आगरा: अयोध्या से आगरा आए जगद्गुरु परमहंस आचार्य को ताजमहल में प्रवेश नहीं करने दिया गया. बताया जा रहा है कि वे भगवा कपड़ा पहने थे और उनके हाथ में ब्रह्म दंड था. ऐसे में उन्हें सीआईएसएफ के जवानों ने रोक दिया, जिसके कारण वो ताज का दीदार नहीं सके. साथ ही आरोप है कि उनके शिष्य ने जब उनकी फोटो खींचने की कोशिश की तो मोबाइल छीनकर फोटो को डिलीट कर दिया गया.
वहीं, इस पूरे मसले पर परमहंसाचार्य ने कहा कि यह ताजमहल है. यहां भगवान शिव की पिंडी दबी हुई है. जिसे देखने के लिए वो यहां आए थे. लेकिन उन्हें ताज परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली. इधर, एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार शर्मा ने बताया कि जो पर्यटक आए थे. उनके हाथ में डंडा था. इसलिए सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें डंडा रखकर प्रवेश करने को कहा, लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुए. जिस कारण सीआईएसएफ के जवानों ने उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया.
गौर हो कि जगद्गुरु परमहंसाचार्य इससे पहले उस समय चर्चा में आए थे, जब उन्होंने भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग की थी. इतना ही नहीं उन्होंने सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि भारत सरकार अगर 2 अक्टूबर तक हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं करती है तो वे जल समाधि ले लेंगे. हालांकि, जल समाधि लेने से पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.
विदेशी मेहमान का सामान लेकर फरार हुआ ऑटो चालक: ताजमहल के दीदार को बेल्जियम से आई सेवी डिसिल्वा सोमवार को राजधानी दिल्ली से आगरा पहुंची थी. इस दौरान उन्होंने सिकंदरा चौराहा से एक ऑटो बुक किया और ऑटो चालक ने उससे एक हजार रुपये किराए मांगे. वह हाईवे से सुल्तानगंज की पुलिया होकर जा रहा था. वाटरवर्क्स पर सेवी डिसिल्वा ने टॉयलेट के लिए ऑटो रुकवाया तो अपना बैग ऑटो में ही रखकर चली गई. जब टॉयलेट से बाहर आई तो चालक बैग लेकर फरार हो गया था.
मंगलवार देर रात थाना कमला नगर पुलिस ने सेवी डिसिल्वा की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर लिया. सीओ हरीपर्वत सत्य नरायण ने बताया कि पर्यटक सेवी डिसिल्वा ने दर्ज शिकायत में बताया है कि उनके बैग में 47 हजार रुपये के अलावा 2200 यूएस डॉलर, मोबाइल फोन और लैपटॉप सहित अन्य सामान थे. पीड़िता ने बताया कि वो गोवा में दादा की संपत्ति बेचने के लिए भारत आई थी.