लखनऊ : मध्य कमान की तरफ से लखनऊ के सूर्या खेल परिसर मैदान में नो योर आर्मी (अपनी सेना को जानें) मेला लगाया गया है. इस मेले में देश-विदेश के तमाम हथियार प्रदर्शनी के लिए लगाए गए हैं. भारत के मिसाइल, तोप, टैंक, एलएमजी ड्रोन, ब्रिज आदि लोगों का ध्यान खींच रहे हैं. इसके अलावा कई विदेशी वाहन भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. मेले में भारतीय सेना के साथ जुड़ी अमेरिकन गाड़ी भी मौजूद है. अलग खासियत और दमदार ताकत के कारण यह चर्चाओं में हैं.
साल 2023 में सेना से जुड़ी एटीवी : सूबेदार दीपक बताते हैं कि सेना में एटीवी कार को हम पेट्रोलिंग और रेकी के लिए प्रयोग करते हैं. रेतीले, बर्फीले, दलदल या कीचड़ वाले इलाके में इस खास कार का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें सैनिकों को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने में आसानी होती है. यह समय की बचत करती है, जल्द से जल्द वहां पर पहुंच जाते हैं. अगर इसके वजन की बात की जाए तो खाली गाड़ी का वजन 453.6 किलोग्राम है. जब इसमें 1183.8 किलोग्राम तक वजन लोड हो जाता है. यह कार अमेरिका की है. 2023 में यह भारतीय सेना के साथ जुड़ी है. भारतीय सेना के तमाम सारे ऑपरेशनों में बहुत मददगार साबित हो रही है.
आकाश मिसाइल का अलग ही आकर्षण : अमेरिका के इजराइल और हमास के बीच युद्ध के बाद कई देश भारत की स्वनिर्मित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल आकाश को खरीदने पर ध्यान दे रहे हैं. डिफेंस सिस्टम के रूप में काम करने में सक्षम आकाश मिसाइल ने हाल ही में एक साथ चार टारगेट को निशाना बना दिया था. इससे पूरे विश्व में आकाश मिसाइल की चर्चा शुरू हो गई. दक्षिण अमेरिका, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के देशों ने सतह से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल हथियार प्रणाली को खरीदने में इंटरेस्ट दिखाया है. ब्राजील, फिलिपींस जैसी मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएं भारत के इस घरेलू मिसाइल प्रणाली में निवेश करने की इच्छा जता चुके हैं. शॉर्ट रेंज प्लेटफार्म को अनुसंधान और विकास संगठन ने स्वदेशी रूप में विकसित किया है. इसका उत्पादन भारत डायनामिक्स लिमिटेड कर रहा है. आकाश एक ही फायरिंग यूनिट का उपयोग करके कमांड गाइडेंस से 25 किलोमीटर की सीमा के भीतर कई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है.
पल भर में ही दुश्मन के क्षेत्र में तैयार कर देगा ब्रिज : युद्ध के दौरान दुश्मन सेना के क्षेत्र में सर्जिकल स्ट्राइक करनी हो तो कई बार भारतीय सेना के सामने यह समस्या आती है कि वहां पर नहर, नदी और नाले को पार करना मुश्किल भरा होता है. ऐसे में पलक झपकते ही बड़ा सा पुल तैयार कर देने की काबिलियत भी सेना के पास आने वाले दिनों में मौजूद होगी. अभी भी हमारी सेना के पास कई ऐसे ब्रिज बनाने के उपकरण मौजूद हैं, लेकिन इस साल सेना के साथ जुड़ने वाला सर्वत्र ब्रिज और भी ज्यादा मजबूती प्रदान करेगा. दिन में ढाई घंटे तो रात में तीन घंटे में लंबी दूरी का पुल तैयार कर देने की क्षमता रखने वाला सर्वत्र ब्रिज सेना से इसी साल जुड़ा है. सर्वत्र सेना के लिए ब्रह्मास्त्र साबित होगा.
यह है सर्वत्र ब्रिज की खासियत : भारतीय सेना के नायब सूबेदार पथारे एसएम ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सर्वत्र ब्रिज मेड इन इंडिया है. इससे हम कम समय और कम मैनपावर में इंडियन आर्मी के सभी व्हीकल को, ट्रैक व्हीकल गन और गाड़ियों को क्रॉस करा सकते हैं. लड़ाई लड़ने के बाद जब हमें रास्ते में नदी, नाले या कैनाल मिलते हैं उस समय हम इस ब्रिज को लॉन्च करते हैं. इसका गैप 15 मीटर से लेकर 75 मीटर तक होता है. इसको बनाने के लिए दिन में हमें ढाई घंटा लगता है और रात में हमें तीन घंटे का समय लगता है. इस गाड़ी के अंदर स्पेशल फीचर यह है कि इस गाड़ी को हम दोनों तरफ से ड्राइविंग कर सकते हैं. इससे ब्रिज को लांच करने में काफी मदद मिलती हैं. उन्होंने बताया कि सर्वत्र का अभी तक इस्तेमाल नहीं हुआ है. यह लेटेस्ट वर्जन है. ये इंडियन आर्मी के अंदर 2023 में आया है. 2014 से लेकर 2023 तक इसका ट्रायल चल रहा था. इसी साल इंडियन आर्मी से सर्वत्र जुड़ा है. आने वाले दिनों में यह भारतीय सेना को बहुत ज्यादा मजबूती देगा.
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