ETV Bharat / bharat

आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करना प्राथमिकता : एनएसए डोभाल - अजीत डोभाल

डोभाल ने कहा कि भारत की चिंताएं, उद्देश्य, तत्काल प्राथमिकताएं और आगे का रास्ता अन्य देशों के समान ही है. बैठक में तुर्कमेनिस्तान का प्रतिनिधित्व भारत में उसके राजदूत ने किया. यह रेखांकित करते हुए कि एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित और समृद्ध मध्य एशिया आम हित में है, डोभाल ने मंगलवार को अफगानिस्तान में आतंकवादी नेटवर्क की मौजूदगी के बारे में चिंता जताई.

NSA Doval
एनएसए डोभाल
author img

By

Published : Dec 6, 2022, 12:11 PM IST

Updated : Dec 6, 2022, 12:34 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मंगलवार को क्षेत्र के देशों द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने को अधिक प्राथमिकता दिए जाने की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि वित्तीय संसाधन आतंकवाद का आधार हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की भारत-मध्य एशिया बैठक की शुरुआत के मौके पर अपने संबोधन में डोभाल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को आतंकवादी कृत्यों में शामिल संस्थाओं या लोगों को किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करने से बचना चाहिए और आतंकवाद-रोधी समझौतों में निहित दायित्वों को पूरा करना चाहिए. डोभाल ने मध्य-एशिया को भारत का 'विस्तारित पड़ोसी' करार देते हुए कहा कि भारत इस क्षेत्र को 'सर्वोच्च प्राथमिकता' देता है.

कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं, जबकि बैठक में तुर्कमेनिस्तान का प्रतिनिधित्व भारत में उसके राजदूत कर रहे हैं. डोभाल ने कहा कि अफगानिस्तान एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे लेकर सब चिंतित हैं. अफगानिस्तान में तात्कालिक प्राथमिकताओं के संबंध में भारत के लक्ष्य इस मंच पर मौजूद कई देशों के समान हैं.

उन्होंने कहा कि मध्य-एशियाई देशों के साथ संपर्क भारत की एक प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है और भारत इस क्षेत्र में सहयोग, निवेश और संपर्क कायम रखने को तैयार है. चीन की 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (बीआरए) परियोजना के संदर्भ में डोभाल ने कहा कि संपर्क का विस्तार करते समय, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सभी देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के मद्देनजर संपर्क कायम करने के कदम पारदर्शी हों व परामर्श तथा भागीदारी से उठाए जाएं.

बैठक में तुर्कमेनिस्तान का प्रतिनिधित्व भारत में उसके राजदूत ने किया. यह रेखांकित करते हुए कि एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित और समृद्ध मध्य एशिया आम हित में है, डोभाल ने मंगलवार को अफगानिस्तान में आतंकवादी नेटवर्क की मौजूदगी के बारे में चिंता जताई. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान सहित क्षेत्र में आतंकवादी नेटवर्क का बना रहना भी गहरी चिंता का विषय है.

पढ़ें: आज मध्य एशियाई देशों के एनएसए सम्मेलन की मेजबानी करेगा भारत, इन मुद्दों पर होगी चर्चा

वित्त पोषण आतंकवाद की जीवनदायिनी है और आतंकवाद का मुकाबला करना हम सभी के लिए समान प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने मध्य एशियाई देशों से संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों से प्रासंगिक आतंकवाद-रोधी सम्मेलनों में निहित दायित्वों को पूरा करने और आतंकी हमलों में शामिल संस्थाओं को सहायता प्रदान करने से परहेज करने के लिए कहा. इस क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए एनएसए डोभाल ने कहा कि मध्य एशिया देश के साथ सभ्यतागत संबंधों के साथ भारत का विस्तारित पड़ोस है.

पहली एक दिवसीय एनएसए स्तर की बैठक मंगलवार को जनवरी 2022 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों के बीच पहले शिखर सम्मेलन के बाद हुई. एनएसए डोभाल ने कहा कि इस साल जनवरी में हुई भारत-मध्य एशिया शिखर बैठक आज की बैठक का आधार बनी. डोभाल ने कहा कि यह मुलाकात अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारी उथल-पुथल और भविष्य को लेकर अनिश्चितता के समय हो रही है.

पढ़ें: महापरिनिर्वाण दिवस: राष्ट्रपति मुर्मू, पीएम मोदी समेत गणमान्यों ने डॉ बीआर अंबेडकर दी श्रद्धांजलि

उन्होंने कहा कि आज की बैठक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें उन मामलों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करती है, जिनके लिए क्षेत्रीय देशों के बीच अधिक सहयोग और समन्वय की आवश्यकता होती है. डोभाल ने यह भी कहा कि मध्य एशियाई देशों के साथ कनेक्टिविटी भारत के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि हम क्षेत्र में सहयोग, निवेश और कनेक्टिविटी बनाने के लिए तैयार हैं. कनेक्टिविटी का विस्तार करते समय यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि पहल परामर्शी, पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण हो.

यह पहला भारत-मध्य एशिया भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ के साथ मेल खाता है. शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधान मंत्री मोदी और मध्य एशियाई नेताओं ने भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अगले कदमों पर चर्चा की. शिखर सम्मेलन के दौरान, नेताओं ने हर दो साल में इसे आयोजित करने का निर्णय लेकर शिखर सम्मेलन तंत्र को संस्थागत बनाने पर सहमति व्यक्त की थी.

पढ़ें: ईदगाह मस्जिद में हनुमान चालीसा का ऐलान, जलाभिषेक करने जा रहे हिंदू महासभा के मंडल अध्यक्ष गिरफ्तार

वे शिखर बैठकों के लिए जमीनी कार्य तैयार करने के लिए विदेश मंत्रियों, व्यापार मंत्रियों, संस्कृति मंत्रियों और सुरक्षा परिषद के सचिवों की नियमित बैठकों पर भी सहमत हुए. नए तंत्र का समर्थन करने के लिए नई दिल्ली में एक भारत-मध्य एशिया सचिवालय स्थापित किया जाएगा.

पढ़ें: कांग्रेस में बड़ा फेरबदल: सुखजिंदर सिंह रंधावा को मिली राजस्थान की जिम्मेदारी

पढ़ें: गूगल ने टीवी के लिए Android TV OS का नवीनतम संस्करण जारी किया

(इनपुट एजेंसियां)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मंगलवार को क्षेत्र के देशों द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने को अधिक प्राथमिकता दिए जाने की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि वित्तीय संसाधन आतंकवाद का आधार हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की भारत-मध्य एशिया बैठक की शुरुआत के मौके पर अपने संबोधन में डोभाल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को आतंकवादी कृत्यों में शामिल संस्थाओं या लोगों को किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करने से बचना चाहिए और आतंकवाद-रोधी समझौतों में निहित दायित्वों को पूरा करना चाहिए. डोभाल ने मध्य-एशिया को भारत का 'विस्तारित पड़ोसी' करार देते हुए कहा कि भारत इस क्षेत्र को 'सर्वोच्च प्राथमिकता' देता है.

कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं, जबकि बैठक में तुर्कमेनिस्तान का प्रतिनिधित्व भारत में उसके राजदूत कर रहे हैं. डोभाल ने कहा कि अफगानिस्तान एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे लेकर सब चिंतित हैं. अफगानिस्तान में तात्कालिक प्राथमिकताओं के संबंध में भारत के लक्ष्य इस मंच पर मौजूद कई देशों के समान हैं.

उन्होंने कहा कि मध्य-एशियाई देशों के साथ संपर्क भारत की एक प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है और भारत इस क्षेत्र में सहयोग, निवेश और संपर्क कायम रखने को तैयार है. चीन की 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (बीआरए) परियोजना के संदर्भ में डोभाल ने कहा कि संपर्क का विस्तार करते समय, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि सभी देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के मद्देनजर संपर्क कायम करने के कदम पारदर्शी हों व परामर्श तथा भागीदारी से उठाए जाएं.

बैठक में तुर्कमेनिस्तान का प्रतिनिधित्व भारत में उसके राजदूत ने किया. यह रेखांकित करते हुए कि एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित और समृद्ध मध्य एशिया आम हित में है, डोभाल ने मंगलवार को अफगानिस्तान में आतंकवादी नेटवर्क की मौजूदगी के बारे में चिंता जताई. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान सहित क्षेत्र में आतंकवादी नेटवर्क का बना रहना भी गहरी चिंता का विषय है.

पढ़ें: आज मध्य एशियाई देशों के एनएसए सम्मेलन की मेजबानी करेगा भारत, इन मुद्दों पर होगी चर्चा

वित्त पोषण आतंकवाद की जीवनदायिनी है और आतंकवाद का मुकाबला करना हम सभी के लिए समान प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने मध्य एशियाई देशों से संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों से प्रासंगिक आतंकवाद-रोधी सम्मेलनों में निहित दायित्वों को पूरा करने और आतंकी हमलों में शामिल संस्थाओं को सहायता प्रदान करने से परहेज करने के लिए कहा. इस क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए एनएसए डोभाल ने कहा कि मध्य एशिया देश के साथ सभ्यतागत संबंधों के साथ भारत का विस्तारित पड़ोस है.

पहली एक दिवसीय एनएसए स्तर की बैठक मंगलवार को जनवरी 2022 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों के बीच पहले शिखर सम्मेलन के बाद हुई. एनएसए डोभाल ने कहा कि इस साल जनवरी में हुई भारत-मध्य एशिया शिखर बैठक आज की बैठक का आधार बनी. डोभाल ने कहा कि यह मुलाकात अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारी उथल-पुथल और भविष्य को लेकर अनिश्चितता के समय हो रही है.

पढ़ें: महापरिनिर्वाण दिवस: राष्ट्रपति मुर्मू, पीएम मोदी समेत गणमान्यों ने डॉ बीआर अंबेडकर दी श्रद्धांजलि

उन्होंने कहा कि आज की बैठक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें उन मामलों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करती है, जिनके लिए क्षेत्रीय देशों के बीच अधिक सहयोग और समन्वय की आवश्यकता होती है. डोभाल ने यह भी कहा कि मध्य एशियाई देशों के साथ कनेक्टिविटी भारत के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि हम क्षेत्र में सहयोग, निवेश और कनेक्टिविटी बनाने के लिए तैयार हैं. कनेक्टिविटी का विस्तार करते समय यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि पहल परामर्शी, पारदर्शी और भागीदारीपूर्ण हो.

यह पहला भारत-मध्य एशिया भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ के साथ मेल खाता है. शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधान मंत्री मोदी और मध्य एशियाई नेताओं ने भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अगले कदमों पर चर्चा की. शिखर सम्मेलन के दौरान, नेताओं ने हर दो साल में इसे आयोजित करने का निर्णय लेकर शिखर सम्मेलन तंत्र को संस्थागत बनाने पर सहमति व्यक्त की थी.

पढ़ें: ईदगाह मस्जिद में हनुमान चालीसा का ऐलान, जलाभिषेक करने जा रहे हिंदू महासभा के मंडल अध्यक्ष गिरफ्तार

वे शिखर बैठकों के लिए जमीनी कार्य तैयार करने के लिए विदेश मंत्रियों, व्यापार मंत्रियों, संस्कृति मंत्रियों और सुरक्षा परिषद के सचिवों की नियमित बैठकों पर भी सहमत हुए. नए तंत्र का समर्थन करने के लिए नई दिल्ली में एक भारत-मध्य एशिया सचिवालय स्थापित किया जाएगा.

पढ़ें: कांग्रेस में बड़ा फेरबदल: सुखजिंदर सिंह रंधावा को मिली राजस्थान की जिम्मेदारी

पढ़ें: गूगल ने टीवी के लिए Android TV OS का नवीनतम संस्करण जारी किया

(इनपुट एजेंसियां)

Last Updated : Dec 6, 2022, 12:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.