चिनसुराह (हुगली): यहां की रहने वाली 17 वर्षीय जिम्नास्ट जॉयिता के पास पहले से चार राष्ट्रीय रिकॉर्ड हैं. वह अपने पिता जयंत मलिक के साथ रहती हैं, जो कि विकलांग हैं और सड़क पर खिलौने बेचकर परिवार का पालन करते हैं. जॉयिता मलिक की मां सुमिता, शांतिपल्ली चौकबाजार चिनसुराह में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है. जॉयिता के दो भाई भी हैं.
उनकी गरीब पृष्ठभूमि के बावजूद माता-पिता ने उसे फ्रांस भेजने और उसके सपनों को पूरा करने में मदद के लिए 2.5 लाख रुपये की व्यवस्था की है. उन्होंने गहने गिरवी रखे और रिश्तेदारों से कुछ आर्थिक मदद लेकर यह व्यवस्था की है. खेलो इंडिया से उसने जो पैसा जीता था, उसे भी इस कमी को पूरा करने के लिए लगाया गया है. वे इन सभी संघर्षों से गुजर रहे हैं सिर्फ इसलिए कि राज्य और देश को गौरवान्वित कर सकें.
हालांकि जीवन बीमा कंपनी के अधिकारियों द्वारा स्थापित एक संगठन से समय पर सहायता मिली और अंतिम समय पर तीन लाख रुपये की मदद मिली है. बीमा अधिकारियों ने जॉयिता जैसी गरीब लेकिन मेधावी खिलाड़ियों की मदद करने के उद्देश्य से कंपनी का गठन किया है. नतीजतन, जॉयिता की फ्रांस यात्रा की पूरी लागत तीन लाख रुपये से कवर की जाएगी. माता-पिता ने कहा कि वे अब भुगतान करने में सक्षम हैं. उसकी मां ने कहा कि शेष 50000 रुपए जॉयिता की फिटनेस और आहार पर खर्च के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे. जॉयिता के कोच मौनी कर्माकर को लगता है कि उनकी कड़ी मेहनत और परिश्रम एक दिन बड़ी सफलता जरुर दिलाएगी.
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यह गेम्स 14 मई से शुरू होंगे जिसमें जॉयिता कलात्मक जिम्नास्टिक में हिस्सा लेंगी. वे 13 मई को फ्रांस के लिए रवाना होंगी. जॉयिता ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि मैं अपने कोच के सपने को साकार करने के लिए फ्रांस में हिस्सा लेने जा रही हूं. यही मुझे अच्छा महसूस कराता है. मैं शुरू से ही बांसबेरिया खमारपारा यूथ एसोसिएशन में अभ्यास कर रही हूं और खेलती रही हूं.