अजमेर. शहर की रिया राघानी ने 21 घण्टे में किताब लिखने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. उनकी यह उपलब्धि हरवर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड ( Harvard World Record) में दर्ज की गई है. रिया ने आध्यात्मिक शक्ति शीर्षक से 21 घंटे में 30 हजार से अधिक शब्द लिखकर उसे कविता का रूप दिया है. रिया की सफलता ने अजमेर का नाम रोशन किया है. वहीं, रिया अपनी सफलता का श्रय अपने पति, परिजन, गुरु और कुछ मित्रों को देती हैं. रिया कृष्ण भक्त है, उनका मानना है कि सांसारिक खुशियां क्षणिक हैं, लेकिन अध्यात्म से मिली खुशी परमानंद देती हैं जो वह महसूस करती हैं, वही किताब में उन्होंने लिखा है.
अलग करने की चाह में बन गई लेखकः अजमेर के पंचशील क्षेत्र के करणी नगर में रहने वाली रिया राघानी कुछ अलग करने की चाह में लेखक बन गई है. दरसअल रिया का पीहर और सुसराल दोनों ही व्यवसायी हैं. बचपन से ही रिया ने व्यापार ही देखा और छोटी उम्र में पढ़ाई के साथ व्यापार भी किया. 18 वर्ष की आयु में रिया ने अपनी पसंद के लड़के से शादी कर ली. ससुराल में भी व्यापार का ही माहौल मिला. रिया राघानी बताती हैं कि बचपन में पडौसी को कृष्ण भक्ति करते देख प्रभावित हुई थी. शादी के बाद घर में सास के भक्ति भाव ने गहरा असर डाला. बिजनस के बाद बिजनस प्रोग्राम संचालित करने वाली एक कंपनी से जुड़ी तो बतौर प्रशिक्षक उन्हें देश के कई राज्यो में जाने का मौका मिला. इस दौरान ही वृंदावन में इस्कॉन मंदिर से जुड़ाव हुआ.
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8 साल से इस्कॉन मंदिर से जुड़ावः उन्होंने बताया कि 8 वर्षो से हर माह वह वृदावन इस्कॉन मंदिर जाती हैं. रिया बताती हैं कि वहां आध्यात्मिक सुख की अनुभूति होती है और कुछ नया करने की प्रेरणा भी वहीं से मिली. बतौर रिया मुझे लगा क्यों न कुछ लिखा जाए. उसके लिए जब इस्कॉन में गुरुजी से बात की तो उन्होंने मुझे कृष्ण भक्ति से संबंधित कुछ पुस्तक पढ़ने के लिए दी. ज्यादातर पुस्तक संस्कृत में थी. रिया ने बताया कि संस्कृत मेरी भाषा कभी नहीं रही है. गुरुजी ने कहा इनको पढ़कर याद कर लो सुबह सुनाना. इस पर रिया ने जैसे तैसे दोहे पढ़े और उन्हें याद करने की कोशिश की. वह बताती हैं कि मैं खुद हैरान थी कि वह दोहे मुझे कंठस्थ हो गए, यह ईश्वरीय शक्ति थी जिसको मैंने महसूस किया.
इस्कॉन से जुड़ने के बाद बदल गई जिंदगीः रिया राघानी बताती हैं कि भगवत गीता पढ़ने के बाद उन्हें किताब लिखने की इच्छा जागृत हुई. उन्होंने पहली किताब जीत के 18 अध्याय और मैं और मेरे कृष्ण नाम से लिखी. इसके अलावा मेरो वृंदावन पुस्तक भी उनकी जल्द प्रकाशित होने वाली है. उन्होंने बताया कि जीवन में उन्हें सारी खुशियां मिली हैं. वह खुद अपने को भाग्यशाली समझती हैं और सभी से यही कहा करती हैं कि वह भगवान कृष्ण की विशेष संतान हैं.
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ऐसे बना रिकॉर्डः रिया ने बताया कि गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में राधा कृष्णा कुंड के बीच गोवर्धन मंदिर में 21 जुलाई को शाम 6 बजकर 21 में उन्होंने लेखन का कार्य शुरू किया था, जो अगले दिन शाम तक संपन्न हुआ. इस लेखन कार्य के बीच कई तरह के आध्यात्मिक अनुभव हुए. ऐसा लगा कि आगे से आगे लेखन के लिए मुझे कोई चैप्टर बता रहा है. 'मुझमें इतना सामर्थ्य नहीं है कि मैं किताब लिख सकूं यह तो सिर्फ मेरे कृष्ण कि मुझ पर असीम कृपा है'.
उन्होंने बताया कि लेखन में उन्हें 24 घण्टे तीस मिनट लगे. मगर हार्वर्ड की टीम ने 21 घण्टे ही माने. हर घण्टे हार्वर्ड की टीम इंस्टाग्राम पर लाइव मॉनिटरिंग कर रही थी. इसके अलावा लगातार लेखन कार्य का वीडियो रिकॉर्डिंग भी किया गया. उन्होंने बताया कि लेखन से पहले रिकॉर्ड के लिए हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड कंपनी की वेबसाइट पर जाकर पंजीयन किया गया था. उसके बाद के तय अनुसार लेखन का कार्य किया.
रिया बताती है कि लेखन का कार्य कब पूरा हो गया, यह उन्हें पता ही नहीं चला. लेखन संपन्न होने के बाद उन्हें खुद नहीं पता था कि उन्होंने क्या लिखा. रिया बताती हैं कि आज भी जब वह उस लेख को पढ़ती है तो शरीर में सिरहन सी दौड़ जाती है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस कृति को भी प्रकाशित करवाएंगी.