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Internal fighting NCP : महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलट-फेर, समर्थक विधायकों के साथ एनडीए में शामिल हुए अजित पवार

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Published : Jul 2, 2023, 2:04 PM IST

Updated : Jul 2, 2023, 7:22 PM IST

नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार के विद्रोह से पार्टी दो फाड़ हो गई. अपने समर्थक विधायकों के साथ अजित पवार एकनाथ शिंदे मंत्रिमंडल में शामिल हो गए. उनके साथ छगन भुजबल जैसे वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए. शरद पवार ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि अजित ने विधायकों की बैठक बुलाई है. शरद पवार ने छह जुलाई को पार्टी की बैठक बुलाई थी. उस बैठक में पार्टी अध्यक्ष का नाम तय होना था. इसकी भनक लगते ही अजित पवार पहले ही चौकन्ने हो गए, और वे भाजपा-शिवसेना गठबंधन में शामिल हो गए.

Ajit pawar , Sharad Pawar
अजित पवार , शरद पवार

मुंबई : नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) आंतरिक विद्रोह की वजह से दो फाड़ हो गई है. अजित पवार ने विद्रोह कर दिया. वह अपने समर्थक विधायकों के साथ एनडीए में शामिल हो गए. अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ एनसीपी नेता छगन भुजबल, दिलीप वालसे, धनंजय मुंडे और अदिति तटकरे समेत आठ मंत्रियों ने मंत्री पद की शपथ ली. अजित पवार ने दावा किया है कि पूरी पार्टी उनके साथ है, और वह सरकार में एनसीपी के रूप में ही शामिल हुए हैं.

  • Whenever we sit together, we discuss about this. We have all the MLAs with us: Maharashtra Minister Chhagan Bhujabal pic.twitter.com/ajEnKuHdot

    — ANI (@ANI) July 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
क्या कहा अजित पवार ने -

'हमने सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया. अधिकांश विधायक हमारे साथ हैं. आज के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भी कुछ और लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. हमने विकास को अधिक महत्व दिया, इसलिए सरकार में शामिल हुए. पीएम मोदी पिछले नौ साल से देश के विकास के लिए काम कर रहे हैं, इसलिए हम भी इस कार्य में सहभागिता बढ़ाने के लिए शामिल होना चाह रहे थे. विपक्ष तो आपस में ही एक दूसरे के खिलाफ भिड़ रहे हैं. विपक्षी एकता से कुछ खास नहीं निकलेगा. हम पार्टी के सिंबल पर ही चुनाव लड़ेंगे. हम पंचायत चुनाव भी अपने अपने सिंबल पर लड़ेंगे. नागालैंड में भी ऐसी ही स्थिति थी, इसलिए पार्टी भाजपा सरकार के साथ हुई. यहां पर भी लोग आरोप लगाएंगे, कुछ न कुछ कहेंगे, उनका जवाब हम नहीं देंगे. हम तो शिवसेना के साथ सरकार बना चुके हैं, तो भाजपा के साथ सरकार बनाने से किसी को क्या दिक्कत हो सकती है.'

अजित पवार और छगन भुजबल ने दावा किया है कि एनसीपी पार्टी पूरी तरह से उनके साथ है. पवार ने कहा कि वह चुनाव में एनसीपी के रूप में ही जाएंगे.

शरद पवार ने क्या दिया जवाब -

जो लोग यह दावा कर रहे हैं कि वही पार्टी हैं, वह गलत है. कुछ लोगों ने गलत कदम उठाया. अजित पवार ने कुछ लोगों के हस्ताक्षर लिए हैं, लेकिन हस्ताक्षर करने वालों ने मुझसे कहा कि वह उनके (अजित) साथ नहीं हैं. मेरे सामने तो ऐसी परिस्थिति पहले भी आई है. 1980 में 58 में से 52 विधायक छोड़कर चले गए थे. फिर भी हम वापस आए. अगले चुनाव में हम 69 सीट जीतकर आए. जो लोग छोड़कर गए, उनमें 45 विधायक चुनाव हार गए थे. हमें महाराष्ट्र की जनता पर पूरा भरोसा है. 2014 के मुकाबले हम 2019 में अधिक सीट जीते. मुझे देश के कई लोगों और नेताओं का फोन आया, सभी ने हमारा साथ देने का वादा किया है. जो भी हुआ, मुझे इसकी कोई चिंता नहीं है. मैं फिर से पार्टी खड़ा करूंगा. एनसीपी किसकी है, इसका फैसला लोग करेंगे. इस पार्टी को मैंने बनाई है. जिसको भी जो दावा करना है, करने दो.

  • This is not a new thing. The party I was leading in 1980 had 58 MLAs, later all left and only 6 MLAs left, but I strengthened the numbers and those who left me lost in their constituencies: NCP chief Sharad Pawar on Ajit Pawar joining the NDA government in Maharashtra pic.twitter.com/GO3tQX7Q7E

    — ANI (@ANI) July 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मंत्रिमंडल में शामिल होने से पहले क्या हुआ - एनसीपी प्रमुख शरद पवार की उपस्थिति में छह जुलाई को पार्टी की बैठक होनी थी. कथित तौर पर उस बैठक में पार्टी अध्यक्ष का नाम तय होना था. लेकिन उस बैठक से ठीक पहले अजित पवार ने विधायकों की बैठक बुला ली. यह बैठक आज दिन में हुई. अजित पवार ने एक दिन पहले ही प्रतिपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया था. सूत्रों की मानें तो अजित पवार महाराष्ट्र यूनिट के अध्यक्ष न बनाए जाने से नाराज थे.

अजित पवार द्वारा पार्टी की बैठक बुलाए जाने की जानकारी के बाद एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने शरद पवार से टेलीफोन पर बातचीत की. शरद पवार अभी पुणे में हैं. पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले भी पवार के साथ हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शरद पवार ने अपने दूसरे कार्यक्रम स्थगित कर दिए.

ऐसा कहा जा रहा था कि अजित पवार पार्टी संगठन में नई जिम्मेदारी की मांग कर रहे थे. पार्टी में जो भी नए फेरबदल किए गए थे, शरद पवार ने अजित पवार को कोई नई भूमिका नहीं दी थी. सीनियर पवार ने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी थी. हालांकि, प्रफुल्ल पटेल खुद अजित पवार के साथ आ गए.

पिछले महीने जब एनसीपी ने बैठक बुलाई थी, तब शरद पवार ने इस्तीफे की पेशकश की थी. उनके त्याग पत्र देने की घोषणा होते ही मीडिया के कैमरे के सामने ही कुछ नेता रोने लगे और कार्यकर्ताओं ने शरद पवार से अपना इस्तीफा वापस लेने को कहा. उस समय उस बैठक में जितने भी लोग मौजूद थे, सबने शरद पवार से अपना निर्णय वापस लेने का अनुरोध किया.

उस बैठक में अजित पवार ही इकलौते नेता थे, जिन्होंने शरद पवार से अपना इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध नहीं किया. बल्कि जूनियर पवार ने कहा कि शरद पवार की इच्छा का सम्मान किया जाना चाहिए और हमलोगों को आगे बढ़ना चाहिए, पार्टी को नए नामों पर विचार करना चाहिए. दरअसल, उस बैठक में ही तय हो गया था कि अजित पवार के पक्ष में बहुत सारे नेता नहीं हैं.

सियासी जानकारों ने इसे शरद 'पवार स्टाइल' का पॉलिटिक्स कहा था. उन्होंने एक ही झटके में न सिर्फ पार्टी और संगठन पर अपना वर्चस्व साबित कर दिया, बल्कि अपने 'चहेतों' के लिए भी जगह बना ली. समर्थक नेताओं ने कहा कि शरद पवार संगठन में किसी को भी जो भी पद देंगे, वह सबको स्वीकार्य होगा. इसके बाद ही शरद पवार ने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी की जिम्मेदारी प्रदान कर दी, लेकिन अजित पवार के लिए कुछ नहीं कहा. बाद में जब मीडिया ने अजित पवार को लेकर सवाल पूछा, तो पार्टी ने कहा कि वह पहले से ही विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हैं.

पर आज जो भी कुछ हुआ, उससे शरद पवार हतप्रभ जरूर होंगे. सियासत दान इसे ही कह रहे हैं कि पवार को पवार मिल गया. कुछ दिनों पहले शरद पवार ने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस हमारी गुगली को समझ नहीं सके. पवार ने कहा था कि विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद जब किसी की भी सरकार नहीं बन रही थी, तब हमने अजित पवार को आगे कर डेडलॉक तोड़ा था. पवार के अनुसार यह एक गुगली थी.

इस पर पलटवार करते हुए फडणवीस ने कहा था कि चलो कम से कम पवार ने स्वीकार तो किया कि उस समय जो भी कुछ हुई, वह उनकी जानकारी में था. फडणवीस ने कहा कि यह तो हमारी जीत हुई कि उन्होंने पवार को सच बोलने पर मजबूर कर दिया.

अब राजनीतिक टिप्पणीकार बता रहे हैं कि इस बार पवार को झटका जरूर लगा होगा. विश्लेषकों ने क्रिकेट की भाषा का ही उपयोग कर कहा कि इस बार पवार को यॉर्कर मिल गया.

कुछ दिन पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में एक जनसभा को संबोधित करते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर अपने परिवार को बढ़ाने का आरोप लगाया था, तब पवार ने पलटवार करते हुए कहा था कि सुप्रिया सुले खुद लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनी है. उन्होंने कहा कि वह किसी भी परिवार के सदस्य को राजनीति में आगे नहीं बढ़ा रहे हैं. इसलिए परिवारवाद का आरोप गलत है.

ये भी पढ़ें : Oath Ceremony in Maharashtra : एनसीपी में टूट, मंत्रिमंडल में कौन-कौन हुए शामिल, जानें

ये भी पढ़ें : महाराष्ट्र की सरकार हुई ट्रिपल इंजन, बुलेट ट्रेन की गति से भागने को तैयार- सीएम एकनाथ शिंदे

मुंबई : नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) आंतरिक विद्रोह की वजह से दो फाड़ हो गई है. अजित पवार ने विद्रोह कर दिया. वह अपने समर्थक विधायकों के साथ एनडीए में शामिल हो गए. अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ एनसीपी नेता छगन भुजबल, दिलीप वालसे, धनंजय मुंडे और अदिति तटकरे समेत आठ मंत्रियों ने मंत्री पद की शपथ ली. अजित पवार ने दावा किया है कि पूरी पार्टी उनके साथ है, और वह सरकार में एनसीपी के रूप में ही शामिल हुए हैं.

  • Whenever we sit together, we discuss about this. We have all the MLAs with us: Maharashtra Minister Chhagan Bhujabal pic.twitter.com/ajEnKuHdot

    — ANI (@ANI) July 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
क्या कहा अजित पवार ने -

'हमने सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया. अधिकांश विधायक हमारे साथ हैं. आज के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद भी कुछ और लोगों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. हमने विकास को अधिक महत्व दिया, इसलिए सरकार में शामिल हुए. पीएम मोदी पिछले नौ साल से देश के विकास के लिए काम कर रहे हैं, इसलिए हम भी इस कार्य में सहभागिता बढ़ाने के लिए शामिल होना चाह रहे थे. विपक्ष तो आपस में ही एक दूसरे के खिलाफ भिड़ रहे हैं. विपक्षी एकता से कुछ खास नहीं निकलेगा. हम पार्टी के सिंबल पर ही चुनाव लड़ेंगे. हम पंचायत चुनाव भी अपने अपने सिंबल पर लड़ेंगे. नागालैंड में भी ऐसी ही स्थिति थी, इसलिए पार्टी भाजपा सरकार के साथ हुई. यहां पर भी लोग आरोप लगाएंगे, कुछ न कुछ कहेंगे, उनका जवाब हम नहीं देंगे. हम तो शिवसेना के साथ सरकार बना चुके हैं, तो भाजपा के साथ सरकार बनाने से किसी को क्या दिक्कत हो सकती है.'

अजित पवार और छगन भुजबल ने दावा किया है कि एनसीपी पार्टी पूरी तरह से उनके साथ है. पवार ने कहा कि वह चुनाव में एनसीपी के रूप में ही जाएंगे.

शरद पवार ने क्या दिया जवाब -

जो लोग यह दावा कर रहे हैं कि वही पार्टी हैं, वह गलत है. कुछ लोगों ने गलत कदम उठाया. अजित पवार ने कुछ लोगों के हस्ताक्षर लिए हैं, लेकिन हस्ताक्षर करने वालों ने मुझसे कहा कि वह उनके (अजित) साथ नहीं हैं. मेरे सामने तो ऐसी परिस्थिति पहले भी आई है. 1980 में 58 में से 52 विधायक छोड़कर चले गए थे. फिर भी हम वापस आए. अगले चुनाव में हम 69 सीट जीतकर आए. जो लोग छोड़कर गए, उनमें 45 विधायक चुनाव हार गए थे. हमें महाराष्ट्र की जनता पर पूरा भरोसा है. 2014 के मुकाबले हम 2019 में अधिक सीट जीते. मुझे देश के कई लोगों और नेताओं का फोन आया, सभी ने हमारा साथ देने का वादा किया है. जो भी हुआ, मुझे इसकी कोई चिंता नहीं है. मैं फिर से पार्टी खड़ा करूंगा. एनसीपी किसकी है, इसका फैसला लोग करेंगे. इस पार्टी को मैंने बनाई है. जिसको भी जो दावा करना है, करने दो.

  • This is not a new thing. The party I was leading in 1980 had 58 MLAs, later all left and only 6 MLAs left, but I strengthened the numbers and those who left me lost in their constituencies: NCP chief Sharad Pawar on Ajit Pawar joining the NDA government in Maharashtra pic.twitter.com/GO3tQX7Q7E

    — ANI (@ANI) July 2, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मंत्रिमंडल में शामिल होने से पहले क्या हुआ - एनसीपी प्रमुख शरद पवार की उपस्थिति में छह जुलाई को पार्टी की बैठक होनी थी. कथित तौर पर उस बैठक में पार्टी अध्यक्ष का नाम तय होना था. लेकिन उस बैठक से ठीक पहले अजित पवार ने विधायकों की बैठक बुला ली. यह बैठक आज दिन में हुई. अजित पवार ने एक दिन पहले ही प्रतिपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया था. सूत्रों की मानें तो अजित पवार महाराष्ट्र यूनिट के अध्यक्ष न बनाए जाने से नाराज थे.

अजित पवार द्वारा पार्टी की बैठक बुलाए जाने की जानकारी के बाद एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने शरद पवार से टेलीफोन पर बातचीत की. शरद पवार अभी पुणे में हैं. पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले भी पवार के साथ हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शरद पवार ने अपने दूसरे कार्यक्रम स्थगित कर दिए.

ऐसा कहा जा रहा था कि अजित पवार पार्टी संगठन में नई जिम्मेदारी की मांग कर रहे थे. पार्टी में जो भी नए फेरबदल किए गए थे, शरद पवार ने अजित पवार को कोई नई भूमिका नहीं दी थी. सीनियर पवार ने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी थी. हालांकि, प्रफुल्ल पटेल खुद अजित पवार के साथ आ गए.

पिछले महीने जब एनसीपी ने बैठक बुलाई थी, तब शरद पवार ने इस्तीफे की पेशकश की थी. उनके त्याग पत्र देने की घोषणा होते ही मीडिया के कैमरे के सामने ही कुछ नेता रोने लगे और कार्यकर्ताओं ने शरद पवार से अपना इस्तीफा वापस लेने को कहा. उस समय उस बैठक में जितने भी लोग मौजूद थे, सबने शरद पवार से अपना निर्णय वापस लेने का अनुरोध किया.

उस बैठक में अजित पवार ही इकलौते नेता थे, जिन्होंने शरद पवार से अपना इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध नहीं किया. बल्कि जूनियर पवार ने कहा कि शरद पवार की इच्छा का सम्मान किया जाना चाहिए और हमलोगों को आगे बढ़ना चाहिए, पार्टी को नए नामों पर विचार करना चाहिए. दरअसल, उस बैठक में ही तय हो गया था कि अजित पवार के पक्ष में बहुत सारे नेता नहीं हैं.

सियासी जानकारों ने इसे शरद 'पवार स्टाइल' का पॉलिटिक्स कहा था. उन्होंने एक ही झटके में न सिर्फ पार्टी और संगठन पर अपना वर्चस्व साबित कर दिया, बल्कि अपने 'चहेतों' के लिए भी जगह बना ली. समर्थक नेताओं ने कहा कि शरद पवार संगठन में किसी को भी जो भी पद देंगे, वह सबको स्वीकार्य होगा. इसके बाद ही शरद पवार ने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को पार्टी की जिम्मेदारी प्रदान कर दी, लेकिन अजित पवार के लिए कुछ नहीं कहा. बाद में जब मीडिया ने अजित पवार को लेकर सवाल पूछा, तो पार्टी ने कहा कि वह पहले से ही विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हैं.

पर आज जो भी कुछ हुआ, उससे शरद पवार हतप्रभ जरूर होंगे. सियासत दान इसे ही कह रहे हैं कि पवार को पवार मिल गया. कुछ दिनों पहले शरद पवार ने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस हमारी गुगली को समझ नहीं सके. पवार ने कहा था कि विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद जब किसी की भी सरकार नहीं बन रही थी, तब हमने अजित पवार को आगे कर डेडलॉक तोड़ा था. पवार के अनुसार यह एक गुगली थी.

इस पर पलटवार करते हुए फडणवीस ने कहा था कि चलो कम से कम पवार ने स्वीकार तो किया कि उस समय जो भी कुछ हुई, वह उनकी जानकारी में था. फडणवीस ने कहा कि यह तो हमारी जीत हुई कि उन्होंने पवार को सच बोलने पर मजबूर कर दिया.

अब राजनीतिक टिप्पणीकार बता रहे हैं कि इस बार पवार को झटका जरूर लगा होगा. विश्लेषकों ने क्रिकेट की भाषा का ही उपयोग कर कहा कि इस बार पवार को यॉर्कर मिल गया.

कुछ दिन पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में एक जनसभा को संबोधित करते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर अपने परिवार को बढ़ाने का आरोप लगाया था, तब पवार ने पलटवार करते हुए कहा था कि सुप्रिया सुले खुद लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनी है. उन्होंने कहा कि वह किसी भी परिवार के सदस्य को राजनीति में आगे नहीं बढ़ा रहे हैं. इसलिए परिवारवाद का आरोप गलत है.

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Last Updated : Jul 2, 2023, 7:22 PM IST
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