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Kokila Vrat 2023: कोकिला व्रत कब करें और क्या है व्रत का महात्म्य - कोकिला व्रत का महत्व

आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन शिव को पति के रूप में फिर से पाने के लिए पार्वती ने कोयल बनकर पूजा की थी. इसीलिए इस व्रत को किया जाता है. अच्छे मनवांछित वर की प्राप्ति के लिए कोकिला व्रत महिलाओं के द्वारा हर साल ये व्रत किया जाता है...

Kokila Vrat 2023 Date and significance of Vrat
कोकिला व्रत 2023
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Published : Jun 30, 2023, 3:48 PM IST

नई दिल्ली : आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन कोकिला व्रत रखा जाता है. इसे संपूर्ण सावन महीने में आने वाले व्रतों का शुभारंभ करने वाला व्रत भी माना जाता है. इस व्रत में देवी के स्वरूप को कोयल रूप में पूजकर आराधना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि माता सती ने कोयल रूप में भोलेनाथ को पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी. इसीलिए अच्छे मनवांछित वर की प्राप्ति के लिए कोकिला व्रत महिलाओं के द्वारा किया जाता है. आम तौर पर इसे दक्षिण भारत में रखा जाता है.

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह में आने वाली पूर्णिमा के दिन कई त्योहार व पर्व मनाए जाते हैं, जिसको अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग नामों से जाना जाता है. इसी में से आसाढ़ पूर्णिमा के अलावा कोकिला व्रत भी इसी दिन किया जाता है. कोकिला व्रत केवल सुहागिनें ही नहीं, बल्कि कुंवारी कन्याएं भी अपने लिए सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए किया करती हैं. इस व्रत को करने से स्त्री का दांपत्य जीवन में सुखमय होता है. कहा जाता है कि माता सती ने भी भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए इस कोकिला व्रत को किया था. इसीलिए इस व्रत का महत्व और भी अधिक बताया जाता है.

Kokila Vrat 2023 Date and significance of Vrat
कोकिला व्रत 2023

ऐसा कहा जाता है कि देवी पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन कोयल पक्षी की मूर्ति से या कहीं साक्षात कोयल दिखे तो उसकी हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए. यह महिलाओं को विभिन्न दोषों से छुटकारा दिलाने में मददगार है. महिलाओं के वैवाहिक जीवन की समस्याओं वाला भौमा दोष इस व्रत से दूर हो जाता है.

कब रखा जाएगा कोकिला व्रत 2023
हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर कोकिला व्रत रखने की परंपरा है. इस साल इस व्रत को 2 जुलाई को रखा जाएगा. ज्योतिषियों की गणना के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा 2 जुलाई को संध्याकाल में 8 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 3 जुलाई को 05 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होने जा रही है. इसीलिए यह 2 जुलाई को मनायी जाएगी.

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नई दिल्ली : आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन कोकिला व्रत रखा जाता है. इसे संपूर्ण सावन महीने में आने वाले व्रतों का शुभारंभ करने वाला व्रत भी माना जाता है. इस व्रत में देवी के स्वरूप को कोयल रूप में पूजकर आराधना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि माता सती ने कोयल रूप में भोलेनाथ को पाने के लिए कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी. इसीलिए अच्छे मनवांछित वर की प्राप्ति के लिए कोकिला व्रत महिलाओं के द्वारा किया जाता है. आम तौर पर इसे दक्षिण भारत में रखा जाता है.

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह में आने वाली पूर्णिमा के दिन कई त्योहार व पर्व मनाए जाते हैं, जिसको अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग नामों से जाना जाता है. इसी में से आसाढ़ पूर्णिमा के अलावा कोकिला व्रत भी इसी दिन किया जाता है. कोकिला व्रत केवल सुहागिनें ही नहीं, बल्कि कुंवारी कन्याएं भी अपने लिए सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए किया करती हैं. इस व्रत को करने से स्त्री का दांपत्य जीवन में सुखमय होता है. कहा जाता है कि माता सती ने भी भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए इस कोकिला व्रत को किया था. इसीलिए इस व्रत का महत्व और भी अधिक बताया जाता है.

Kokila Vrat 2023 Date and significance of Vrat
कोकिला व्रत 2023

ऐसा कहा जाता है कि देवी पार्वती से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन कोयल पक्षी की मूर्ति से या कहीं साक्षात कोयल दिखे तो उसकी हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए. यह महिलाओं को विभिन्न दोषों से छुटकारा दिलाने में मददगार है. महिलाओं के वैवाहिक जीवन की समस्याओं वाला भौमा दोष इस व्रत से दूर हो जाता है.

कब रखा जाएगा कोकिला व्रत 2023
हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर कोकिला व्रत रखने की परंपरा है. इस साल इस व्रत को 2 जुलाई को रखा जाएगा. ज्योतिषियों की गणना के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा 2 जुलाई को संध्याकाल में 8 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 3 जुलाई को 05 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होने जा रही है. इसीलिए यह 2 जुलाई को मनायी जाएगी.

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