बैंकॉक : म्यांमार की एक अदालत ने अपदस्थ नेता आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) को अवैध रूप से वॉकी-टॉकी का आयात करने के मामले में दोषी पाया है. इसके अलावा सू की पर कोरोना वायरस प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का भी आरोप है. दोषी पाए जाने के बाद सोमवार को सू की को चार और साल जेल की सजा (Myanmar court Suu Kyi four rears jail) सुनाई गई. यह जानकारी एक कानूनी अधिकारी ने दी है. सू की के खिलाफ कई मामले चल रहे हैं. सभी मामलों में दोषी पाए जाने पर सूची को 100 साल से अधिक की कैद हो सकती है.
सेना ने हथियाई सत्ता
बता दें कि सू की को पिछले महीने दो अन्य आरोपों में दोषी ठहराया गया था. दोषी करार दिए जाने के बाद सू की को चार साल जेल की सजा दी गई थी, जिसे बाद में सैन्य-स्थापित सरकार के प्रमुख ने आधा कर दिया था. सोमवार 10 जनवरी को एक कानूनी अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर बताया कि म्यांमार की राजधानी नाएप्यीडॉ (Myanmar Capital Naypyidaw) की एक अदालत ने सूकी को चार और साल कैद की सजा का फैसला सुनाया.
उन्होंने बताया कि उन्हें 'वॉकी-टॉकी' आयात करने के लिए निर्यात-आयात कानून के तहत दो साल और उसे अपने पास रखने के लिए दूरसंचार कानून के तहत एक साल की सजा सुनाई गई. सजा एक साथ काटी जाएगी. चुनाव प्रचार के दौरान कथित तौर पर कोरोना वायरस संबंधी पाबंदियों का उल्लंघन करने के लिए उन्हें प्राकृतिक आपदा प्रबंधन कानून के तहत दो साल की सजा भी दी गई.
सू की को पिछले महीने भी कोविड-19 पाबंदियों का उल्लंघन करने और लोगों को इसका उल्लंघन करने के लिए उकसाने के दो अन्य आरोपों में दोषी ठहराया गया था और चार साल कैद की सजा सुनाई गई थी. सजा सुनाए जाने के कुछ घंटे बाद ही म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख ने मिन आंग लाइंग ने उनकी सजा को आधा कर दिया था.
म्यांमार तख्ता पलट
गौरतलब है कि पिछले फरवरी में म्यांमार की सेना द्वारा सत्ता हथियाने (Myanmar military coup) के बाद से आंग सान सू की के खिलाफ लगभग एक दर्जन अदालती मामले (Aung San Suu Kyi Court Cases) सामने आए हैं. चुनी हुई सरकार को हटाने के बाद से सेना लगातार सू की पर गंभीर आरोप लगा रही है.
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राजनीति में लौटने से रोकने का प्रयास
76 वर्षीय आंग सान सू की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हैं. सू की के समर्थकों का कहना है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप उन्हें राजनीति में लौटने से रोकने के लिए लगाए गए हैं. समर्थकों का कहना है कि सेना की कार्रवाई को वैध बनाने का प्रयास किया जा रहा है. सू की की पार्टी ने पिछले आम चुनाव में भारी जीत हासिल की थी, लेकिन सेना का कहना है कि चुनाव में व्यापक पैमाने पर धांधली हुई. हालांकि, स्वतंत्र चुनाव निगरानी संस्थाओं को इस दावे पर संदेह है.
(पीटीआई)