नई दिल्ली : गुजरात के मोरबी में पुल टूटने की घटना में हुई मौतों पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Congress president Mallikarjun Kharge) ने किसी तरह के आरोप से परहेज किया है, लेकिन चूक की जिम्मेदारी तय करने के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच की मांग की है.
खड़गे ने कहा, 'हम घटना पर राजनीति नहीं करना चाहते हैं. हम इस बिंदु पर त्रासदी के लिए किसी को दोष नहीं देना चाहते हैं. ऐसा करने का समय तब होगा जब जांच रिपोर्ट आएगी.' उन्होंने कहा कि 'हालांकि घटना के कारणों की एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा जांच होनी चाहिए ताकि जिम्मेदारी तय हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके. प्रथम दृष्टया यह आपराधिक लापरवाही और घोर कुशासन का मामला लगता है.'
रविवार रात को राजस्थान के मुख्यमंत्री और राज्य के लिए एआईसीसी पर्यवेक्षक अशोक गहलोत से फीडबैक लेने के बाद खड़गे ने उन्हें सोमवार को गुजरात के वरिष्ठ नेताओं के साथ मोरबी का दौरा करने के लिए कहा था. खड़गे ने पार्टी कार्यकर्ताओं से प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने को कहा.
अब 1 नवंबर से शुरू करेंगे परिवर्तन संकल्प यात्रा : उधर, लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए कांग्रेस ने पांच राज्यव्यापी परिवर्तन संकल्प यात्राएं (Parivartan Sankalp yatra) रद्द कर दीं हैं, जिन्हें पार्टी ने 31 अक्टूबर को शुरू करने की योजना बनाई थी. हालांकि अभियान सोमवार से शुरू करने की उसकी पूरी तैयारी थी. गुजरात इकाई के प्रमुख जगदीश ठाकोर ने कहा कि पांच यात्राएं एक नवंबर से शुरू होंगी.
राहुल ने दो मिनट का मौन रखकर जताया शोक : गुजरात हादसे में जान गंवाने वालों के सम्मान में पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी (Former party chief Rahul Gandhi) के साथ संचार प्रभारी जयराम रमेश और कई वरिष्ठ नेताओं ने तेलंगाना में भारत जोड़ी यात्रा शुरू होने से पहले दो मिनट का मौन रखा. पूर्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चौंकाने वाली घटना पर दुख व्यक्त किया.
पवन खेड़ा ने कहा-सीएम को बर्खास्त किया जाना चाहिए : हालांकि, कांग्रेस के नए प्रमुख के संयम दिखाने के बावजूद, एआईसीसी मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा (Pawan Khera) ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार की खिंचाई की और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (chief minister Bhupendra Patel) को बर्खास्त करने की मांग की.
खेड़ा ने गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में कहा, ' इस घटना के लिए मुख्यमंत्री को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए. क्या यह अजीब नहीं है कि 100 साल पुराने सस्पेंशन ब्रिज की मरम्मत और संचालन का ठेका सीएफएल बल्ब, मच्छर मारने वाले रैकेट और वॉल क्लॉक बनाने वाली कंपनी को दिया गया था. भ्रष्ट भाजपा सरकार ने ऐसा किया...ऐसी कंपनी को ठेका देने के लिए कौन सा मंत्री या अधिकारी जिम्मेदार है.'
उन्होंने कहा कि 'राज्य सरकार में भ्रष्टाचार है और लोग और मौतें नहीं देखना चाहते हैं. राज्य सरकार ने चुनावी मौसम के कारण जनता के लिए पुल खोलने से पहले सुरक्षा मानकों की अनदेखी की. क्या कोई ऑडिट रिपोर्ट थी? निजी कंपनी सिर्फ पैसा कमाना चाहती थी. टिकट सिर्फ 17 रुपये का था इसलिए कई गुना ज्यादा लोगों को अनुमति दी गई. क्या पुल का फिटनेस प्रमाण पत्र था. पुल की क्षमता केवल 100 होने पर भी 500 लोगों को अनुमति क्यों दी गई.'
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