गांधीनगर: केंद्र सरकार (Central Government) ने गुजरात में 1600 किलोमीटर समुद्र तट की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय तटरक्षक बल को सौंपी है. वर्ष 2021 में गुजरात समेत देश की रक्षा करने वाले तटरक्षक बल (Indian Coast Guard) में एक नया विंग जोड़ा गया है. जिसे 'सजग' (Sajag) नाम दिया गया है. यह एक ऐसा जहाज है, जो पूरी तरह से भारत में बना है. इस जहाज को गोवा शिपयार्ड में बनाया गया है.
जहाज के कमांडिंग ऑफिसर एस.आर. पाटिल ने सजग नाम के बड़े जहाज की जानकारी देते हुए बताया कि सजग जहाज 105 मीटर लंबा है, जो अपने ऑपरेशन के दौरान दो इंजन वाला हेलीकॉप्टर को ले जा सकता है. जहाज में उन्नत तकनीक और नेविगेशन तकनीक है. वेपन और सेंसर से सुसज्जित सजग को विशेष रूप से एंटी-पायरसी, एंटी-कंट्रोल, प्रदूषण नियंत्रण और खोज व बचाव कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है.
सजग जहाज स्वदेशी रूप से बनाया गया है. जहाज का निर्माण गोवा शिपयार्ड में किया गया था. इसके अलावा इस जहाज में जो भी उपकरण का इस्तेमाल किया गया है, वे सभी मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया हैं. पूरी दुनिया में सिर्फ भारत के पास ही ऐसा जहाज है. सजग शिप के कमांडर जी. मणिकुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, पूरी दुनिया में अभी तक ऐसा जहाज तैयार नहीं हुआ है.
ऐसा जहाज फिलहाल सिर्फ भारत देश के पास है. शिप को बेहद उन्नत तकनीक से तैयार किया गया है. जबकि अन्य विकासशील देश के पास भी इस प्रकार का जहाज नहीं है. पिछले 1.5 वर्षों में इस जहाज ने तमाम मुश्किलों का बखूबी सामना किया है. सजग शिप के डेप्युटी कमांडर प्रणव फेन्युलरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 'मैं सजग जहाज में गनरी के रूप में काम कर रहा हूं.'
उन्होंने कहा कि 'जिसमें मेरा काम फाइटिंग की क्षमता देखने का है. 11,000 गज में फायरिंग की सुविधा है. इसके अलावा एक ऑटो गन भी रखी गई है. जिसे रिमोट कंट्रोल से ऑपरेट किया जा सकता है. बंदूक अपने आप लक्ष्य को ट्रैक कर सकती है.' टिनटिन गुप्ता जो सजग जहाज में इलेक्ट्रिक इंजीनियर के रुप में कार्य करते हैं, उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि इस जहाज में चार मुख्य इंजन लगाए गए हैं, जो इंटीग्रेटेड सिस्टम से जुड़ा है.
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उन्होंने कहा कि 'यदि किसी भी स्थिति में डीए में से एक विफल हो जाता है, तो अन्य डीए केवल 7 सेकंड के भीतर सक्रिय हो जाते हैं और जहाज में प्रकाश व्यवस्था में कोई गड़बड़ी नहीं होती है. इसके अलावा जहाज पर एक अतिरिक्त इमरजेंसी डीए है, जो सभी के फेल होने पर 7 सेकेंड के अंदर अपने आप कनेक्ट हो जाएगा.'
उन्होंने बताया कि 'इससे संचार और नौवहन के उपकरणों में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो और यह काम करता रहे. इसके अलावा जहाज में 22 बैटरियां भी होती हैं और अगर इमरजेंसी डीए भी फेल हो जाता है तो ये 22 बैटरियां मुख्य उपकरण के लिए काम करती रहती हैं. इस प्रकार यह स्मार्ट शिप नवीनतम तकनीक से सुसज्जित है.