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मछली या मगर देखकर चौक जाएंगे आप, भोपाल के बड़े तालाब में मिली एलीगेटर गार

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के बड़े तालाब में चौकाने वाली मछली मिली है. इस मछली का धड़ मछली की तरह है, जबकि इसका सिर मगरमच्छ की तरह दिखता है.

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Published : Apr 19, 2023, 5:30 PM IST

तालाब में मिली मगर जैसी मछली

भोपाल। आपने कई तरह के अतरंगी जीव जंतु देखे होंगे, जिन्हें देखकर अक्सर आप सोच में पड़ जाते हैं. वहीं जब दो अलग तरह के दिखने वाले जीव के लक्षण किसी एक ही जीव में नजर आए, तो ये चर्चा का विषय बन जाता है. ऐसा ही कुछ नाजार राजधानी भोपाल के बड़े तालाब में देखने मिला है. जहां मगर की शक्ल की मछली मिली है. जिसके बाद ये कोतुहल का विषय बन गई. जिसने भी इसे देखा वह यही कहता रहा कि यह तो कोई छोटा सा मगरमच्छ है. लोग दुविधा में हैं कि इसे मछली या मगरमच्छ कहें.

बड़े तालाब में मिली एलीगेटर गार: इस मछली का मुंह देख कर आपको लगेगा कि शायद यह कोई मगर का छोटा बच्चा हो, लेकिन यह अमेरिका में पाई जाने वाली मछली है. दरअसल भोपाल के बड़े तालाब के खानगांव के पास कुछ युवा मछली पकड़ने के लिए गए थे. इस दौरान उनके काटे में यह मछली फंसी, लेकिन जब इसे उन्होंने देखा तो पहले तो वे डर गए, क्योंकि उन्हें लगा यह कोई मगरमच्छ का बच्चा है. इस मछली के मुंह में बड़े-बड़े दांत हैं. जो डरावने से नजर आते हैं. जब इसके बारे में जानकारी एकत्रित की गई तो यह मछली एलीगेटर गार निकली.

Fish similar to crocodile found in Bhopal
मगर जैसी मछली

अमेरिका में पाई जाती है ये मछली: मछली पकड़ने वाले अनस बताते हैं कि वह और उनके कुछ दोस्त खानूगांव की तरफ तालाब में मछली पकड़ रहे थे. इस दौरान कांटे में एक बड़ी मछली फंसने का आभास हुआ. जब उन्होंने बाहर निकाल कर देखा तो इसका मुंह मगरमच्छ के जैसा था, लेकिन थोड़ी देर बाद ही यह मछली मर गई. फिशिंग का कारोबार करने वाले सुरेन्द्र बाथम बताते हैं कि ये मछली अमेरिका में पाई जाती है. जिसे एलीगेटर गार कहा जाता है. भोपाल में जो मछली मिली है, उसकी लंबाई तकरीबन डेढ़ फीट के आसपास है. जबकि इस प्रजाति की मछली की लंबाई 10 से 12 फीट के बीच होती है. इसकी उम्र करीब 20 साल ही अधिकतर पाई जाती है.

कुछ खबर यहां पढ़ें

किसी भी वातावरण में करती है सर्वाइव: फिशिंग एक्सपर्ट शारिक अहमद का कहना है कि भोपाल में यह मछली बड़े तालाब में कैसे आई, कहां से आई इस बारे में फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन अंदाजा यह लगाया जा सकता है कि भोपाल में कोलकाता और आंध्र प्रदेश से मछली का बीज आता है. संभवत उसी बीच इस एलीगेटर गार का बीज भोपाल आया हो. इस मछली की प्रकृति होती है कि यह किसी भी वातावरण में सर्वाइव कर जाती है. यही वजह है कि अमेरिका में पाई जाने वाली ये मछली भोपाल के बड़े तालाब में भी सर्वाइव कर गई.

तालाब में मिली मगर जैसी मछली

भोपाल। आपने कई तरह के अतरंगी जीव जंतु देखे होंगे, जिन्हें देखकर अक्सर आप सोच में पड़ जाते हैं. वहीं जब दो अलग तरह के दिखने वाले जीव के लक्षण किसी एक ही जीव में नजर आए, तो ये चर्चा का विषय बन जाता है. ऐसा ही कुछ नाजार राजधानी भोपाल के बड़े तालाब में देखने मिला है. जहां मगर की शक्ल की मछली मिली है. जिसके बाद ये कोतुहल का विषय बन गई. जिसने भी इसे देखा वह यही कहता रहा कि यह तो कोई छोटा सा मगरमच्छ है. लोग दुविधा में हैं कि इसे मछली या मगरमच्छ कहें.

बड़े तालाब में मिली एलीगेटर गार: इस मछली का मुंह देख कर आपको लगेगा कि शायद यह कोई मगर का छोटा बच्चा हो, लेकिन यह अमेरिका में पाई जाने वाली मछली है. दरअसल भोपाल के बड़े तालाब के खानगांव के पास कुछ युवा मछली पकड़ने के लिए गए थे. इस दौरान उनके काटे में यह मछली फंसी, लेकिन जब इसे उन्होंने देखा तो पहले तो वे डर गए, क्योंकि उन्हें लगा यह कोई मगरमच्छ का बच्चा है. इस मछली के मुंह में बड़े-बड़े दांत हैं. जो डरावने से नजर आते हैं. जब इसके बारे में जानकारी एकत्रित की गई तो यह मछली एलीगेटर गार निकली.

Fish similar to crocodile found in Bhopal
मगर जैसी मछली

अमेरिका में पाई जाती है ये मछली: मछली पकड़ने वाले अनस बताते हैं कि वह और उनके कुछ दोस्त खानूगांव की तरफ तालाब में मछली पकड़ रहे थे. इस दौरान कांटे में एक बड़ी मछली फंसने का आभास हुआ. जब उन्होंने बाहर निकाल कर देखा तो इसका मुंह मगरमच्छ के जैसा था, लेकिन थोड़ी देर बाद ही यह मछली मर गई. फिशिंग का कारोबार करने वाले सुरेन्द्र बाथम बताते हैं कि ये मछली अमेरिका में पाई जाती है. जिसे एलीगेटर गार कहा जाता है. भोपाल में जो मछली मिली है, उसकी लंबाई तकरीबन डेढ़ फीट के आसपास है. जबकि इस प्रजाति की मछली की लंबाई 10 से 12 फीट के बीच होती है. इसकी उम्र करीब 20 साल ही अधिकतर पाई जाती है.

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किसी भी वातावरण में करती है सर्वाइव: फिशिंग एक्सपर्ट शारिक अहमद का कहना है कि भोपाल में यह मछली बड़े तालाब में कैसे आई, कहां से आई इस बारे में फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन अंदाजा यह लगाया जा सकता है कि भोपाल में कोलकाता और आंध्र प्रदेश से मछली का बीज आता है. संभवत उसी बीच इस एलीगेटर गार का बीज भोपाल आया हो. इस मछली की प्रकृति होती है कि यह किसी भी वातावरण में सर्वाइव कर जाती है. यही वजह है कि अमेरिका में पाई जाने वाली ये मछली भोपाल के बड़े तालाब में भी सर्वाइव कर गई.

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