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खोरी गांव मामला: हरियाणा सरकार ने SC को बताया, अंतिम आवंटन 15 दिसम्बर तक

शीर्ष अदालत ने फरीदाबाद नगर निगम को वन भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण को गिराने का आदेश देने के साथ योग्य निवासियों के पुनर्वास के लिए भी कहा था. हरियाणा सरकार ने पिछली सुनवाई में अपनी पुनर्वास योजना अदालत के समक्ष पेश की थी, जिसमें अगले साल लोगों का पुनर्वास तथा स्थायी मकान नहीं मिलने तक दो हजार रुपये किराये के रूप में दिये जाने की जानकारी दी थी.

खोरी गांव मामला
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Published : Sep 20, 2021, 10:33 PM IST

नई दिल्ली : हरियाणा के फरीदाबाद स्थित खोरी गांव के बेदखल लोगों को अंतिम आवंटन 15 दिसम्बर तक कर दिया जाएगा. यह बात राज्य सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताई. जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ यहां खोरी गांव में लगभग 10 हजार मकानों को तोड़े जाने से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

शीर्ष अदालत ने फरीदाबाद नगर निगम को वन भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण को गिराने का आदेश देने के साथ योग्य निवासियों के पुनर्वास के लिए भी कहा था. हरियाणा सरकार ने पिछली सुनवाई में अपनी पुनर्वास योजना अदालत के समक्ष पेश की थी, जिसमें अगले साल लोगों का पुनर्वास तथा स्थायी मकान नहीं मिलने तक दो हजार रुपये किराये के रूप में दिये जाने की जानकारी दी थी.

पढ़ें : घर-घर जाकर दिव्यांगों के टीकाकरण पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब

अदालत ने सुझाव दिया था कि बेघर हुए लोगों को अस्थाई रूप से मकान आवंटित किये जाएं तथा जांच के बाद अंतिम आवंटन किया जाए. साथ ही अगले साल के बजाय कुछ हफ्तों में ही इस कार्य को संपन्न करने का निर्देश दिया था.

हरियाणा सरकार ने आज अदालत को बताया कि उन्हें 2391 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 892 योग्य पाए गए हैं. उन्हें फोन से संपर्क किया गया है और 302 लोगों को अंतिम आवंटन पत्र दिया गया है. वहीं. आवेदन की अंतिम तारीख 15 नवंबर की तय की गई है.

दूसरी तरफ, किसानों ने भी अपनी जमीन वनीय क्षेत्र के तहत नहीं आने के संबंध में अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसकी सुनवाई चार अक्टूबर को होगी.

नई दिल्ली : हरियाणा के फरीदाबाद स्थित खोरी गांव के बेदखल लोगों को अंतिम आवंटन 15 दिसम्बर तक कर दिया जाएगा. यह बात राज्य सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट को बताई. जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ यहां खोरी गांव में लगभग 10 हजार मकानों को तोड़े जाने से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

शीर्ष अदालत ने फरीदाबाद नगर निगम को वन भूमि पर अवैध रूप से अतिक्रमण को गिराने का आदेश देने के साथ योग्य निवासियों के पुनर्वास के लिए भी कहा था. हरियाणा सरकार ने पिछली सुनवाई में अपनी पुनर्वास योजना अदालत के समक्ष पेश की थी, जिसमें अगले साल लोगों का पुनर्वास तथा स्थायी मकान नहीं मिलने तक दो हजार रुपये किराये के रूप में दिये जाने की जानकारी दी थी.

पढ़ें : घर-घर जाकर दिव्यांगों के टीकाकरण पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब

अदालत ने सुझाव दिया था कि बेघर हुए लोगों को अस्थाई रूप से मकान आवंटित किये जाएं तथा जांच के बाद अंतिम आवंटन किया जाए. साथ ही अगले साल के बजाय कुछ हफ्तों में ही इस कार्य को संपन्न करने का निर्देश दिया था.

हरियाणा सरकार ने आज अदालत को बताया कि उन्हें 2391 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 892 योग्य पाए गए हैं. उन्हें फोन से संपर्क किया गया है और 302 लोगों को अंतिम आवंटन पत्र दिया गया है. वहीं. आवेदन की अंतिम तारीख 15 नवंबर की तय की गई है.

दूसरी तरफ, किसानों ने भी अपनी जमीन वनीय क्षेत्र के तहत नहीं आने के संबंध में अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसकी सुनवाई चार अक्टूबर को होगी.

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