वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में विश्व वैदिक सनातन संघ ने अपने आपको सभी मुकदमों की पैरवी से अलग हटने की बात की है. मुख्य मुकदमे और अन्य कई मुकदमों से जुड़ी राखी सिंह और किरण सिंह के पैरोकार जितेंद्र सिंह बिसेन ने मैसेज भेजकर यह जानकारी दी. उन्होंने मैसेज में कहा कि 'मैं क्षमा चाहता हूं अब और नहीं सहा जाता. मैं देश और समाज को सूचित कर रहा हूं कि मैं और मेरा परिवार उन सभी मुकदमों से अपने आपको हटा रहा है, जो मुकदमे देश और धर्म के हित में हमारे परिवार द्वारा विभिन्न न्यायालयों में दायर किए गए थे'.
बता दें कि विश्व वैदिक सनातन संघ के जितेंद्र सिंह बिसेन की भतीजी राखी सिंह ज्ञानवापी मस्जिद-श्रंगार गौरी वाद की मुख्य पैरोकार थीं. इसके अलावा उनकी पत्नी किरण सिंह ने भी कथित शिवलिंग के राग-भोग और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर हिन्दुओं को सौंपने की अर्जी कोर्ट में दी थी. जिसे हाल ही में जिला जज ने सात मामलों के साथ क्लब किया था.
सबसे पहले दायर किया था मुकदमा
जितेंद्र सिंह बिसेन और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता हरिशंकर जैन विष्णु शंकर जैन समेत राखी सिंह के द्वारा ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर सबसे पहले मुकदमा दायर किया गया था. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी में नियमित दर्शन की मांग को लेकर राखी सिंह के तरफ से दायर मुकदमे के बाद वाराणसी की सीता साहू, लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक और मंजू व्यास ने भी नियमित दर्शन की मांग न्यायालय में की थी. जिसके बाद दोनों पक्षों में विवाद हुआ और विश्व वैदिक सनातन संघ ने अपने आपको चार महिलाओं और विष्णु शंकर जैन और हरी शंकर जैन से पलट कर लिया था. इसके बाद से ही उनके अधिवक्ता शिवम गौड़ भी मुकदमे देख रहे थे.
धर्मयुद्ध को शुरू करके मैंने जीवन की सबसे बड़ी गलती की
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी को लेकर विश्व वैदिक सनातन संघ प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन का कहना है कि 'यह समाज केवल धर्म के नाम पर नौटंकी करके लोगों को भ्रमित करने वालों के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है. अपना सर्वस्व न्यौछावर कर के देश और समाज की रक्षा का कार्य करने वाला अपने ही समाज के द्वारा उपेक्षित और अपमानित किया जाता रहा है. विभिन्न कोर्ट में काफी मुकदमे हमारे द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से चलाए जा रहे हैं. इनमें काशी, मथुरा, दिल्ली कुतुब मीनार सहित अनेकों मामले हैं. सभी मामलों की पैरवी को अब हम छोड़ रहे हैं. शक्ति और सामर्थ्य सीमित होने की वजह से इस धर्म युद्ध को अब नहीं लड़ा जा सकता है. इस धर्मयुद्ध को शुरू करके शायद मैंने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती की थी'.
बिसेन के वकील ने भी सभी मामलों से किया अलग
वहीं, जितेंद्र सिंह के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने भी एक संदेश भेज कर कहा है कि 'मैं ज्ञानवापी मामले में 2021 से और श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले में 2022 से लगातार पैरवी करता आ रहा हूं. लगभग 1 साल से दिल्ली का अपना सारा काम छोड़ कर ज्ञानवापी मामले को संभाल रहा हूं. मुझे ज्ञानवापी के सभी मामलोx के लिए जितेन्द्र सिंह बिसेन ने ही अधिवक्ता नियुक्त किया था. परंतु कुछ समय से उनसे अस्पष्ट चर्चा और संपर्क हीनता के चलते मैं इन दोनों मामलों के सभी मुकदमों से बतौर अधिवक्ता हट रहा हूं. पैरवी के लिए मैंने मई 2022 से अबतक कोई फीस नहीं ली है'.