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Gujarat Assembly Election : 'कांग्रेस और आप के बीच वोटों का बंटवारा हुआ, तो भाजपा की होगी बड़ी जीत'

गुजरात चुनाव का जिम्मा सीधे-सीधे गृह मंत्री अमित शाह के हाथ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य होने की वजह से बीजेपी के लिए गुजरात की लड़ाई साख का सवाल भी है. ऐसे में पार्टी कोई भी कोशिश नहीं छोड़ना चाहती है. विश्लेषक मानते हैं कि आप के मैदान में आ जाने से भाजपा को फायदा मिला है. और इसकी वजह है कांग्रेस और आप के बीच वोटों का बंटवारा. और क्या कुछ कहते हैं विशेषज्ञ, पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Nov 11, 2022, 2:19 PM IST

Updated : Nov 11, 2022, 5:06 PM IST

नई दिल्ली : ऐसे वक्त जब गुजरात जैसे बड़े राज्य में चुनाव होने वाले हैं, राज्य के बड़े नेताओं की चुनाव न लड़ने की घोषणाओं ने बीजेपी की अगली रणनीति की ओर थोड़ा-बहुत इशारा कर दिया है. माना जा रहा है कि गुजरात में पार्टी में नया जोश भरने के लिए ये जरूरी समझा गया कि पुरानों को कुर्सी से हटा कर नये चेहरों को लाया जाये और पुरानों के अनुभवों का फायदा संगठन को मजबूत करने में लिया जाय. जानकार मानते हैं कि गुजरात के इन चुनावों में नई टीम बनाने की ये रणनीति सफल हुई तो इसे 2024 के चुनावों में आजमाया जा सकता है.

सीएसडीएस में प्रोफेसर संजय कुमार का मानना है कि आम तौर पर इस तरह के फैसले पार्टी में मनोबल बढ़ाने के लिए लिये जाते हैं और इसका असर भी होता है. उन्होंने कहा कि ये एक अनकही सी पॉलिसी की तरह है जिसमें पार्टी कहती है कि भई आपको सत्ता नहीं मिली है, आपको सेवा करने का मौका मिला है. कहा जाएगा कि आप दो बार चीफ मिनिस्टर रह चुके, तीन बार विधायक रह चुके, अब आप दूसरों को मौका दीजिए और आप संगठन का काम देखिए.

इस तरह की पॉलिसी से कार्यकर्ताओं में उम्मीद बंधी रहती है कि उन्हें भी मौका मिलेगा. दूसरी पार्टियों में अगर कोई 5 या 6 बार लगातार विधायक रहा है तो ये उसकी गारंटी होती है कि उसे आगे भी टिकट मिलेगा ही. ये कल्चर बीजेपी ने बदल दिया. हिमाचल में कई वरिष्ठों के टिकट काटे जा चुके. इससे पार्टी में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा रहता है कि नए लोगों को मौका मिलेगा.

गुजरात चुनाव का जिम्मा सीधे-सीधे अब गृह मंत्री अमित शाह के हाथ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य होने की वजह से बीजेपी के लिए गुजरात की लड़ाई साख का सवाल भी है. वरिष्ठ चुनाव विश्लेषक अभय कुमार कहते हैं कि गुजरात में चुनाव जीतना और अच्छी तरह जीतना बीजेपी के लिए जरूरी इसलिए है कि यहां के नतीजों का असर अगले साल तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में होने वाले चुनावों पर पड़ेगा. चूंकि 2024 के आम चुनाव भी दूर नहीं हैं, तो उन पर भी इन नतीजों की छाया पड़नी तय है.

जानकार ये भी मानते हैं कि हिमाचल में हर बार सरकार बदल जाने की रवायत इस बार बदल सकती है. ये पूछने पर कि गुजरात और हिमाचल में नतीजे क्या हो सकते हैं, प्रोफेसर संजय कुमार कहते हैं कि गुजरात में तो निश्चित तौर पर बीजेपी की सरकीर रिपीट होगी, लेकिन हिमाचल में अभी कह नहीं सकते. जो ट्रेंड चलता रहा है, उस हिसाब से मैं नहीं मान सकता कि बीजेपी हार ही रही है हिमाचल में. कांटे का मुकाबला है वहां. लेकिन गुजरात को लेकर मुझे कोई असमंजस नहीं है.

गुजरात में तो बीजेपी की बड़ी जीत होगी. और इसका बड़ा कारण ये है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी बड़े पैमाने पर अपने वोट काट रहे हैं. इसलिए बाई डीफॉल्ट बीजेपी को फायदा पहुंचेगा. गुजरात चुनावों के बारे में किसी भी बीजेपी नेता से अगर बात की जाए, तो वो अपनी लड़ाई कांग्रेस से ही बताता है. सूत्र बताते हैं कि पार्टी ये जानते हुए भी कि आम आदमी पार्टी उन्हें चुनौती दे सकती है, इसका जिक्र इसलिए नहीं करती क्योंकि कांग्रेस से लड़ाई उन्हें आसान लगती है और वे जानते बूझते हुए आम आदमी पार्टी को अपने सामने खड़ा करना नहीं चाहते. वरिष्ठ और वयोवृद्ध नेताओं को हटा कर नये चेहरों को सामने लाने की नीति के समर्थक एक बीजेपी नेता का दावा भी है कि गुजरात के नतीजों के बाद पार्टी का प्रदर्शन अगले साल तीन राज्यों के चुनावों में और फिर 2024 के आम चुनावों में अपने शबाब पर रहेगा.

नई दिल्ली : ऐसे वक्त जब गुजरात जैसे बड़े राज्य में चुनाव होने वाले हैं, राज्य के बड़े नेताओं की चुनाव न लड़ने की घोषणाओं ने बीजेपी की अगली रणनीति की ओर थोड़ा-बहुत इशारा कर दिया है. माना जा रहा है कि गुजरात में पार्टी में नया जोश भरने के लिए ये जरूरी समझा गया कि पुरानों को कुर्सी से हटा कर नये चेहरों को लाया जाये और पुरानों के अनुभवों का फायदा संगठन को मजबूत करने में लिया जाय. जानकार मानते हैं कि गुजरात के इन चुनावों में नई टीम बनाने की ये रणनीति सफल हुई तो इसे 2024 के चुनावों में आजमाया जा सकता है.

सीएसडीएस में प्रोफेसर संजय कुमार का मानना है कि आम तौर पर इस तरह के फैसले पार्टी में मनोबल बढ़ाने के लिए लिये जाते हैं और इसका असर भी होता है. उन्होंने कहा कि ये एक अनकही सी पॉलिसी की तरह है जिसमें पार्टी कहती है कि भई आपको सत्ता नहीं मिली है, आपको सेवा करने का मौका मिला है. कहा जाएगा कि आप दो बार चीफ मिनिस्टर रह चुके, तीन बार विधायक रह चुके, अब आप दूसरों को मौका दीजिए और आप संगठन का काम देखिए.

इस तरह की पॉलिसी से कार्यकर्ताओं में उम्मीद बंधी रहती है कि उन्हें भी मौका मिलेगा. दूसरी पार्टियों में अगर कोई 5 या 6 बार लगातार विधायक रहा है तो ये उसकी गारंटी होती है कि उसे आगे भी टिकट मिलेगा ही. ये कल्चर बीजेपी ने बदल दिया. हिमाचल में कई वरिष्ठों के टिकट काटे जा चुके. इससे पार्टी में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा रहता है कि नए लोगों को मौका मिलेगा.

गुजरात चुनाव का जिम्मा सीधे-सीधे अब गृह मंत्री अमित शाह के हाथ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य होने की वजह से बीजेपी के लिए गुजरात की लड़ाई साख का सवाल भी है. वरिष्ठ चुनाव विश्लेषक अभय कुमार कहते हैं कि गुजरात में चुनाव जीतना और अच्छी तरह जीतना बीजेपी के लिए जरूरी इसलिए है कि यहां के नतीजों का असर अगले साल तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में होने वाले चुनावों पर पड़ेगा. चूंकि 2024 के आम चुनाव भी दूर नहीं हैं, तो उन पर भी इन नतीजों की छाया पड़नी तय है.

जानकार ये भी मानते हैं कि हिमाचल में हर बार सरकार बदल जाने की रवायत इस बार बदल सकती है. ये पूछने पर कि गुजरात और हिमाचल में नतीजे क्या हो सकते हैं, प्रोफेसर संजय कुमार कहते हैं कि गुजरात में तो निश्चित तौर पर बीजेपी की सरकीर रिपीट होगी, लेकिन हिमाचल में अभी कह नहीं सकते. जो ट्रेंड चलता रहा है, उस हिसाब से मैं नहीं मान सकता कि बीजेपी हार ही रही है हिमाचल में. कांटे का मुकाबला है वहां. लेकिन गुजरात को लेकर मुझे कोई असमंजस नहीं है.

गुजरात में तो बीजेपी की बड़ी जीत होगी. और इसका बड़ा कारण ये है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी बड़े पैमाने पर अपने वोट काट रहे हैं. इसलिए बाई डीफॉल्ट बीजेपी को फायदा पहुंचेगा. गुजरात चुनावों के बारे में किसी भी बीजेपी नेता से अगर बात की जाए, तो वो अपनी लड़ाई कांग्रेस से ही बताता है. सूत्र बताते हैं कि पार्टी ये जानते हुए भी कि आम आदमी पार्टी उन्हें चुनौती दे सकती है, इसका जिक्र इसलिए नहीं करती क्योंकि कांग्रेस से लड़ाई उन्हें आसान लगती है और वे जानते बूझते हुए आम आदमी पार्टी को अपने सामने खड़ा करना नहीं चाहते. वरिष्ठ और वयोवृद्ध नेताओं को हटा कर नये चेहरों को सामने लाने की नीति के समर्थक एक बीजेपी नेता का दावा भी है कि गुजरात के नतीजों के बाद पार्टी का प्रदर्शन अगले साल तीन राज्यों के चुनावों में और फिर 2024 के आम चुनावों में अपने शबाब पर रहेगा.

Last Updated : Nov 11, 2022, 5:06 PM IST
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