मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को निर्देश दिया कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ की गई अपनी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर राज्य भर के छह पुलिस थानों में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को रद्द करने के लिए अलग-अलग याचिकाएं दायर करें.
राणे ने महाड, नासिक, पुणे, ठाणे, जलगांव और अहमदनगर में अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों को रद्द करने का अनुरोध करते हुए एक याचिका दायर की थी.
न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जामदार की खंडपीठ ने शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि बेहतर होगा कि प्रत्येक प्राथमिकी के लिए अलग-अलग याचिका दायर की जाए.
अदालत ने कहा, 'प्राथमिकी अलग-अलग थानों की हैं. प्रत्येक प्राथमिकी को चुनौती अलग-अलग याचिकाओं में दी जाए. इससे अभियोजन पक्ष के लिए भी प्रत्येक थाने से निर्देश लेना आसान होगा.'
राणे के वकील अशोक मुंदरगी और वकील अनिकेत निकम ने सहमति जताते हुए कहा कि वे अलग-अलग याचिकाएं दायर करेंगे. साथ ही उन्होंने सभी मामलों में अंतरिम संरक्षण प्रदान करने का अनुरोध किया.
मुंदरगी ने कहा, ' अभियोजन पक्ष ने पहले कहा था कि वे नासिक साइबर पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में राणे के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेंगे. अन्य मामलों में भी इसी तरह की सुरक्षा दी जानी चाहिए.'
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अदालत ने कहा कि वह पहले याचिकाओं पर सुनवाई करेगी और फिर फैसला लेगी. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 30 सितंबर तय की है.
अभियोजन की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील जयेश याज्ञनिक ने कहा कि राणे ने आश्वासन दिया था कि वह नासिक पुलिस द्वारा की जा रही जांच में सहयोग करेंगे और उन्हें अपना बयान दर्ज कराने के लिए 25 सितंबर को पुलिस के समक्ष पेश होना होगा.
मुंदरगी ने कहा कि राणे सहयोग करेंगे और वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पेश होंगे.
राणे ने पिछले महीने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को देश के स्वतंत्रता के वर्ष की 'जानकारी नहीं होने' के लिए कथित तौर पर थप्पड़ मारने की बात कही थी. उनकी इस टिप्पणी के चलते ये प्राथमिकियां दर्ज की गई थीं.
(पीटीआई-भाषा)