हुबली : कर्नाटक के हुबली में रहने वाले सिद्धार्थ बल्लारी की जिंदगी में जितना दर्द है, उससे कहीं ज्यादा बड़ा उनका हौसला है. ढाई साल पहले सिद्धार्थ बल्लारी के साथ ऐसा हादसा हुआ, जिसमें उनके जीने की उम्मीद खत्म हो गई थी. डॉक्टरों की मेहनत और उनके पिता की कोशिशों के बाद सिद्धार्थ की जान तो बच गई मगर वह अपाहिज हो गए. उनका हॉकी का करियर भी बर्बाद हो गया. ऐसे वक्त में उनके पिता सहारा बने और खुद सिद्धार्थ ने अपने जज्बे से विकलांगता को मात दे दी. पैरा एथीलीट के तौर पर खुद को साबित कर दिया. उनकी मेहनत का नतीजा है कि सिद्धार्थ बल्लारी अब फ्रांस में 19वें अंतर्राष्ट्रीय खेल महासंघ द्वारा आयोजित खेलों में शिरकत करेंगे. यह प्रतियोगिता 14 मई को शुरू होगी.
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सिद्धार्थ बल्लारी के पिता मंजूनाथ बल्लारी ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी. करीब ढाई साल पहले सिद्धार्थ 11 हजार केवी वोल्टेज वाले करंट की चपेट में आ गया था. इस हादसे के बाद उनके पेट का निचला हिस्सा जल गया. जांघों पर रखा मांस फट गया था. डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने के लिए 26 बार सर्जरी की. इस दौरान उनके शरीर में 6500 से ज्यादा टांके लगाए गए. दवा और दुआओं के असर से सिद्धार्थ की जान बच गई मगर उनके बाएं हाथ में हलचल नहीं लौटी. इस हादसे ने सिद्धार्थ के नेशनल हॉकी प्लेयर बनने के सपने को चकनाचूर कर दिया.
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मगर ऐसी विपरीत हालात में सिद्धार्थ ने हार नहीं मानी. अपने पापा के सहयोग से उन्होंने खेलना जारी रखा. उन्होंने खुद को पैरा एथीलीट के तौर पर विकसित किया. रोजाना प्रैक्टिस शुरू कर दी. कदम दर कदम आगे बढ़ते गए. फिर एक ऐसा वक्त आया, जब सिद्धार्थ की पहचान नैशनल पैरा एथीलीट के तौर पर होने लगी. सिद्धार्थ ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पैरा-स्पोर्ट्स में कई पदक जीते. अब उन्हें अंतर्राष्ट्रीय खेल महासंघ (ISF) की ओर से मई में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया है. 19वें इंटरनेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (ISF) ने उनका चयन किया है. शहर के शांतिनिकेतन कॉलेज में प्रथम पीयूसी में पढ़ने वाले सिद्धार्थ 100 मीटर, 400 मीटर दौड़ और लंबी कूद में आईएसएफ खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे. जो लोग सिद्धार्थ की आर्थिक मदद करना चाहते हैं, वे 8105419871 और 9606005516 पर कॉल कर सकते हैं.
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