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यूपी का यह जिला बना दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाला शहर - मरून जोन में आया मुरादाबाद

लंबे समय की राहत के बाद मुरादाबाद में वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया. आसमान पर छाए बादलों के साथ ही वातावरण में धुंध छाई रहने और रुक-रुककर हुई हल्की बारिश के बीच मुरादाबाद देश का दूसरा सबसे अधिक वायु प्रदूषित शहर दर्ज किया गया है.

दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर माना गया
दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर माना गया
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Published : Mar 27, 2022, 10:14 AM IST

Updated : Mar 27, 2022, 1:43 PM IST

मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद शहर ध्वनि प्रदूषण (नॉइस पॉल्यूशन) के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर माना गया है. मुरादाबाद में अधिकतम 114 डेसिबल (dB) ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया है. यूनाइटेड नेशंस एनवायरोमेंट प्रोग्राम (UNEP) की एक हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. इस रिपोर्ट में कुल 61 शहरों का उल्लेख है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक बुधवार को हरियाणा का बल्लभगढ़ देश में सबसे अधिक वायु प्रदूषित शहर रहा. वहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 446 रिकार्ड किया गया. दूसरे नंबर पर मुरादाबाद रहा. बिहार का मुजफ्फरपुर 409 एक्यूआई के साथ देश का तीसरा और मेरठ 407 एक्यूआई के साथ चौथा प्रदूषित शहर दर्ज किया गया. वहीं, राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर के कई शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक मुरादाबाद की तुलना में कम दर्ज किया गया.

लिस्ट पर डालें एक नजर
लिस्ट पर डालें एक नजर

ध्वनि प्रदूषण की लिस्ट में बांग्लादेश की राजधानी ढाका का नाम पहले स्थान पर है, जिसका सर्वोत्तम 119 डेसिबल है. ढाका और मुरादाबाद के बाद लिस्ट में तीसरे नंबर पर 105 डेसिबल के साथ इस्लामाबाद है. इस लिस्ट में दक्षिण एशिया के कुल 13 शहरों के नाम दर्ज हैं, जिसमें पांच शहर भारत के भी हैं. मुरादाबाद के अलावा, कोलकाता (89 dB), पश्चिम बंगाल का आसनसोल (89 dB), जयपुर (84 dB) और राजधानी दिल्ली (83dB) का भी नाम शामिल है.

इसे भी पढ़ें - आज 5वीं बार बढ़े Petrol और Diesel के दाम, जानिए क्या है नई कीमतें

सबसे खतरनाक मरून जोन में आया मुरादाबाद: मुरादाबाद में वायु प्रदूषण का स्तर सेहत के नजरिए से बहुत खतरनाक स्थिति में पहुंच गया. मुरादाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से ऊपर दर्ज किया गया. वायु प्रदूषण का मरून जोन मुरादाबाद में सामने आया. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह स्थिति बहुत ही खतरनाक है. सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों की हालत गंभीर रूप से बिगड़ जाने का खतरा है. मुरादाबाद में तीन जगहों पर वायु प्रदूषण का स्तर रिकॉर्ड किया गया सबसे ज्यादा खराब स्थिति बुद्धि विहार में सामने आई.

यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 429 रिकॉर्ड किया गया. वायु गुणवत्ता सूचकांक के मामले में कांठ रोड का इलाका दूसरे नंबर पर रहा. यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 420 रिकॉर्ड किया गया. जबकि तीसरे नंबर पर जिगर कॉलोनी रहा, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 415 रिकॉर्ड किया गया. विशेषज्ञों के मुताबिक अच्छी बारिश होने या तेज रफ्तार के साथ हवा चलने पर ही प्रदूषण से कुछ राहत मिल सकती है.

आपको बता दें कि 70dB से ज्यादा साउंड फ्रीक्वेंसी सेहत के लिए खतरनाक मानी जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साल 1999 की गाइडलाइन में रिहायशी इलाकों के लिए 55dB की सिफारिश की थी, जबकि ट्रैफिक और बिजनेस सेक्टर्स के लिए इसकी लिमिट 70 dB निर्धारित की गई थी. यूनाइटेड नेशंस एनवायरोमेंट प्रोग्राम (UNEP) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर इंगर एंडरसन ने कहा कि यह उच्च गुणवत्ता वाली नींद पर बुरा असर डालकर हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाता है.इतना ही नहीं, इससे कई जानवरों की प्रजातियों के संचार और उनके सुनने की क्षमता भी प्रभावित होती है. एक आधिकारिक पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक यूपी पुलिस की इमरजेंसी सर्विस ने साल 2021 में ध्वनि प्रदूषण के 14,000 से भी ज्यादा मामले दर्ज किए हैं. इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें शादियों में 10 बजे के बाद बजने वाले लाउड म्यूजिक से जुड़ी हैं.

सेहत के लिए खतरनाक ध्वनि प्रदूषण: हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ध्वनि प्रदूषण हमारी सेहत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. इससे हमारे शरीर में रिएक्शन की एक पूरी सीरीज होती है. इसे एरॉसल रिस्पॉन्स कहा जाता है, जो शरीर के विभिन्न अंगों को क्षति पहुंचा सकता है. इससे हमारा हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और ब्रीदिंग रेट काफी बढ़ सकता है. आपको डाइजेशन से जुड़ी दिक्कत हो सकती है. ध्वनि प्रदूषण का बुरा असर हमारी रक्त वाहिकाओं पर हो सकता है. इससे हमारी मांसपेशियां पर भी तनाव बढ़ता है.

इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण नॉइस इंड्यूस्ड हियरिंग लॉस की समस्या को भी ट्रिगर कर सकता है. यह दिक्कत तब होती है, जब कोई इंसान लंबे समय तक शोर के संपर्क में रहता है या फिर थोड़े समय के लिए तेज आवाज के संपर्क में रहता है. ये तेज आवाजें हमारे कान के अंदरूणी और संवेदनशील हिस्सों को नुकसान पहुंचाती हैं. यह समस्या एक या दोनों कानों में हो सकती है. आपके कान हमेशा के लिए खराब भी हो सकते हैं. इसके अलावा, ध्वनि प्रदूषण हार्ट डिसीज, माइग्रेन, नींद से जुड़े विकार और उत्पादक क्षमता को प्रभावित कर सकता है.

मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद शहर ध्वनि प्रदूषण (नॉइस पॉल्यूशन) के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर माना गया है. मुरादाबाद में अधिकतम 114 डेसिबल (dB) ध्वनि प्रदूषण दर्ज किया गया है. यूनाइटेड नेशंस एनवायरोमेंट प्रोग्राम (UNEP) की एक हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. इस रिपोर्ट में कुल 61 शहरों का उल्लेख है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक बुधवार को हरियाणा का बल्लभगढ़ देश में सबसे अधिक वायु प्रदूषित शहर रहा. वहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 446 रिकार्ड किया गया. दूसरे नंबर पर मुरादाबाद रहा. बिहार का मुजफ्फरपुर 409 एक्यूआई के साथ देश का तीसरा और मेरठ 407 एक्यूआई के साथ चौथा प्रदूषित शहर दर्ज किया गया. वहीं, राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर के कई शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक मुरादाबाद की तुलना में कम दर्ज किया गया.

लिस्ट पर डालें एक नजर
लिस्ट पर डालें एक नजर

ध्वनि प्रदूषण की लिस्ट में बांग्लादेश की राजधानी ढाका का नाम पहले स्थान पर है, जिसका सर्वोत्तम 119 डेसिबल है. ढाका और मुरादाबाद के बाद लिस्ट में तीसरे नंबर पर 105 डेसिबल के साथ इस्लामाबाद है. इस लिस्ट में दक्षिण एशिया के कुल 13 शहरों के नाम दर्ज हैं, जिसमें पांच शहर भारत के भी हैं. मुरादाबाद के अलावा, कोलकाता (89 dB), पश्चिम बंगाल का आसनसोल (89 dB), जयपुर (84 dB) और राजधानी दिल्ली (83dB) का भी नाम शामिल है.

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सबसे खतरनाक मरून जोन में आया मुरादाबाद: मुरादाबाद में वायु प्रदूषण का स्तर सेहत के नजरिए से बहुत खतरनाक स्थिति में पहुंच गया. मुरादाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से ऊपर दर्ज किया गया. वायु प्रदूषण का मरून जोन मुरादाबाद में सामने आया. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह स्थिति बहुत ही खतरनाक है. सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों की हालत गंभीर रूप से बिगड़ जाने का खतरा है. मुरादाबाद में तीन जगहों पर वायु प्रदूषण का स्तर रिकॉर्ड किया गया सबसे ज्यादा खराब स्थिति बुद्धि विहार में सामने आई.

यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 429 रिकॉर्ड किया गया. वायु गुणवत्ता सूचकांक के मामले में कांठ रोड का इलाका दूसरे नंबर पर रहा. यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 420 रिकॉर्ड किया गया. जबकि तीसरे नंबर पर जिगर कॉलोनी रहा, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 415 रिकॉर्ड किया गया. विशेषज्ञों के मुताबिक अच्छी बारिश होने या तेज रफ्तार के साथ हवा चलने पर ही प्रदूषण से कुछ राहत मिल सकती है.

आपको बता दें कि 70dB से ज्यादा साउंड फ्रीक्वेंसी सेहत के लिए खतरनाक मानी जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साल 1999 की गाइडलाइन में रिहायशी इलाकों के लिए 55dB की सिफारिश की थी, जबकि ट्रैफिक और बिजनेस सेक्टर्स के लिए इसकी लिमिट 70 dB निर्धारित की गई थी. यूनाइटेड नेशंस एनवायरोमेंट प्रोग्राम (UNEP) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर इंगर एंडरसन ने कहा कि यह उच्च गुणवत्ता वाली नींद पर बुरा असर डालकर हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाता है.इतना ही नहीं, इससे कई जानवरों की प्रजातियों के संचार और उनके सुनने की क्षमता भी प्रभावित होती है. एक आधिकारिक पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक यूपी पुलिस की इमरजेंसी सर्विस ने साल 2021 में ध्वनि प्रदूषण के 14,000 से भी ज्यादा मामले दर्ज किए हैं. इनमें सबसे ज्यादा शिकायतें शादियों में 10 बजे के बाद बजने वाले लाउड म्यूजिक से जुड़ी हैं.

सेहत के लिए खतरनाक ध्वनि प्रदूषण: हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ध्वनि प्रदूषण हमारी सेहत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. इससे हमारे शरीर में रिएक्शन की एक पूरी सीरीज होती है. इसे एरॉसल रिस्पॉन्स कहा जाता है, जो शरीर के विभिन्न अंगों को क्षति पहुंचा सकता है. इससे हमारा हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और ब्रीदिंग रेट काफी बढ़ सकता है. आपको डाइजेशन से जुड़ी दिक्कत हो सकती है. ध्वनि प्रदूषण का बुरा असर हमारी रक्त वाहिकाओं पर हो सकता है. इससे हमारी मांसपेशियां पर भी तनाव बढ़ता है.

इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण नॉइस इंड्यूस्ड हियरिंग लॉस की समस्या को भी ट्रिगर कर सकता है. यह दिक्कत तब होती है, जब कोई इंसान लंबे समय तक शोर के संपर्क में रहता है या फिर थोड़े समय के लिए तेज आवाज के संपर्क में रहता है. ये तेज आवाजें हमारे कान के अंदरूणी और संवेदनशील हिस्सों को नुकसान पहुंचाती हैं. यह समस्या एक या दोनों कानों में हो सकती है. आपके कान हमेशा के लिए खराब भी हो सकते हैं. इसके अलावा, ध्वनि प्रदूषण हार्ट डिसीज, माइग्रेन, नींद से जुड़े विकार और उत्पादक क्षमता को प्रभावित कर सकता है.

Last Updated : Mar 27, 2022, 1:43 PM IST
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