सबरीमला : केरल के पथानामथिट्टा जिले के सबरीमला स्थित प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में शनिवार को ‘मकरविलाक्कू’ अनुष्ठान के दिन दर्शनार्थियों की लंबी कतार देखी गई और हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान अयप्पा की पूजा अर्चना की. ‘मकरविलाक्कू’ अनुष्ठान दो महीने की तीर्थ यात्रा के समापन के अवसर पर किया जाता है. पारंपरिक काले रंग के परिधान में हजारों श्रद्धालु सिर पर ‘इरिमुडी केट्टु’ (भगवान अयप्पा को समर्पित करने के लिए लाए गए सामान की पारंपरिक पोटली) लिए धैर्यपूर्वक भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में खड़े रहे.
सबरीमाला मंदिर तक पहुंचने के लिए जंगल के बीच से गुजरने वाले रास्ते और आधार शिविर पर भगवान अयप्पा के नाम का जाप सुबह से ही सुनाई देने लगा था. भारी भीड़ की वजह से अधिकारियो ने आधार शिविर से मंदिर जाने के लिए तत्काल बुकिंग की सुविधा पर रोक लगा दी थी. उस समय भगवान अयप्पा के जयकारों की ध्वनि तेज हो गई, जब मंदिर के कपाट को शाम ‘दीप आराधना’ के बाद खोला गया. भगवान अयप्पा की प्रतिमा को पंडलम महल से लाए गए पवित्र गहनों ‘तिरुवभरनम’ से सुसज्जित करने के बाद आरती की गई.
आभूषणों को ‘आरती’ से कुछ समय पहले जुलूस के रूप में लाया गया, जो तीन दिन की यात्रा कर महल से मंदिर तक पहुंचे थे. 'सरणम अयप्पा' जाप की ध्वनि उस समय और तेज हो गई जब श्रद्धालुओं द्वारा पवित्र मानी जानी वाली ‘मकर ज्योति’ जलाई गई. आरती के कुछ मिनटों के बाद ही मंदिर परिसर से करीब आठ किलोमीटर दूर पूर्वी पहाड़ी के शिखर पोन्नाम्बलमेडु में आसमान प्रकाश से भर गया. यह ज्योति केरल सरकार द्वारा त्रावणकोर देवस्व ओम बोर्ड (टीडीपी)और वन विभाग के सहयोग से पोन्नाम्बलमेडु में जलाई जाती है, जो पहाड़ी पर रहने वाले आदिवासी परिवारों की परंपरा की निरंतरता है. राज्य देवस्व ओम बोर्ड के मंत्री के राधाकृष्णन सुबह से ही मंदिर परिसर में विभिन्न तैयारियों को देखने के लिए डेरा डाले हुए थे. टीडीपी के सूत्रों ने बताया कि 20 जनवरी को मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे.