सैकड़ों गाड़ियां बरामद की जाती हैं. इस गोरखधंधे से जुड़े कुछ प्यादे सलाखों के पीछे भी पहुंच जाते हैं, लेकिन पुलिस के हाथ उन लोगों तक नहीं पहुंचते जो इसके लिए असल में जिम्मेदार हैं. वाहन चोरी का यह धंधा ऑन डिमांड चलता है. जिस रंग की गाड़ी की चेचिस और उसके कागज कबाड़ी के पास होते हैं, उसी रंग की गाड़ी चोरी कराई जाती है. 30 अगस्त 2023 को गोमतीनगर विस्तार थाने की पुलिस ने एक बार फिर ऐसे ही तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया. इसके बावजूद यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि यह गोरखधंधा आगे नहीं होगा.


ऑन डिमांड वाहन चोरी के गोरखधंधे पर बीमा कंपनी की राय.
ऑन डिमांड वाहन चोरी के गोरखधंधे पर बीमा कंपनी की राय.


22 जुलाई 2020 को राजधानी लखनऊ में बीएमडब्लू जैसी 62 लग्जरी गाड़ियों सहित 112 कारें बरामद की गई थीं. तब यह मामला मीडिया में खूब सुर्खियां बना था. केस की जांच कर रहे आईपीएस अधिकारी अनुराग वत्स पूरे गोरखधंधे के खुलासे के करीब पहुंच गए थे, लेकिन इसी दौरान उनका तबादला हो गया. नतीजतन यह कारोबार एक बार फिर पुराने ढर्रे पर चल पड़ा है. 2019 में भी लखनऊ में एक ऐसा ही खुलासा हुआ था, जिसमें करोड़ों रुपये की ऐसी ही गाड़ियां बरामद हुई थीं और कुछ लोगों को जेल भी भेजा गया था. 30 अगस्त 2023 को भी गोमतीनगर विस्तार पुलिस द्वारा पकड़ा गया गिरोह का सरगना सत्यम गुप्ता के खिलाफ पहले से 12 मुकदमे दर्ज हैं. उस पर छह और दर्ज किए गए हैं. यानी कुल 18 मुकदमों के साथ ही वह गैंगस्टर एक्ट का भी आरोपी है. इस बार सत्यम के पास से बरामद छह गाड़ियों में एक इनोवा, दो सेंट्रो, दो डिजायर शामिल हैं. इससे पहले 30 मई 2022 को भी सत्यम को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. जेल से छूटकर आते ही उसने फिर वारदात को अंजाम दे दिया.

ऑन डिमांड वाहन चोरी के गोरखधंधे पर पुलिस की बात.
ऑन डिमांड वाहन चोरी के गोरखधंधे पर पुलिस की बात.



दरअसल बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के स्पष्ट आदेश के बावजूद कुछ निजी बीमा कंपनियां 'टोटल लॉस' हो चुकी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट निरस्त नहीं करातीं. वह ग्राहकों को बीमित राशि देने से पहले ऑनलाइन ऑक्शन के माध्यम से कबाड़ की कीमत लगवाती हैं और उसे कबाड़ी के हाथों कबाड़ हो चुकी गाड़ी की वास्तविक कीमत से कई गुना ज्यादा कीमत पर बेच देती हैं. इस दौरान वाहन मालिक को कुछ भी बताया नहीं जाता. उसे यह भी मालूम नहीं होता कि उसकी गाड़ी कौन खरीद रहा है. चूंकि वाहन स्वामी को अपनी गाड़ी का क्लेम लेना होता है तो उसे कंपनियों की बात माननी ही पड़ती है. बीमा कंपनियां या कंपनियों के कहने पर सर्वेयर सादे सेल लेटर पर वाहन स्वामी के हस्ताक्षर ले लेता है. बाद में कबाड़ी दुर्घटनाग्रस्त वाहन के रंग की नई गाड़ी चोरी करता या करवाता है और कबाड़ हो चुकी गाड़ी से चेचिस नंबर काट कर चोरी की गाड़ी में बहुत ही सफाई से टेंपर कर देता है. इसके साथ ही चोरी की गई गाड़ी पर कबाड़ हो चुकी गाड़ी की नंबर प्लेट लगाकर, उसी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट पर बाजार में बेच दी जाती है. लखनऊ में बरामद चोरी की ज्यादातर गाड़ियां ऐसी ही हैं.

ऑन डिमांड वाहन चोरी का गोरखधंधा.
ऑन डिमांड वाहन चोरी का गोरखधंधा.


IRDA- जिसके नियम नहीं मान रहीं कई निजी बीमा कंपनियां

बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority (IRDA) भारत सरकार का एक प्राधिकरण या एजेंसी है. इसका उद्देश्य बीमा पॉलिसी धारकों के हितों की रक्षा करना, बीमा उद्योग का क्रमबद्ध विनियमन, संवर्धन तथा आकस्मिक मामलों पर कार्य करना है. बीमा कंपनियों के लिए यही संस्था नियम-कायदे तय करती है. बीमा कंपनियां इस संस्था के बनाए नियमों को मानने के लिए बाध्य हैं. हालांकि ऐसा हो नहीं रहा. 2018 में वाहन चोरी के ऐसे ही सुनियोजित गिरोह का खुलासा होने के बाद सरकारी बीमा कंपनियों ने तो टोटल लॉस की गाड़ी में RC निरस्त कराने के बाद ही कबाड़ बेचना आरंभ कर दिया, लेकिन बेपरवाह कुछ निजी बीमा कंपनियां इरडा के नियमों को ताक पर रख मनमानी करती रहीं. उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बड़े-बड़े खुलासे होने के बावजूद इन कंपनियों ने आज भी टोटल लॉस हो चुकी गाड़ियों को आरसी के साथ बेचने का क्रम जारी रखा हुआ है. यही कारण है कि गाड़ियों के फर्जीवाड़े का यह धंधा बदस्तूर जारी है. पुलिस ने भी कभी किसी मामले में बीमा कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को कठघरे में नहीं खड़ा किया. यही कारण है कि कुछ कंपनियां निरंकुश हो गई हैं.

ऑन डिमांड वाहन चोरी का गोरखधंधा.
ऑन डिमांड वाहन चोरी का गोरखधंधा.




क्या होता 'टोटल लॉस'

इरडा के नियमानुसार जब किसी वाहन को दुर्घटना में उसके बीमित मूल्य के 75% से अधिक क्षति होती है तो उस वाहन को 'Total Loss' मान लिया जाता है. किसी भी दुर्घटना के बाद वाहन स्वामी बीमा कंपनी को हादसे की सूचना देता है. जिसके बाद कंपनी किसी सर्वेयर को हादसे में वाहन को हुई क्षति का आकलन कर रिपोर्ट देने के लिए कहती है. यदि सर्वेयर अपनी रिपोर्ट में वाहन की 75% से ज्यादा क्षति की रिपोर्ट देता है तो बीमा कंपनी बीमित राशि से दुर्घटनाग्रस्त वाहन, जिसे कबाड़ मान लिया जाता है, उसकी कीमत काटकर शेष धन का भुगतान वाहन स्वामी को कर करती है. इरडा द्वारा बनाए गए नियमों को दरकिनार कर तमाम निजी बीमा कंपनियां 'टोटल लॉस' के नाम पर करोड़ों का गोरखधंधा चला रही हैं.


सरकार और आम लोगों को कैसे हो रहा नुकसान

चोरी की ऐसी ही गाड़ियों का उपयोग बड़े गिरोहों के सरगना आदि करते हैं और इन्हीं वाहनों से अपराधों को अंजाम देते हैं. ऐसे मामलों में कई बार फंसते वह लोग हैं, जिनकी गाड़ी कभी हादसाग्रस्त हुई थी और उन्होंने क्लेम लेने के लिए अपनी गाड़ी का कबाड़ बीमा कंपनी के कहे अनुसार कबाड़ी को बेच दिया था. कार बाजार से जो व्यक्ति अनजाने में इस तरह के कागजात पर गाड़ी खरीद लेता है, वह भी पुलिस पड़ताल में फंसता है और उसे जेल तक जाना पड़ता है. बीमा कंपनी के इस गोरखधंधे में चोरी की गाड़ी बेचने में कबाड़ी कभी सामने नहीं आता, क्योंकि गाड़ी सीधे lst Owner से ही Transfer हो जाती है. ऐसे घपलों-घोटालों के कारण ही वाहन बीमा साल दर साल महंगा होता जा रहा है और इसकी कीमत चुकाता है आम उपभोक्ता.






यह भी पढ़ें : हाईटेक से नए वाहन चोरी करने वाले गैंग का पर्दाफाश, खंडहर से चोरी के वाहन बरामद

यह भी पढ़ें : शौक पूरे करने के लिए वाहन चोरी करने वाले तीन युवक गिरफ्तार

Last Updated : Sep 2, 2023, 12:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.