हरिद्वार : धर्मनगरी हरिद्वार में तीन दिवसीय धर्म संसद में विवादित बयान (Haridwar Dharma Sansad hate speech case) को लेकर हरिद्वार नगर कोतवाली में गुलबहार खान की तहरीर पर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (पुराना नाम- वसीम रिजवी) के खिलाफ केस (case registered against Wasim Rizvi) दर्ज किया गया है. एफआईआर में दो अन्य संतों के नाम भी शामिल किए गए हैं.
शनिवार को शामिल किए गए दो नामों में महामंडलेश्वर धरमदास (Mahamandaleshwar Dharamdas) और महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती (Mahamandaleshwar Annapurna Bharti) के नाम शामिल किए गए हैं.
हरिद्वार पुलिस इस मामले की जांच करने में जुटी है. पुलिस को वीडियो के तौर पर जो साक्ष्य मिले हैं, उनके आधार पर पुलिस एफआईआर में नाम बढ़ाती जा रही है. पुलिस ने इन संतों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
जेल जाने को तैयार : एफआईआर में दो संतों के नाम बढ़ाए जाने से संत समाज में रोष बढ़ता जा रहा है. संतों का कहना है कि वो इससे बिल्कुल भयभीत नहीं है. संत समाज तो इस बात के लिए भी तैयार है कि अगर उनको जेल में डाला जाएगा, तो जेल जाने के लिए भी तैयार हैं.
संतों की सफाई : संतों ने सफाई देते हुए कहा है कि धर्म संसद में जो भी कहा है वो आम मुसलमान या आम लोगों के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि जिहादियों के खिलाफ हैं. संत समाज का कहना है कि अदालतों में विचार और फैसला किया जाए कि बहुसंख्यक समाज अगर कुछ बोलता है, तो उस पर एफआईआर दर्ज हो जाती है और अल्पसंख्यक कुछ भी बोलते हैं तो उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है.
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इस मामले पर हरिद्वार सीओ सिटी शेखर सुयाल का कहना है कि धर्म संसद में कुछ लोगों के विवादित बयानों के बाद एफआईआर दर्ज की गई है. इसमें पुलिस को वीडियो भी उपलब्ध हुए हैं. वीडियो को देखने के बाद पुलिस ने एफआईआर में दो नाम और बढ़ाए हैं. पुलिस की विवेचना जारी है. उन्होंने कहा है कि पुलिस का प्रयास है कि इन वीडियो को ज्यादा सर्कुलेट न होने दिया जाए.
क्या कहती है IPC की धारा 153ए : आईपीसी की धारा 153 ए उन लोगों पर लगाई जाती है, जो धर्म, भाषा, नस्ल वगैरह के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं. 153 (ए) के तहत 3 साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. अगर ये अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाए तो 5 साल तक की सजा और जुर्माना भी हो सकता है.