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कर्नाटक हिजाब विवाद पर सुनवाई: हाई कोर्ट की दो टूक, 'भावना से नहीं हम कानून से चलेंगे'

कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद के बीच आज हाई कोर्ट में बड़ी सुनवाई चल रही है. इस समय राज्य के कई स्कूल-कॉलेज में हिजाब को लेकर विवाद चल रहा है. कर्नाटक सरकार ने जब से Karnataka Education Act-1983 की धारा 133 लागू की है, बवाल ज्यादा बढ़ गया है.

कर्नाटक हिजाब विवाद पर सुनवाई
कर्नाटक हिजाब विवाद पर सुनवाई
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Published : Feb 8, 2022, 11:35 AM IST

Updated : Feb 8, 2022, 4:09 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक में हिजाब विवाद (Hijab controversy in Karnataka) को लेकर आज हाई कोर्ट (Karnataka High Court) में सुनवाई शुरू हो गई है. इस समय राज्य के कई स्कूल-कॉलेज में हिजाब को लेकर बवाल चल रहा है. एक तरफ मुस्लिम छात्राएं स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहन अपना विरोध दर्ज करवा रही हैं तो वहीं, दूसरी तरफ कई छात्र भगवा स्कॉफ पहन भी अपना विरोध दिखा रहे हैं. बता दें, कर्नाटक शिक्षा विभाग ने एक निर्देश जारी कर सभी सरकारी स्कूलों को राज्य सरकार द्वारा घोषित ड्रेस कोड का पालन करने को कहा है. यही नहीं, यह भी कहा गया है कि प्राइवेट स्कूल के छात्र भी स्कूल प्रबंधन द्वारा तय की गई ड्रेस का पालन करेंगे.

सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जज कृष्णा दीक्षित ने दो टूक में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमें देख रहा है और यह अच्छा डेवलपमेंट (विकास या गतिविधि) नहीं है. भावना से नहीं हम कानून से चलेंगे. वहीं, इससे पहले जज कृष्णा दीक्षित ने मामले की सुनवाई शुरू की. उनके सामने याचिकाकर्ता ने मामले की सुनवाई को स्थगित करने की मांग उठा दी है. तर्क दिया गया है कि इस मामले में एक और याचिका दायर की गई है, ऐसे में जब तक सभी दस्तावेज ना आ जाएं, सुनवाई शुरू नहीं हो सकती. इस पर जज ने कहा है कि इस मामले में जो भी फैसला सुनाया जाएगा, वो इससे जुड़े दूसरे मामलों पर भी लागू होने वाला है. अभी के लिए कृष्णा दीक्षित द्वारा दूसरे मामलों के दस्तावेज भी मंगवाए गए हैं.

हिजाब मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मेरे लिए, संविधान भगवद गीता है. हमें संविधान के अनुसार कार्य करना है. मैं संविधान की शपथ लेने के बाद इस पोजिशन (स्थिति) पर आया हूं. इस मुद्दे पर भावनाओं को एक तरफ रख देना चाहिए. हिजाब पहनना भावनात्मक मुद्दा नहीं बनना चाहिए. इस दौरान यह भी देखा गया कि सरकार को इस मुद्दे पर कई सवालों के जवाब देने हैं.

पीठ ने कहा कि मुझे असंख्य नंबरों से संदेश मिल रहे हैं. पूरी व्हाट्सएप चैट इस चर्चा से भरी हुई है. संस्थान केवल संविधान के अनुसार काम कर सकते हैं. सरकार आदेश दे सकती है, लेकिन लोग उन पर सवाल उठा सकते हैं. अदालत ने यह भी कहा कि सरकार अनुमानों पर निर्णय नहीं ले सकती. पीठ ने कहा कि चूंकि सरकार छात्रों को दो महीने के लिए हिजाब पहनने की अनुमति देने के याचिकाकर्ता के अनुरोध से सहमत नहीं है. इसलिए वह योग्यता के आधार पर मामले को उठाएगी. न्यायाधीश ने कहा कि विरोध हो रहे हैं और छात्र सड़कों पर हैं, मैं इस संबंध में सभी घटनाक्रमों पर नजर रख रहा हूं.

पीठ ने आगे कहा कि सरकार कुरान के खिलाफ फैसला नहीं दे सकती. जिस प्रकार पसंद की पोशाक पहनना एक मौलिक अधिकार है, उसी तरह हिजाब पहनना एक मौलिक अधिकार है. हालांकि, सरकार मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित कर सकती है. सरकार की ओर से वर्दी पर कोई स्पष्ट आदेश नहीं है. हिजाब पहनना निजता का मामला है. इस संबंध में सरकारी आदेश निजता की सीमाओं का उल्लंघन करता है.

पीठ ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि कुरान का कौन सा पृष्ठ कहता है कि हिजाब अनिवार्य है. जज ने कोर्ट के पुस्तकालय से कुरान की एक प्रति भी मांगी. इसने याचिकाकर्ता से यह समझने के लिए पवित्र पुस्तक में से पढ़ने के लिए भी कहा कि ऐसा कहां कहा गया है. पीठ ने यह भी पूछा कि क्या सभी परंपराएं मौलिक प्रथाएं ही हैं और उनका अधिकार क्षेत्र क्या है.

इस बीच, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सरकार केवल उन मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है जो धर्म के अनुसार मौलिक नहीं हैं. सरकार उन चीजों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती जो मौलिक हैं. याचिकाकर्ता ने दलील देते हुए कहा, सरकार को मामले में उदारता दिखानी चाहिए. मामले को धर्मनिरपेक्षता के आधार पर तय नहीं किया जा सकता. सरकार को वर्दी के रंग के हिसाब से हिजाब पहनने की अनुमति देनी चाहिए. अनुमति लेनी होगी. परीक्षा समाप्त होने तक अनुमति देनी होगी। इसके बाद वे मामले पर फैसला ले सकते हैं.

बता दें, राज्य में हिजाब विवाद को लेकर कई घटनाएं हुई हैं. मुस्लिम छात्राओं को हिजाब में कॉलेजों या कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. जबकि हिजाब के जवाब में हिंदू छात्र भगवा शॉल पहनकर शैक्षणिक संस्थानों में आ रहे हैं. यह मुद्दा जनवरी में उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय से शुरू हुआ था. यहां छह छात्राएं निर्धारित ड्रेस कोड का उल्लंघन कर हिजाब पहनकर कक्षाओं में आई थीं. इसके बाद इसी तरह के मामले कुंडापुर और बिंदूर के कुछ अन्य कॉलेजों से भी आए.

कर्नाटक के उडुपी जिले के मणिपाल स्थित एमजीएम कॉलेज में मंगलवार को उस समय तनाव काफी बढ़ गया जब भगवा शॉल ओढ़े विद्यार्थियों और हिजाब पहनी छात्राओं के दो समूहों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की.

हिजाब विवाद

कर्नाटक के उडुपी में कॉलेज परिसर में विद्यार्थियों के नारेबाजी करने से तनाव बढ़ा

बुर्का और हिजाब पहनीं कॉलेज की छात्राओं के एक समूह ने कॉलेज परिसर में प्रवेश किया और सिर पर स्कार्फ़ पहनने के अधिकार के समर्थन में नारे लगाते हुए परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. इसी बीच, भगवा शॉल पहने कुछ लड़के-लड़कियां भी कॉलेज पहुंचे और दूसरे समूह के खिलाफ नारेबाजी की. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कॉलेज के कर्मचारियों ने गेट पर ताला लगा दिया, जबकि छात्रों के दोनों समूह गेट के पास इंतजार कर रहे थे. कॉलेज के प्राचार्य देवीदास नायक और शिक्षकों ने छात्रों को समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों पक्षों ने मानने से इनकार कर दिया. मौके पर भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद हैं.

छात्र समूह 'हमें न्याय चाहिए' और 'वंदे मातरम' के नारे लगा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक कॉलेज प्रबंधन जिला प्रशासन से बातचीत कर रहा है. कर्नाटक उच्च न्यायालय मंगलवार को सरकारी कॉलेज, उडुपी की एक मुस्लिम छात्रा द्वारा कॉलेज में हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली एक रिट याचिका पर सुनवाई करने वाला है.

नहीं होने देंगे का शिक्षा व्यवस्था का तालिबानीकरण'

कर्नाटक में हिजाब विवाद (Hijab controversy in Karnataka) ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है. जहां कांग्रेस नेताओं ने हिजाब का समर्थन किया तो वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कहा कि वह शैक्षणिक संस्थानों का 'तालिबानीकरण' नहीं होने देगी. बीजेपी ने हिजाब को धार्मिक प्रतीक बताते हुए शैक्षणिक संस्थानों द्वारा पालन किए जाने वाले पोशाक से संबंधित नियमों का समर्थन किया है, वहीं विपक्षी दल कांग्रेस मुस्लिम लड़कियों के समर्थन में सामने आई है. कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने के अधिकार पर मुस्लिम लड़कियों का समर्थन किया है. उन्होंने बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर हिजाब के नाम पर पूरे राज्य में सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया.

सिद्धरमैया ने कहा कि हिजाब पहनने वाली छात्राओं को स्कूल में प्रवेश करने से रोकना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. वहीं, BJP की प्रदेश इकाई प्रमुख नलिन कुमार कटील ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था का 'तालिबानीकरण' करने की अनुमति नहीं देगी. कटील ने कहा, इस तरह की चीजों (कक्षाओं में हिजाब पहनने) की कोई गुंजाइश नहीं है. हमारी सरकार कठोर कार्रवाई करेगी. लोगों को विद्यालय के नियमों का पालन करना होगा. हम (शिक्षा व्यवस्था के) तालिबानीकरण की अनुमति नहीं देंगे..

पढ़ें: हिजाब विवाद : कर्नाटक के CM ने की मामले को तूल नहीं देने की अपील

'शैक्षणिक संस्थानों में धर्म को शामिल करना सही नहीं'

कटील ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में धर्म को शामिल करना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि बच्चों को केवल शिक्षा की जरूरत है. कटील ने सिद्धरमैया पर भी निशाना साधा और उन पर मुख्यमंत्री रहते हुए समुदायों के बीच दरार पैदा करने के लिए टीपू जयंती मनाने और 'शादी भाग्य' जैसी योजनाओं को लाने का आरोप लगाया. बीजेपी नेता ने कहा, हिजाब या ऐसी किसी चीज की विद्यालयों में जरूरत नहीं है. स्कूल सरस्वती का मंदिर हैं. विद्यार्थियों का काम केवल पढ़ना-लिखना और स्कूल के कायदे-कानूनों का पालन करना है.

मंत्री ने पुलिस को बल प्रयोग करने पर मजबूर न करने को कहा

वहीं, कर्नाटक के कई भागों में कॉलेज में हिजाब पहनने के पक्ष और विरोध में तेज होते प्रदर्शनों के बीच राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की. साथ ही कहा कि किसी को भी पुलिस को बल का प्रयोग करने को मजबूर नहीं करना चाहिए.

बेंगलुरु: कर्नाटक में हिजाब विवाद (Hijab controversy in Karnataka) को लेकर आज हाई कोर्ट (Karnataka High Court) में सुनवाई शुरू हो गई है. इस समय राज्य के कई स्कूल-कॉलेज में हिजाब को लेकर बवाल चल रहा है. एक तरफ मुस्लिम छात्राएं स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहन अपना विरोध दर्ज करवा रही हैं तो वहीं, दूसरी तरफ कई छात्र भगवा स्कॉफ पहन भी अपना विरोध दिखा रहे हैं. बता दें, कर्नाटक शिक्षा विभाग ने एक निर्देश जारी कर सभी सरकारी स्कूलों को राज्य सरकार द्वारा घोषित ड्रेस कोड का पालन करने को कहा है. यही नहीं, यह भी कहा गया है कि प्राइवेट स्कूल के छात्र भी स्कूल प्रबंधन द्वारा तय की गई ड्रेस का पालन करेंगे.

सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जज कृष्णा दीक्षित ने दो टूक में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमें देख रहा है और यह अच्छा डेवलपमेंट (विकास या गतिविधि) नहीं है. भावना से नहीं हम कानून से चलेंगे. वहीं, इससे पहले जज कृष्णा दीक्षित ने मामले की सुनवाई शुरू की. उनके सामने याचिकाकर्ता ने मामले की सुनवाई को स्थगित करने की मांग उठा दी है. तर्क दिया गया है कि इस मामले में एक और याचिका दायर की गई है, ऐसे में जब तक सभी दस्तावेज ना आ जाएं, सुनवाई शुरू नहीं हो सकती. इस पर जज ने कहा है कि इस मामले में जो भी फैसला सुनाया जाएगा, वो इससे जुड़े दूसरे मामलों पर भी लागू होने वाला है. अभी के लिए कृष्णा दीक्षित द्वारा दूसरे मामलों के दस्तावेज भी मंगवाए गए हैं.

हिजाब मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मेरे लिए, संविधान भगवद गीता है. हमें संविधान के अनुसार कार्य करना है. मैं संविधान की शपथ लेने के बाद इस पोजिशन (स्थिति) पर आया हूं. इस मुद्दे पर भावनाओं को एक तरफ रख देना चाहिए. हिजाब पहनना भावनात्मक मुद्दा नहीं बनना चाहिए. इस दौरान यह भी देखा गया कि सरकार को इस मुद्दे पर कई सवालों के जवाब देने हैं.

पीठ ने कहा कि मुझे असंख्य नंबरों से संदेश मिल रहे हैं. पूरी व्हाट्सएप चैट इस चर्चा से भरी हुई है. संस्थान केवल संविधान के अनुसार काम कर सकते हैं. सरकार आदेश दे सकती है, लेकिन लोग उन पर सवाल उठा सकते हैं. अदालत ने यह भी कहा कि सरकार अनुमानों पर निर्णय नहीं ले सकती. पीठ ने कहा कि चूंकि सरकार छात्रों को दो महीने के लिए हिजाब पहनने की अनुमति देने के याचिकाकर्ता के अनुरोध से सहमत नहीं है. इसलिए वह योग्यता के आधार पर मामले को उठाएगी. न्यायाधीश ने कहा कि विरोध हो रहे हैं और छात्र सड़कों पर हैं, मैं इस संबंध में सभी घटनाक्रमों पर नजर रख रहा हूं.

पीठ ने आगे कहा कि सरकार कुरान के खिलाफ फैसला नहीं दे सकती. जिस प्रकार पसंद की पोशाक पहनना एक मौलिक अधिकार है, उसी तरह हिजाब पहनना एक मौलिक अधिकार है. हालांकि, सरकार मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित कर सकती है. सरकार की ओर से वर्दी पर कोई स्पष्ट आदेश नहीं है. हिजाब पहनना निजता का मामला है. इस संबंध में सरकारी आदेश निजता की सीमाओं का उल्लंघन करता है.

पीठ ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि कुरान का कौन सा पृष्ठ कहता है कि हिजाब अनिवार्य है. जज ने कोर्ट के पुस्तकालय से कुरान की एक प्रति भी मांगी. इसने याचिकाकर्ता से यह समझने के लिए पवित्र पुस्तक में से पढ़ने के लिए भी कहा कि ऐसा कहां कहा गया है. पीठ ने यह भी पूछा कि क्या सभी परंपराएं मौलिक प्रथाएं ही हैं और उनका अधिकार क्षेत्र क्या है.

इस बीच, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सरकार केवल उन मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है जो धर्म के अनुसार मौलिक नहीं हैं. सरकार उन चीजों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती जो मौलिक हैं. याचिकाकर्ता ने दलील देते हुए कहा, सरकार को मामले में उदारता दिखानी चाहिए. मामले को धर्मनिरपेक्षता के आधार पर तय नहीं किया जा सकता. सरकार को वर्दी के रंग के हिसाब से हिजाब पहनने की अनुमति देनी चाहिए. अनुमति लेनी होगी. परीक्षा समाप्त होने तक अनुमति देनी होगी। इसके बाद वे मामले पर फैसला ले सकते हैं.

बता दें, राज्य में हिजाब विवाद को लेकर कई घटनाएं हुई हैं. मुस्लिम छात्राओं को हिजाब में कॉलेजों या कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है. जबकि हिजाब के जवाब में हिंदू छात्र भगवा शॉल पहनकर शैक्षणिक संस्थानों में आ रहे हैं. यह मुद्दा जनवरी में उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय से शुरू हुआ था. यहां छह छात्राएं निर्धारित ड्रेस कोड का उल्लंघन कर हिजाब पहनकर कक्षाओं में आई थीं. इसके बाद इसी तरह के मामले कुंडापुर और बिंदूर के कुछ अन्य कॉलेजों से भी आए.

कर्नाटक के उडुपी जिले के मणिपाल स्थित एमजीएम कॉलेज में मंगलवार को उस समय तनाव काफी बढ़ गया जब भगवा शॉल ओढ़े विद्यार्थियों और हिजाब पहनी छात्राओं के दो समूहों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की.

हिजाब विवाद

कर्नाटक के उडुपी में कॉलेज परिसर में विद्यार्थियों के नारेबाजी करने से तनाव बढ़ा

बुर्का और हिजाब पहनीं कॉलेज की छात्राओं के एक समूह ने कॉलेज परिसर में प्रवेश किया और सिर पर स्कार्फ़ पहनने के अधिकार के समर्थन में नारे लगाते हुए परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. इसी बीच, भगवा शॉल पहने कुछ लड़के-लड़कियां भी कॉलेज पहुंचे और दूसरे समूह के खिलाफ नारेबाजी की. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कॉलेज के कर्मचारियों ने गेट पर ताला लगा दिया, जबकि छात्रों के दोनों समूह गेट के पास इंतजार कर रहे थे. कॉलेज के प्राचार्य देवीदास नायक और शिक्षकों ने छात्रों को समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों पक्षों ने मानने से इनकार कर दिया. मौके पर भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद हैं.

छात्र समूह 'हमें न्याय चाहिए' और 'वंदे मातरम' के नारे लगा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक कॉलेज प्रबंधन जिला प्रशासन से बातचीत कर रहा है. कर्नाटक उच्च न्यायालय मंगलवार को सरकारी कॉलेज, उडुपी की एक मुस्लिम छात्रा द्वारा कॉलेज में हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली एक रिट याचिका पर सुनवाई करने वाला है.

नहीं होने देंगे का शिक्षा व्यवस्था का तालिबानीकरण'

कर्नाटक में हिजाब विवाद (Hijab controversy in Karnataka) ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है. जहां कांग्रेस नेताओं ने हिजाब का समर्थन किया तो वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कहा कि वह शैक्षणिक संस्थानों का 'तालिबानीकरण' नहीं होने देगी. बीजेपी ने हिजाब को धार्मिक प्रतीक बताते हुए शैक्षणिक संस्थानों द्वारा पालन किए जाने वाले पोशाक से संबंधित नियमों का समर्थन किया है, वहीं विपक्षी दल कांग्रेस मुस्लिम लड़कियों के समर्थन में सामने आई है. कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने के अधिकार पर मुस्लिम लड़कियों का समर्थन किया है. उन्होंने बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर हिजाब के नाम पर पूरे राज्य में सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया.

सिद्धरमैया ने कहा कि हिजाब पहनने वाली छात्राओं को स्कूल में प्रवेश करने से रोकना उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. वहीं, BJP की प्रदेश इकाई प्रमुख नलिन कुमार कटील ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था का 'तालिबानीकरण' करने की अनुमति नहीं देगी. कटील ने कहा, इस तरह की चीजों (कक्षाओं में हिजाब पहनने) की कोई गुंजाइश नहीं है. हमारी सरकार कठोर कार्रवाई करेगी. लोगों को विद्यालय के नियमों का पालन करना होगा. हम (शिक्षा व्यवस्था के) तालिबानीकरण की अनुमति नहीं देंगे..

पढ़ें: हिजाब विवाद : कर्नाटक के CM ने की मामले को तूल नहीं देने की अपील

'शैक्षणिक संस्थानों में धर्म को शामिल करना सही नहीं'

कटील ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में धर्म को शामिल करना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि बच्चों को केवल शिक्षा की जरूरत है. कटील ने सिद्धरमैया पर भी निशाना साधा और उन पर मुख्यमंत्री रहते हुए समुदायों के बीच दरार पैदा करने के लिए टीपू जयंती मनाने और 'शादी भाग्य' जैसी योजनाओं को लाने का आरोप लगाया. बीजेपी नेता ने कहा, हिजाब या ऐसी किसी चीज की विद्यालयों में जरूरत नहीं है. स्कूल सरस्वती का मंदिर हैं. विद्यार्थियों का काम केवल पढ़ना-लिखना और स्कूल के कायदे-कानूनों का पालन करना है.

मंत्री ने पुलिस को बल प्रयोग करने पर मजबूर न करने को कहा

वहीं, कर्नाटक के कई भागों में कॉलेज में हिजाब पहनने के पक्ष और विरोध में तेज होते प्रदर्शनों के बीच राज्य के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने सभी पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील की. साथ ही कहा कि किसी को भी पुलिस को बल का प्रयोग करने को मजबूर नहीं करना चाहिए.

Last Updated : Feb 8, 2022, 4:09 PM IST
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