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Karnataka anti conversion bill : कर्नाटक धर्मांतरण विरोधी बिल विधान परिषद में पारित

कर्नाटक विधान परिषद ने विपक्षी दल कांग्रेस तथा जनता दल (सेक्युलर) के विरोध के बीच विवादित धर्मांतरण रोधी विधेयक गुरुवार को पारित कर दिया. विधानसभा ने पिछले वर्ष दिसंबर में कर्नाटक प्रोटेक्शन ऑफ राइट टू फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल पारित किया था. Karnataka conversion bill.

karnataka, CM
मुख्यमंत्री बोम्मई, कर्नाटक
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Published : Sep 15, 2022, 2:52 PM IST

Updated : Sep 15, 2022, 8:49 PM IST

बेंगलुरु : यह विधेयक विधान परिषद से पारित होने से अटक गया था, क्योंकि उस वक्त भारतीय जनता पार्टी के पास बहुमत नहीं था. सरकार इस विधेयक को प्रभाव में लाने के लिए इस वर्ष मई में अध्यादेश लायी थी. गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने ऊपरी सदन में आज विधेयक पेश किया. उन्होंने कहा कि हाल के वक्त में बड़ी संख्या में धर्मांतरण हो रहा है, प्रलोभन दे कर सामूहिक धर्मांतरण और जबरदस्ती धर्मांतरण कराया जा रहा है जिससे शांति भंग हो रही है और विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों के बीच अविश्वास पैदा हो रहा है. Karnataka conversion bill.

गृह मंत्री ने कहा कि यह विधेयक किसी की धार्मिक आजादी नहीं छीनता और कोई भी व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार धर्म का अनुसरण कर सकता है लेकिन किसी दबाव अथवा प्रलोभन में नहीं. विधान परिषद में विपक्ष के नेता बी के हरिप्रसाद ने इसका विरोध करते हुए विधेयक की प्रति फाड़ दी. हरिप्रसाद ने विधेयक को असंवैधानिक करार दिया और कहा कि यह धर्म के अधिकार को प्रभावित करेगा. वहीं विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री जे सी मधुस्वामी ने कहा कि यह विधेयक भारत के संविधान के दायरे में है. गौरतलब है कि कुछ इसाई संगठनों के प्रमुखों ने इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया था.

विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया है. विधेयक में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी अंतरण पर रोक लगाने का प्रावधान है.

आपको बता दें कि इस बिल को लेकर कांग्रेस पहले भी विरोध कर चुकी है. कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कुछ दिनों पहले कहा था कि धर्मांतरण विरोधी विधेयक राज्य पर काला धब्बा बनने जा रहा है. इससे राज्य में विदेशी निवेश प्रभावित होगा. उन्होंने समझाया, जबरन धर्मांतरण की कोई गुंजाइश नहीं है और वर्तमान में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को मौजूदा कानूनों द्वारा संबोधित किया जा रहा है. इस्कॉन, माता अमृतानंदमयी केंद्रों में आने वाले कई विदेशी नागरिक हिंदू भजन गाते हैं. जब ऐसी स्थिति है, तो यह बिल सभी के लिए असहज माहौल पैदा करने वाला है.

उन्होंने यह भी कहा कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष और शांतिपूर्ण है. विदेशियों का देश के प्रति बहुत सम्मान है क्योंकि उन्हें लगता है कि सभी धर्मों के लोग यहां सद्भाव से रह रहे हैं. बिल ईसाइयों को निशाना बना रहा है और यह शांति भंग करने की एक चाल है. इस देश पर अतीत में मुगलों, पुर्तगालियोंऔर अंग्रेजों का शासन रहा है. उनकी आबादी नहीं बढ़ी है, तो हिंदू राष्ट्र में धर्मांतरण का सवाल ही कहां है? उन्होंने कहा, "इतने सालों में जबरन धर्मांतरण नहीं हुआ और अचानक उन्होंने धर्म परिवर्तन की खोज कैसे की? देश में अभी भी मुसलमान 11 से 12 फीसदी हैं." 'लव जिहाद' के बारे में पूछे जाने पर शिवकुमार ने जवाब दिया कि अगर दो व्यक्ति प्यार में है और अगर दो दिल एक हो जाते हैं, तो क्या यह 'लव जिहाद' बन जाता है.

ये भी पढे़ं : हिजाब विवाद : SC में याचिकाकर्तांओं का तर्क- मुसलमानों को हिजाब पहनने का हक

बेंगलुरु : यह विधेयक विधान परिषद से पारित होने से अटक गया था, क्योंकि उस वक्त भारतीय जनता पार्टी के पास बहुमत नहीं था. सरकार इस विधेयक को प्रभाव में लाने के लिए इस वर्ष मई में अध्यादेश लायी थी. गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने ऊपरी सदन में आज विधेयक पेश किया. उन्होंने कहा कि हाल के वक्त में बड़ी संख्या में धर्मांतरण हो रहा है, प्रलोभन दे कर सामूहिक धर्मांतरण और जबरदस्ती धर्मांतरण कराया जा रहा है जिससे शांति भंग हो रही है और विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों के बीच अविश्वास पैदा हो रहा है. Karnataka conversion bill.

गृह मंत्री ने कहा कि यह विधेयक किसी की धार्मिक आजादी नहीं छीनता और कोई भी व्यक्ति अपनी रुचि के अनुसार धर्म का अनुसरण कर सकता है लेकिन किसी दबाव अथवा प्रलोभन में नहीं. विधान परिषद में विपक्ष के नेता बी के हरिप्रसाद ने इसका विरोध करते हुए विधेयक की प्रति फाड़ दी. हरिप्रसाद ने विधेयक को असंवैधानिक करार दिया और कहा कि यह धर्म के अधिकार को प्रभावित करेगा. वहीं विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री जे सी मधुस्वामी ने कहा कि यह विधेयक भारत के संविधान के दायरे में है. गौरतलब है कि कुछ इसाई संगठनों के प्रमुखों ने इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया था.

विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया है. विधेयक में धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा और बलपूर्वक, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी भी कपटपूर्ण तरीके से एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी अंतरण पर रोक लगाने का प्रावधान है.

आपको बता दें कि इस बिल को लेकर कांग्रेस पहले भी विरोध कर चुकी है. कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कुछ दिनों पहले कहा था कि धर्मांतरण विरोधी विधेयक राज्य पर काला धब्बा बनने जा रहा है. इससे राज्य में विदेशी निवेश प्रभावित होगा. उन्होंने समझाया, जबरन धर्मांतरण की कोई गुंजाइश नहीं है और वर्तमान में धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को मौजूदा कानूनों द्वारा संबोधित किया जा रहा है. इस्कॉन, माता अमृतानंदमयी केंद्रों में आने वाले कई विदेशी नागरिक हिंदू भजन गाते हैं. जब ऐसी स्थिति है, तो यह बिल सभी के लिए असहज माहौल पैदा करने वाला है.

उन्होंने यह भी कहा कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष और शांतिपूर्ण है. विदेशियों का देश के प्रति बहुत सम्मान है क्योंकि उन्हें लगता है कि सभी धर्मों के लोग यहां सद्भाव से रह रहे हैं. बिल ईसाइयों को निशाना बना रहा है और यह शांति भंग करने की एक चाल है. इस देश पर अतीत में मुगलों, पुर्तगालियोंऔर अंग्रेजों का शासन रहा है. उनकी आबादी नहीं बढ़ी है, तो हिंदू राष्ट्र में धर्मांतरण का सवाल ही कहां है? उन्होंने कहा, "इतने सालों में जबरन धर्मांतरण नहीं हुआ और अचानक उन्होंने धर्म परिवर्तन की खोज कैसे की? देश में अभी भी मुसलमान 11 से 12 फीसदी हैं." 'लव जिहाद' के बारे में पूछे जाने पर शिवकुमार ने जवाब दिया कि अगर दो व्यक्ति प्यार में है और अगर दो दिल एक हो जाते हैं, तो क्या यह 'लव जिहाद' बन जाता है.

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Last Updated : Sep 15, 2022, 8:49 PM IST
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