नई दिल्ली : कोकिला व्रत अबकी बार 2 जुलाई 2023 को मनाया जाएगा. यह व्रत लड़कियों व महिलाओं के द्वारा सुंदर, सुशील व मनवांछित वर पाने के लिए किया जाता है. इसे आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर रखा जाता है. इस व्रत को लेकर एक खास कथा है, जो इस व्रत की महत्ता को बताती है. आप भी जानिए क्या है कोकिला व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा....
कहा जाता है कि दक्ष प्रजापति नाम का एक राजा था. दक्ष भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था. एक बार उसने एक भव्य आयोजन किा और उसमें हवन का कार्यक्रम रखा गया. इस आयोजन में भगवान शिव को छोड़कर सभी देवताओं को आमंत्रित किया. भगवान शंकर दक्ष की बेटी सती के पति थे. इसके बाद भी उनको आमंत्रित नहीं किया गया.
जैसे ही देवी सती को सारे देवताओं के आमंत्रण व भोलेनाथ की उपेक्षा के बारे में पता चला, तो उन्होंने भगवान शिव से अनुरोध किया कि वह अपने पिता के इस आयोजन में बिना आमंत्रण के जाना चाहती हैं. उनकी इच्छा पर भोलेनाथ ने उनको समझाने की कोशिश की कि बिना निमंत्रण के विवाह के पश्चात पुत्री को पिता के घर भी नहीं जाना चाहिए. लेकिन देवी नहीं मानीं और जिद करने लगीं. तब उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए भगवान शंकर ने उनको जाने की अनुमति दे दी. लेकिन अपने एकगण वीरभद्र को भी साथ में भेज दिया.
देवी सती जब वहां पहुंची, तो वह अपने पिता के द्वारा भगवान शिव पर किए जा रहे दोषारोपण से खिन्न हो गयीं और पति का अपमान न सहन कर पाने के कारण हवन कुंड की आग में कूद गयीं. जैसे ही देवी के द्वारा हवन कुंड में कूद जाने का समाचार भगवान शिव को मिला, तो वे नाराज हो गए. तत्काल उन्होंने अपने गण वीरभद्र को हवन का नाश करने के साथ साथ राजा दक्ष को मारने का निर्देश दिया.
साथ ही भोलेनाथ इतने अधिक क्रोधित हुए कि उन्होंने देवी सती को अगले 10 हजार वर्षों के लिए कोयल पक्षी होने का श्राप दे दिया, क्योंकि देवी सती ने उनकी बात न मानकर जिद के कारण पिता के घर आयीं थीं. इसी के बाद देवी सती ने शैलजा के रूप में पुनर्जन्म लिया. फिर शैलजा ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में वापस पाने के लिए आषाढ़ माह के पूरे महीने उपवास किया और पूर्णिमा के दिन का व्रत किया.