लखनऊ : कांग्रेस पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ को और मजबूत करने के लिए अल्पसंख्यक वोट को (UP Politics) अपने पाले में जुड़े रखने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं. इन सभी सीटों को पार्टी ने तीन भागों में बांट रखा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश, अवध प्रांत और पूर्वांचल तीन हिस्सों में पार्टी चुनाव लड़ने की तैयारी (Loksabha Election 2024) कर रही है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि एक तरफ जहां पूर्वांचल में 'इंडिया' गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी, अपना दल (कमेरावादी), महान दल और कांग्रेस पूर्वांचल की 26 से अधिक सीटों पर भाजपा को टक्कर देने की रणनीति पर काम कर रही है, वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 25 से अधिक सीटों पर कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी के अलावा यहां उनके गठबंधन में मौजूद राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के साथ मिलकर मुस्लिम और जाटों का 2022 में जो गठजोड़ बना है और मजबूत करना चाहती है. इसी कड़ी में पार्टी को पश्चिम उत्तर प्रदेश के अपने पुराने चेहरे इमरान मसूद को पार्टी में लाना एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है.
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि 'पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित यूपी की लगभग 60 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 28 से 30% के बीच है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लोकसभा सीटों की बात करें तो यहां के 45 से 50 सीटों पर जाट और मुसलमान निर्णायक होते हैं, जबकि यह पूरे देश की 120 सीटों पर व्यापक असर डालते हैं. जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटरों की संख्या 17 से 18 फ़ीसदी के बीच है, वहीं मुसलमान वोटरों की भी संख्या इतनी है, लेकिन कुछ लोकसभा सीटों पर यह करीब 30 फीसदी या उससे अधिक है. ऐसे में इमरान मसूद के दोबारा से कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी मुस्लिम वोटरों को एक तरफ अपनी तरफ करने का प्रयास कर रही है.' पार्टी नेताओं का कहना है कि 'बिजनौर लोकसभा सीट में 38.33%, अमरोहा में 37.5%, कैराना में 38.53%, नगीना में 42%, संभल में 46%, मुजफ्फरनगर में 37% रामपुर में 49.4% वह सहारनपुर में लगभग 36% मुस्लिम मतदाता हैं. कांग्रेस की इन्हीं सभी लोकसभा सीटों पर नजर है.
पार्टी नेताओं का कहना है कि इमरान मसूद के आने से पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाता पूरी एक एकजुटता के साथ कांग्रेस पार्टी के साथ खड़ा हो जाएगा. ऐसे में जाट और ओबीसी की दूसरी जातियों को लेकर पार्टी 'इंडिया' गठबंधन के उम्मीदवारों को आसानी से लोकसभा चुनाव में जीत सकती है. 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो पश्चिम की छह लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी और बसपा गठबंधन ने जीत दर्ज की थी. जिसमें नगीना, अमरोहा, बिजनौर, संभल, मुरादाबाद और सहारनपुर लोकसभा की सीटें शामिल थीं. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि इमरान मसूद पार्टी के राष्ट्रीय सचिव से लेकर कई अहम पदों पर रह चुके हैं. उनके दोबारा से कांग्रेस में आने से पार्टी को फायदा होगा. खास तौर पर मुस्लिम बेल्ट में अपनी पकड़ को और मजबूत कर सकेगी. और इसके साथ ही 2014 से लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने जाट लैंड पर जो अपना आधिपत्य जमाया है उसे कुछ हद तक कांग्रेस पार्टी भेदने में कामयाब हो सकती है.'
'मुसलमान का झुकाव पार्टी की तरफ बढ़ा' : उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सचिन रावत का कहना है कि 'इमरान मसूद के आने से कांग्रेस पार्टी को उत्तर प्रदेश में काफी मजबूती हासिल होगी. उनका कहना है कि इमरान मसूद कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता होने के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े मुस्लिम चेहरे हैं. जिस तरह से नगर निकाय चुनाव के बाद मुस्लिम वोटरों का झुकाव कांग्रेस की तरफ देखने को मिल रहा है. ऐसे में इमरान मसूद जैसे बड़े कद के मुस्लिम नेता की कांग्रेस पार्टी में वापसी मुसलमान वोटरों पर पार्टी की पकड़ को और मजबूती करने का काम करेगी. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में उनके आने के बाद से समीकरण बदल सकते हैं मसूद की मुस्लिम वोटरों पर अच्छी पकड़ है. अगर उन्हें लोकसभा चुनाव में पार्टी अहम भूमिका देती है, तो वह मुस्लिम मतदाताओं को पार्टी में लाने में कामयाब हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि वह तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और इमरान कि इस बार स्थिति भी अनुकूल है. सपा और आरएलडी 'इंडिया' गठबंधन में शामिल हैं. इससे पार्टी को भी और उनको भी काफी फायदा होगा. उन्होंने दावा किया कि कई बड़े मुस्लिम चेहरे जल्द ही कांग्रेस पार्टी की सदस्यता भी लेंगे.'