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SC ने कहा, पत्रकार आतंकवादी नहीं, आधी रात को बेडरूम से गिरफ्तारी अनुचित

सुप्रीम कोर्ट ने रंगदारी मामले में पत्रकार अरूप चटर्जी की गिरफ्तारी को लेकर झारखंड पुलिस को लताड़ लगाई. साथ ही, शीर्ष अदालत ने पत्रकार को अंतरिम जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह राज्य की अपील पर विचार नहीं करेगी. SC on Jharkhand Scribe Arrest.

SC on Jharkhand Scribe Arrest
सुप्रीम कोर्ट झारखंड पत्रकार गिरफ्तारी
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Published : Aug 29, 2022, 10:02 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रंगदारी के एक मामले (SC on Jharkhand Scribe Arrest) में झारखंड पुलिस के एक स्थानीय हिंदी पत्रकार के घर रात में पहुंचने और उन्हें गिरफ्तार करने से पहले बेडरूम से घसीटकर बाहर लाने की घटना की सोमवार को निंदा की और कहा कि 'पत्रकार आतंकवादी नहीं हैं.' शीर्ष अदालत ने पुलिस कार्रवाई को 'राज्य की ज्यादती' बताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि झारखंड में 'पूरी तरह अराजकता' व्याप्त है.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने पत्रकार को अंतरिम जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह राज्य की अपील पर विचार नहीं करेगी. पीठ ने कहा, 'हमने मामले के तथ्यों को देखा है. ये सभी राज्य की ज्यादती हैं और ऐसा लगता है कि झारखंड में पूरी तरह से अराजकता व्याप्त है. नहीं, हम उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.'

न्यायालय ने घटना पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए झारखंड के अतिरिक्त महाधिवक्ता अरुणाभ चौधरी से कहा, 'आप आधी रात को एक पत्रकार का दरवाजा खटखटाते हैं और उसे उसके बेडरूम से बाहर निकालते हैं. यह बहुत ज्यादा है. आप ऐसा एक ऐसे व्यक्ति के साथ कर रहे हैं जो पत्रकार है और पत्रकार आतंकवादी नहीं हैं.' शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सही तरह से एक विस्तृत आदेश के जरिए पत्रकार को अंतरिम जमानत दी, जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.

न्यायाधीशों ने मामले का निपटारा करते हुए चौधरी से कहा, 'क्षमा करें, हम आपकी याचिका पर विचार नहीं करने जा रहे हैं. चूंकि यह एक अंतरिम आदेश है और मामला वहां लंबित है, आप जाकर उच्च न्यायालय से बात करें.' चौधरी ने आरोप लगाया कि पत्रकार अरूप चटर्जी ब्लैकमेल करने और जबरन वसूली जैसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं तथा उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. पीठ ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि तीन दिन में बाहर आ गए, अन्यथा उनके जैसे कई लोगों को जमानत से पहले दो-तीन महीने जेल में बिताने पड़ते हैं.

यह भी पढ़ें- हिंदू अल्पसंख्यक पहचान मामला, केंद्र ने राज्यों के साथ बैठक के लिए और समय मांगा

उच्च न्यायालय द्वारा 19 जुलाई को चटर्जी को दी गई जमानत के खिलाफ झारखंड सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. अरूप चटर्जी की पत्नी और चैनल की निदेशक बेबी चटर्जी ने उच्च न्यायालय का रुख किया था और दावा किया था कि उनके पति को 16-17 जुलाई, 2022 की मध्यरात्रि को उनके रांची स्थित आवास से रात 12:20 बजे गिरफ्तार किया गया जो दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन है. चटर्जी को धनबाद पुलिस ने गोविंदपुर थाने में रंगदारी के आरोप में दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रंगदारी के एक मामले (SC on Jharkhand Scribe Arrest) में झारखंड पुलिस के एक स्थानीय हिंदी पत्रकार के घर रात में पहुंचने और उन्हें गिरफ्तार करने से पहले बेडरूम से घसीटकर बाहर लाने की घटना की सोमवार को निंदा की और कहा कि 'पत्रकार आतंकवादी नहीं हैं.' शीर्ष अदालत ने पुलिस कार्रवाई को 'राज्य की ज्यादती' बताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि झारखंड में 'पूरी तरह अराजकता' व्याप्त है.

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने पत्रकार को अंतरिम जमानत देने के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि वह राज्य की अपील पर विचार नहीं करेगी. पीठ ने कहा, 'हमने मामले के तथ्यों को देखा है. ये सभी राज्य की ज्यादती हैं और ऐसा लगता है कि झारखंड में पूरी तरह से अराजकता व्याप्त है. नहीं, हम उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.'

न्यायालय ने घटना पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए झारखंड के अतिरिक्त महाधिवक्ता अरुणाभ चौधरी से कहा, 'आप आधी रात को एक पत्रकार का दरवाजा खटखटाते हैं और उसे उसके बेडरूम से बाहर निकालते हैं. यह बहुत ज्यादा है. आप ऐसा एक ऐसे व्यक्ति के साथ कर रहे हैं जो पत्रकार है और पत्रकार आतंकवादी नहीं हैं.' शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सही तरह से एक विस्तृत आदेश के जरिए पत्रकार को अंतरिम जमानत दी, जिसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.

न्यायाधीशों ने मामले का निपटारा करते हुए चौधरी से कहा, 'क्षमा करें, हम आपकी याचिका पर विचार नहीं करने जा रहे हैं. चूंकि यह एक अंतरिम आदेश है और मामला वहां लंबित है, आप जाकर उच्च न्यायालय से बात करें.' चौधरी ने आरोप लगाया कि पत्रकार अरूप चटर्जी ब्लैकमेल करने और जबरन वसूली जैसी गतिविधियों में शामिल रहे हैं तथा उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था. पीठ ने कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि तीन दिन में बाहर आ गए, अन्यथा उनके जैसे कई लोगों को जमानत से पहले दो-तीन महीने जेल में बिताने पड़ते हैं.

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उच्च न्यायालय द्वारा 19 जुलाई को चटर्जी को दी गई जमानत के खिलाफ झारखंड सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. अरूप चटर्जी की पत्नी और चैनल की निदेशक बेबी चटर्जी ने उच्च न्यायालय का रुख किया था और दावा किया था कि उनके पति को 16-17 जुलाई, 2022 की मध्यरात्रि को उनके रांची स्थित आवास से रात 12:20 बजे गिरफ्तार किया गया जो दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन है. चटर्जी को धनबाद पुलिस ने गोविंदपुर थाने में रंगदारी के आरोप में दर्ज एक मामले में गिरफ्तार किया था.

(पीटीआई-भाषा)

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