ETV Bharat / bharat

लापरवाही के कारण सहारा अस्पताल पर एक करोड़ का जुर्माना, राज्य उपभोक्ता आयोग का आदेश - लखनऊ में सहारा अस्पताल

लापरवाही के कारण सहारा अस्पताल पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया (Lucknow Sahara Hospital Fined Rs 1 crore for negligence) गया है. यह आदेश राज्य उपभोक्ता आयोग ने जारी किया है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : May 6, 2023, 6:41 AM IST

लखनऊ: सहारा अस्पताल पर इलाज में लापरवाही बरतने का मामला प्रकाश में आया है. आरोप है कि इलाज में लापरवाही से मरीज की मौत हो गई. मृतक की पत्नी की शिकायत पर राज्य उपभोक्ता आयोग ने सुनवाई के बाद अस्पताल पर एक करोड़ 50 हजार रुपये का जुर्माना (Lucknow Sahara Hospital Fined Rs 1 crore for negligence) लगाया है. साथ ही तय समय पर जुर्माने की धनराशि न चुकाने पर 12 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज के साथ धनराशि अदा करने का आदेश दिया गया है.

लखनऊ के न्यू हैदराबाद निवासी जीनत जमाल सिद्दीकी की ओर से आयोग में की गई शिकायत के अनुसार उनके पति स्व.अशरफ जमाल सिद्दीकी (पूर्व न्यायाधीश जिला उपभोक्ता आयोग प्रथम लखनऊ) का स्वास्थ्य खराब होने पर 27 अप्रैल 2010 को सहारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था. भर्ती के दौरान मरीज के शरीर के सभी अंग काम कर रहे थे.

इलाज के दौरान उनकी तबियत में सुधार होने के बजाय बिगड़ती चली गई. पांच मई 2010 को हालात नाजुक होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रख दिया गया. आरोप है इस दौरान बिना जरूरत के ही उन्हें खून चढ़ाया गया. इतना ही नहीं मरीज के होश में आने के बावजूद परिवार के लोगों से मिलने नहीं दिया गया. 17 मई 2010 को डॉक्टर सुनील वर्मा ने डायलिसिस करने की जरूरत बताई गयी. इसके बाद भी तबियत में सुधार न होने पर डॉक्टरों ने पीजीआई रेफर कर दिया. उसी दिन मरीज की मौत हो गई.

बिना बीमारी करते रहे मलेरिया का इलाज: पीड़ित के वकील ने बताया कि मृतक की पत्नी की ओर से 13 नवंबर 2010 को अस्पताल प्रशासन को एक विधिक नोटिस भेजी गई. लेकिन अस्पताल की तरफ से कोई जवाब न मिलने पर राज्य उपभोक्ता आयोग में अस्पताल के विरुद्ध परिवाद दाखिल किया गया. राज्य आयोग के पीठासीन न्यायाधीश राजेंद्र सिंह और सदस्य विकास सक्सेना ने इस मामले की सुनवाई की. आयोग ने अस्पताल से इलाज से संबंधित हिस्ट्रीशीट मंगवाई. अवलोकन करने पर पता चला कि ​​रोगी को फेलसिगो 120 एमजी का इंजेक्‍शन आठ दिन देने की बात लिखी है.

यह इंजेक्‍शन मलेरिया में दिया जाता है और वह भी तब, जब मलेरिया काफी तीव्र होता है. इसके अलावा एक अन्‍य ड्रग लेरियागो दिन में दो बार भी लिखा और यह भी दवा मलेरिया के लिए होती है. राज्‍य आयोग ने यह पाया कि ये दोनों दवायें मलेरिया की हैं, लेकिन मरीज के केस हिस्‍ट्री में मलेरिया से संबंधित परीक्षण की कोई भी रिपोर्ट नहीं है. इससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि रोगी को मलेरिया हुआ ही नहीं था और इसके बावजूद लापरवाही पूर्वक उसे मलेरिया की उच्‍च शक्ति वाली दवाइयां दी जा रही थीं. इसके अलावा इलाज में अन्य कई तरह की लापरवाही बरतने की पुष्टि हुई.



ऐसे चुकानी होगा जुर्माने की राशि: 70 लाख रुपये भर्ती कराने की तिथि 27 अप्रैल से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ इस परिवाद के निर्णय तिथि से 60 दिन के अंदर अदा करना होगा. अन्‍यथा ब्‍याज की दर 15 प्रतिशत होगी. इसके अलावा वाद व्‍यय के रूप में परिवादी को 50 हजार रुपये 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ देना होगा. इसके अलावा सेवा में कमी, चिकित्‍सीय लापरवाही, उपेक्षा, गलत चिकित्‍सा, अवसाद आदि के मद में 30 लाख रुपये मय 12 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया गया है.

ये भी पढ़ें- सब्सक्राइबर्स की चाहत में मौत की रफ्तार, यूट्यूबर अगस्त्य की मौत पर एसपी ट्रैफिक ने कही ये बात

लखनऊ: सहारा अस्पताल पर इलाज में लापरवाही बरतने का मामला प्रकाश में आया है. आरोप है कि इलाज में लापरवाही से मरीज की मौत हो गई. मृतक की पत्नी की शिकायत पर राज्य उपभोक्ता आयोग ने सुनवाई के बाद अस्पताल पर एक करोड़ 50 हजार रुपये का जुर्माना (Lucknow Sahara Hospital Fined Rs 1 crore for negligence) लगाया है. साथ ही तय समय पर जुर्माने की धनराशि न चुकाने पर 12 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज के साथ धनराशि अदा करने का आदेश दिया गया है.

लखनऊ के न्यू हैदराबाद निवासी जीनत जमाल सिद्दीकी की ओर से आयोग में की गई शिकायत के अनुसार उनके पति स्व.अशरफ जमाल सिद्दीकी (पूर्व न्यायाधीश जिला उपभोक्ता आयोग प्रथम लखनऊ) का स्वास्थ्य खराब होने पर 27 अप्रैल 2010 को सहारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था. भर्ती के दौरान मरीज के शरीर के सभी अंग काम कर रहे थे.

इलाज के दौरान उनकी तबियत में सुधार होने के बजाय बिगड़ती चली गई. पांच मई 2010 को हालात नाजुक होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रख दिया गया. आरोप है इस दौरान बिना जरूरत के ही उन्हें खून चढ़ाया गया. इतना ही नहीं मरीज के होश में आने के बावजूद परिवार के लोगों से मिलने नहीं दिया गया. 17 मई 2010 को डॉक्टर सुनील वर्मा ने डायलिसिस करने की जरूरत बताई गयी. इसके बाद भी तबियत में सुधार न होने पर डॉक्टरों ने पीजीआई रेफर कर दिया. उसी दिन मरीज की मौत हो गई.

बिना बीमारी करते रहे मलेरिया का इलाज: पीड़ित के वकील ने बताया कि मृतक की पत्नी की ओर से 13 नवंबर 2010 को अस्पताल प्रशासन को एक विधिक नोटिस भेजी गई. लेकिन अस्पताल की तरफ से कोई जवाब न मिलने पर राज्य उपभोक्ता आयोग में अस्पताल के विरुद्ध परिवाद दाखिल किया गया. राज्य आयोग के पीठासीन न्यायाधीश राजेंद्र सिंह और सदस्य विकास सक्सेना ने इस मामले की सुनवाई की. आयोग ने अस्पताल से इलाज से संबंधित हिस्ट्रीशीट मंगवाई. अवलोकन करने पर पता चला कि ​​रोगी को फेलसिगो 120 एमजी का इंजेक्‍शन आठ दिन देने की बात लिखी है.

यह इंजेक्‍शन मलेरिया में दिया जाता है और वह भी तब, जब मलेरिया काफी तीव्र होता है. इसके अलावा एक अन्‍य ड्रग लेरियागो दिन में दो बार भी लिखा और यह भी दवा मलेरिया के लिए होती है. राज्‍य आयोग ने यह पाया कि ये दोनों दवायें मलेरिया की हैं, लेकिन मरीज के केस हिस्‍ट्री में मलेरिया से संबंधित परीक्षण की कोई भी रिपोर्ट नहीं है. इससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि रोगी को मलेरिया हुआ ही नहीं था और इसके बावजूद लापरवाही पूर्वक उसे मलेरिया की उच्‍च शक्ति वाली दवाइयां दी जा रही थीं. इसके अलावा इलाज में अन्य कई तरह की लापरवाही बरतने की पुष्टि हुई.



ऐसे चुकानी होगा जुर्माने की राशि: 70 लाख रुपये भर्ती कराने की तिथि 27 अप्रैल से 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ इस परिवाद के निर्णय तिथि से 60 दिन के अंदर अदा करना होगा. अन्‍यथा ब्‍याज की दर 15 प्रतिशत होगी. इसके अलावा वाद व्‍यय के रूप में परिवादी को 50 हजार रुपये 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज के साथ देना होगा. इसके अलावा सेवा में कमी, चिकित्‍सीय लापरवाही, उपेक्षा, गलत चिकित्‍सा, अवसाद आदि के मद में 30 लाख रुपये मय 12 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया गया है.

ये भी पढ़ें- सब्सक्राइबर्स की चाहत में मौत की रफ्तार, यूट्यूबर अगस्त्य की मौत पर एसपी ट्रैफिक ने कही ये बात

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.