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Karva Chauth 2023 : करवा चौथ को लेकर जानिए मुहूर्त और चंद्र दर्शन का सही समय - करवा चौथ 1 नवंबर 2023

सुहागिनों के लिए विशेष महत्व रखने वाला करवा चौथ (Karva Chauth) 01 नवंबर को है. व्रत और पूजन को लेकर महिलाओं मन में कई तरह के सवाल रहते हैं. आइए जानते हैं मुहूर्त, महत्व, कथा और पूजन विधि (Auspicious time, importance, story and method of worship) के बारे में...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 30, 2023, 9:03 PM IST

Karva Chauth 2023 : मुहूर्त, कथा और महत्व.

वाराणसी : सुहागिनों के लिए अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत करवा चौथ 1 नवंबर को मनाया जाएगा. करवा का पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. पति की लंबी उम्र की कामना के लिए स्त्रियां कठिन व्रत रखती हैं. उचित मुहूर्त, चंद्र दर्शन और पूजन के महत्व पर महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं काशी के विद्वान.

27 वर्षों बाद बन रहा फलदायी योग : आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि पति कि लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला करवाचौथ व्रत सूर्योदय से पहले शुरू हो जाता है और चांद निकलने के बाद खत्म होता है. सुहागिन महिलाएं चांद को अर्घ्य देने के बाद छलनी में दीपक रखकर चंद्रमा की पूजा करती है. फिर इसी छलनी से पति को देखती हैं. इसके बाद पति के हाथों पानी पीकर अपना दिनभर का निर्जला व्रत खोलती हैं. शाम के समय चंद्र उदय से एक घंटे पहले पूरे शिव परिवार की पूजा का विधान है. पूजन के समय व्रत रखने वाली महिलाओं को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए. करवा चौथ के व्रत पर इस बार पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग रहेगा. यह संयुक्त योग 27 वर्षों बाद बन रहा है. इस दिन किया गया पूजन और अनुष्ठान विशेष फलदायी होगा. ईटीवी भारत पर सुनिए करवा चौथ की कथा.

श्रीकृष्ण के बताने पर द्रोपदी ने रखा था व्रत : पौराणिक मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते की डोर को मजबूती देता है. चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना गया है. इनकी पूजा से शादीशुदा जिंदगी खुशहाल बनती है और पति की आयु भी लंबी होती है. आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले गए. दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं. द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं. श्रीकृष्ण उन्हें कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करने के बारे में बताते हैं. श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए विधि विधान से द्रौपदी करवाचौथ का व्रत रखती हैं. जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं

करवा चौथ तिथि, मुहूर्त, योग और पूजन : कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 31 अक्टूबर 2023 को रात 11.02 मिनट पर शुरू होगी. चतुर्थी तिथि की समाप्ति 1 नवंबर 2023 को रात 10.59 मिनट पर होगी. करवा चौथ उदयातिथि से मान्य होता है इसलिए इस साल व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा. करवा चौथ व्रत का समय सुबह 06:36 से रात 08:26 तक है. पूजा मुहूर्त शाम 05.44 से रात 07.02 (1 नवंबर 2023) तक रहेगा. जबकि चांद निकलने का समय रात 08:26 (1 नवंबर 2023) है. करवा चौथ के दिन स्त्रियां शाम को चौथ माता, करवा माता और गणपति की पूजा करती हैं. चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य दिया जाता है.

यह भी पढ़ें : Karwa Chauth 2023 : CAIT ने कहा, करवा चौथ पर देशभर में होगा ₹15 हजार करोड़ से अधिक का बिजनेस

यह भी पढ़ें : Karva Chauth 2023 : परिणीति चोपड़ा से कियारा आडवाणी समेत करवा चौथ का पहला व्रत रखेंगी ये एक्ट्रेस, तैयारी शुरू

Karva Chauth 2023 : मुहूर्त, कथा और महत्व.

वाराणसी : सुहागिनों के लिए अखंड सौभाग्य की कामना का व्रत करवा चौथ 1 नवंबर को मनाया जाएगा. करवा का पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. पति की लंबी उम्र की कामना के लिए स्त्रियां कठिन व्रत रखती हैं. उचित मुहूर्त, चंद्र दर्शन और पूजन के महत्व पर महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं काशी के विद्वान.

27 वर्षों बाद बन रहा फलदायी योग : आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि पति कि लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला करवाचौथ व्रत सूर्योदय से पहले शुरू हो जाता है और चांद निकलने के बाद खत्म होता है. सुहागिन महिलाएं चांद को अर्घ्य देने के बाद छलनी में दीपक रखकर चंद्रमा की पूजा करती है. फिर इसी छलनी से पति को देखती हैं. इसके बाद पति के हाथों पानी पीकर अपना दिनभर का निर्जला व्रत खोलती हैं. शाम के समय चंद्र उदय से एक घंटे पहले पूरे शिव परिवार की पूजा का विधान है. पूजन के समय व्रत रखने वाली महिलाओं को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए. करवा चौथ के व्रत पर इस बार पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग रहेगा. यह संयुक्त योग 27 वर्षों बाद बन रहा है. इस दिन किया गया पूजन और अनुष्ठान विशेष फलदायी होगा. ईटीवी भारत पर सुनिए करवा चौथ की कथा.

श्रीकृष्ण के बताने पर द्रोपदी ने रखा था व्रत : पौराणिक मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के रिश्ते की डोर को मजबूती देता है. चंद्रमा को आयु, सुख और शांति का कारक माना गया है. इनकी पूजा से शादीशुदा जिंदगी खुशहाल बनती है और पति की आयु भी लंबी होती है. आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले गए. दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं. द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं. श्रीकृष्ण उन्हें कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करने के बारे में बताते हैं. श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए विधि विधान से द्रौपदी करवाचौथ का व्रत रखती हैं. जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं

करवा चौथ तिथि, मुहूर्त, योग और पूजन : कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 31 अक्टूबर 2023 को रात 11.02 मिनट पर शुरू होगी. चतुर्थी तिथि की समाप्ति 1 नवंबर 2023 को रात 10.59 मिनट पर होगी. करवा चौथ उदयातिथि से मान्य होता है इसलिए इस साल व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा. करवा चौथ व्रत का समय सुबह 06:36 से रात 08:26 तक है. पूजा मुहूर्त शाम 05.44 से रात 07.02 (1 नवंबर 2023) तक रहेगा. जबकि चांद निकलने का समय रात 08:26 (1 नवंबर 2023) है. करवा चौथ के दिन स्त्रियां शाम को चौथ माता, करवा माता और गणपति की पूजा करती हैं. चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य दिया जाता है.

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