नई दिल्ली : सरकार ने किसान संगठनों से तीन नये कृषि कानूनों से संबंधित मसलों को स्पष्ट तौर पर चिन्हित करने और उसके बारे में बुधवार यानी की आज बताने को कहा है. इन मसलों पर बृहस्पतिवार को होने वाली अगले दौर की बातचीत में विचार किया जाएगा.
सरकार की ओर से कानूनों को निरस्त करने की मांग को खारिज कर दिया. सरकार ने किसानों संगठनों को नए कानूनों को लेकर उनकी आपत्तियों को उजागर करने तथा बृहस्पतिवार को होने वाले वार्ता के अगले दौर से पहले बुधवार को सौंपने को कहा है.
बेनतीजा रही बातचीत
बता दें कि तीन केन्द्रीय मंत्रियों के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की मंगलवार को हुई बातचीत बेनतीजा रही. देश में नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के मुद्दों पर विचार विमर्श के लिए एक समिति गठित करने की सरकार की पेशकश को किसान संगठनों ने ठुकरा दिया। हालांकि, दोनों पक्ष बृहस्पतिवार को फिर से बैठक को लेकर सहमत हुये हैं.
करीब तीन घंटे चली बैठक के बेनतीजा रहने के बाद मंगलवार को जारी आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिहं तोमर, रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश ने मंगलवार को 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की.
कृषि सुधार कानूनों के लाभ के बारे में जानकारी
यहां विज्ञान भवन में हुई बैठक में मंत्रियों ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को कृषि सुधार कानूनों के लाभ के बारे में जानकारी दी. इन कानूनों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सौहार्दपूर्ण माहौल में विस्तार से चर्चा की गयी.
तोमर ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार किसानों के कल्याण के लिये पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और कृषि विकास हमेशा से शीर्ष प्राथमिकता रही है.
बयान के अनुसार, बातचीत के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों के मुद्दों को सामने रखने और विचार के लिये समिति गठित करने का प्रस्ताव किया ताकि आपसी सहमति से उसका समधान किया जा सके. किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि सभी प्रतिनिधि मामले के सौहार्दपूर्ण तरीके से समाधान के लिये सरकार के साथ बातचीत में शामिल होंगे.
बातचीत के दौरान सरकार ने किसान प्रतिनिधियों को कृषि सुधार कानूनों से संबंधित मसलों को स्पष्ट तौर पर चिन्हित करने और उसे विचार के लिये दो दिसंबर को रखने को कहा. उसके बाद इन मसलों पर तीन दिसंबर को चौथे दौर की बातचीत में विचार-विमर्श किया जाएगा.
बैठक में आश्वासन
बैठक में यह आश्वासन दिया गया कि केंद्र हमेशा किसानों के हितों के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध है और कृषकों के कल्याण के लिये बातचीत को सदा तैयार है. बैठक के बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने एक बयान में कहा कि बातचीत बेनतीजा रही और सरकार का प्रस्ताव कृषक संगठनों को मंजूर नहीं है.
संगठन के अनुसार जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती, वे अपना विरोध प्रदर्शन और तेज करेंगे. विज्ञान भवन में बैठक समाप्त होने के तुरंत बाद कृषि मंत्रालय में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रतिनिधियों के साथ अलग से बातचीत शुरू हुई. सरकार ने कहा कि बीकेयू सदस्यों के साथ बातचीत अच्छे माहौल में हुई और किसानों के सुझावों को ध्यान से सुना गया.
वहीं, भारतीय किसान यूनियन (भानू) के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में अपनी मांगों को लेकर नोएडा के सेक्टर 14 A स्थित चिल्ला बॉर्डर पर किसान अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए है. बता दें कि इससे पहले किसानों और पुलिस अधिकारियों के बीच धरना समाप्त करने को लेकर कई दौर की वार्ता चली, लेकिन सभी वार्ता हर बार विफल रही है.
वहीं किसानों से प्रशासन सड़क के एक किनारे बैठने की गुजारिश करने में लगा हुआ है. किसान यूनियन के नेताओं ने कहा कि जब तक हमारी मांगे मानी नहीं जाएंगे, तब तक हम यहां धरने पर बैठे रहेंगे. बता दें कि किसान अपने साथ राशन भी काफी मात्रा में लाए हैं और बॉर्डर पर ही भोजन बनाने का काम शुरू कर दिया है. साथ ही सड़क किनारे बैठकर भोजन भी कर रहे हैं.
'अंतिम सांस तक धरने पर बैठे रहेंगे'
भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने कहा कि हम धरने पर अंतिम समय तक बैठे रहेंगे. दिल्ली नोएडा बॉर्डर बंद किए जाने से आम जनता को हो रही परेशानी के संबंध में उन्होंने कहा कि किसान 70 साल से परेशान चल रहा हैं. आम जनता अगर 4 दिन परेशान हो गई तो, कोई बड़ी बात नहीं है. हम अंतिम सांस तक धरने पर बैठे रहेंगे और अपनी मांगे प्रशासन के सामने रखते रहेंगे. सरकार जब तक हमारी मांगे नहीं मानेगी, हम धरने पर अनिश्चितकालीन तक बैठे रहेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जो बिल पास किया गया है. उसे वापस करना पड़ेगा, तभी हम यहां से हटेंगे.