नई दिल्ली: एनबीई के कार्यकारी निदेशक मीनू बाजपेयी को लिखे पत्र में चिकित्सा परामर्श समिति (medical advisory committee) के सदस्य सचिव बी श्रीनिवास ने कहा कि उचित चर्चा और विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) एनएमसी के परामर्श से सभी श्रेणियों में कट-ऑफ को 15 प्रतिशत तक कम करेगी.
अर्थात सामान्य श्रेणी के लिए योग्यता प्रतिशत को 35 प्रतिशत तक पीएच (सामान्य) के लिए 30 प्रतिशत, ओबीसी और आरक्षित वर्ग (एससी/एसटी) के लिए के लिए 25 फीसदी तक घटाया जा सकता है. श्रीनिवास ने कहा कि उपरोक्त के मद्देनजर आपसे अनुरोध है कि कृपया संशोधित परिणाम घोषित करें और नए योग्य उम्मीदवारों के संशोधित परिणाम डेटा जल्द से जल्द अधोहस्ताक्षरी के कार्यालय में भेजें.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार अखिल भारतीय दौर के दो दौर और राज्य कोटे की काउंसलिंग के दो दौर के बाद भी लगभग 8000 सीटें खाली रहने के मद्देनजर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (national medical commission) के परामर्श से यह निर्णय लिया गया है. एक अधिकारी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य सीट की बर्बादी को रोकना है.
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पर्सेंटाइल में इस कमी के साथ लगभग 25000 नए उम्मीदवार चल रहे काउंसलिंग के मॉप राउंड में भाग ले सकते हैं. राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातकोत्तर), या एनईईटी-पीजी, स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है.