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अफगानिस्तान की जेल में बंद आईएस समर्थक की मां भारत में चाहती है बेटी पर मुकदमा - Bindu Islamic State Supporter

केरल की रहने वाली महिला बिंदू इस्लामिक स्टेट समर्थक होने के चलते इस समय काबुल की जेल में बंद है. लेकिन उसका कहना है कि उसे अपनी बेटी के कामों की वजह से निशाना बनाया जा रहा है और वह भारत में अपनी बेटी पर मुकदमा चाहती है.

Kabul prison in Afghanistan
अफगानिस्तान की काबुल जेल
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Published : Nov 27, 2022, 7:49 PM IST

तिरुवनंतपुरम: इस्लामिक स्टेट समर्थक होने के कारण फिलहाल काबुल की जेल में बंद निमिषा की मां बिंदू अपने भगवान पर पूरी उम्मीद लगाए हुए हैं. अपनी बेटी के कामों के लिए जिस तरह से उसे निशाना बनाया जा रहा है, उससे वह विशेष रूप से परेशान हैं. बिंदु ने कहा, 'मैंने कुछ गलत नहीं किया है और अगर मेरी बेटी ने गलत किया है, तो उस पर भारतीय कानून के तहत मुकदमा चलेगा और यह मेरा स्टैंड है.'

संयोग से, केरल सरकार द्वारा 2016 में विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों - आईबी, एनआईए और रॉ - से संपर्क करने के बाद केरलवासियों के आईएस में शामिल होने की खबरें सामने आईं. राज्य से 19 लापता लोगों के बारे में रिपोर्ट की सत्यता के बारे में और कुछ रिश्तेदारों के अनुसार माना जाता है कि वह आईएस में शामिल हो गई थी. इन 19 लोगों में 10 पुरुष, छह महिलाएं और तीन नाबालिग शामिल हैं और इनमें से ज्यादातर कासरगोड के हैं और कुछ पलक्कड़ जिले के हैं और इसमें ईसाई और हिंदू धर्मान्तरित लोग भी हैं.

2016 में बिंदू, जो राज्य की राजधानी में मानाकाडू के पास रहती हैं, उसने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से संपर्क किया और लापता बेटी का पता लगाने में मदद मांगी. लेकिन बाद में पता चला कि निमिषा ने अपनी दोस्त ईजा से शादी कर ली है, जो एक ईसाई थी और उसने इस्लाम कबूल कर लिया था. इसके आगे खबर आई कि वह अफगानिस्तान चली गई और मां-बेटी का आखिरी बार संपर्क नवंबर 2019 में हुआ था.

चार महिलाएं - सोनिया सेबेस्टियन उर्फ आयशा, मेरिन जैकब उर्फ मेरिन, निमिशा नायर उर्फ फातिमा ईसा और राफाएला - 2016-18 में खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) में इस्लामिक स्टेट के क्षेत्र में रहने के लिए अपने परिवारों के साथ अफगानिस्तान गई थीं. उनके पति अलग-अलग हमलों में मारे गए और महिलाओं ने नवंबर 2019 में अफगान अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. तभी से निमिषा और उसका छोटा बच्चा अब काबुल की एक जेल में बंद है.

बिंदू का कहना है कि उनकी प्रार्थनाओं का अभी तक जवाब नहीं मिला है, क्योंकि पिछले साल बिंदू के बाद यह मुद्दा फिर से उठा, एक प्रमुख राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक में छपी खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार के निमिशा सहित चार महिलाओं को देश में वापस लाने की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि वह नहीं जानती कि उन्हें क्यों निशाना बनाया जा रहा है और वह कहती है कि दबाव में आकर उन्होंने दो बार अपनी जान लेने की कोशिश की थी.

पढ़ें: Austra Hind 22 : भारत और ऑस्ट्रेलिया की सेनाएं कल से करेंगी राजस्थान में अभ्यास

बिंदू ने कहा, 'फिर मैं गंभीर अवसाद में आ गयी और किसी तरह मैं उससे भी बाहर आई. मैं बार-बार आने वाली सभी चीजों से निपटने की पूरी कोशिश कर रही हूं. मैंने सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया है और इसी तरह मैं शांति में रह पा रही हूं, लेकिन कई बार मैं टूट भी जाती हूं. मुझे विश्वास है कि मुझे न्याय मिलेगा, क्योंकि भगवान कोई रास्ता निकालेंगे.'

(आईएएनएस)

तिरुवनंतपुरम: इस्लामिक स्टेट समर्थक होने के कारण फिलहाल काबुल की जेल में बंद निमिषा की मां बिंदू अपने भगवान पर पूरी उम्मीद लगाए हुए हैं. अपनी बेटी के कामों के लिए जिस तरह से उसे निशाना बनाया जा रहा है, उससे वह विशेष रूप से परेशान हैं. बिंदु ने कहा, 'मैंने कुछ गलत नहीं किया है और अगर मेरी बेटी ने गलत किया है, तो उस पर भारतीय कानून के तहत मुकदमा चलेगा और यह मेरा स्टैंड है.'

संयोग से, केरल सरकार द्वारा 2016 में विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों - आईबी, एनआईए और रॉ - से संपर्क करने के बाद केरलवासियों के आईएस में शामिल होने की खबरें सामने आईं. राज्य से 19 लापता लोगों के बारे में रिपोर्ट की सत्यता के बारे में और कुछ रिश्तेदारों के अनुसार माना जाता है कि वह आईएस में शामिल हो गई थी. इन 19 लोगों में 10 पुरुष, छह महिलाएं और तीन नाबालिग शामिल हैं और इनमें से ज्यादातर कासरगोड के हैं और कुछ पलक्कड़ जिले के हैं और इसमें ईसाई और हिंदू धर्मान्तरित लोग भी हैं.

2016 में बिंदू, जो राज्य की राजधानी में मानाकाडू के पास रहती हैं, उसने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से संपर्क किया और लापता बेटी का पता लगाने में मदद मांगी. लेकिन बाद में पता चला कि निमिषा ने अपनी दोस्त ईजा से शादी कर ली है, जो एक ईसाई थी और उसने इस्लाम कबूल कर लिया था. इसके आगे खबर आई कि वह अफगानिस्तान चली गई और मां-बेटी का आखिरी बार संपर्क नवंबर 2019 में हुआ था.

चार महिलाएं - सोनिया सेबेस्टियन उर्फ आयशा, मेरिन जैकब उर्फ मेरिन, निमिशा नायर उर्फ फातिमा ईसा और राफाएला - 2016-18 में खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) में इस्लामिक स्टेट के क्षेत्र में रहने के लिए अपने परिवारों के साथ अफगानिस्तान गई थीं. उनके पति अलग-अलग हमलों में मारे गए और महिलाओं ने नवंबर 2019 में अफगान अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. तभी से निमिषा और उसका छोटा बच्चा अब काबुल की एक जेल में बंद है.

बिंदू का कहना है कि उनकी प्रार्थनाओं का अभी तक जवाब नहीं मिला है, क्योंकि पिछले साल बिंदू के बाद यह मुद्दा फिर से उठा, एक प्रमुख राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक में छपी खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार के निमिशा सहित चार महिलाओं को देश में वापस लाने की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि वह नहीं जानती कि उन्हें क्यों निशाना बनाया जा रहा है और वह कहती है कि दबाव में आकर उन्होंने दो बार अपनी जान लेने की कोशिश की थी.

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बिंदू ने कहा, 'फिर मैं गंभीर अवसाद में आ गयी और किसी तरह मैं उससे भी बाहर आई. मैं बार-बार आने वाली सभी चीजों से निपटने की पूरी कोशिश कर रही हूं. मैंने सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया है और इसी तरह मैं शांति में रह पा रही हूं, लेकिन कई बार मैं टूट भी जाती हूं. मुझे विश्वास है कि मुझे न्याय मिलेगा, क्योंकि भगवान कोई रास्ता निकालेंगे.'

(आईएएनएस)

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