लखनऊ: जीएसटी में नए प्रावधान के अंतर्गत अब सोने चांदी सहित कीमती रत्नों की खरीद बिक्री पर ई वे बिल जारी किए जाएंगे. यह सब अब जीएसटी के दायरे में लाए गए हैं. दो लाख रुपए या उससे ज्यादा की कीमत के सोने चांदी व अन्य क़ीमती रत्न आदि की खरीद फरोख्त पर ई वे बिल बनाना ही होगा. इसके लिए जीएसटी के दायरे में इन्हें लेते हुए ई इनवॉइस भी जारी करने की सुविधा दी गई है. जीएसटी में अब अब सभी राज्यों के टैक्स कमिश्नर को यह अधिकार दे दिए गए हैं कि उनके द्वारा आदेश जारी करते ही सोने चांदी व कीमती रत्नों की खरीद पर ई वे बिल जारी किया जाएगा.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने इसको लेकर बाकायदा अब अधिसूचना जारी कर दी है. इस नए प्रावधान से सरकार की मंशा है कि सोने चांदी की तस्करी पर शिकंजा कसा जा सके. पूर्व में जीएसटी काउंसिल की हुई बैठकों में कीमती धातुओं के ट्रांसपोर्टेशन को लेकर ई वे बिल लागू करने का प्रस्ताव कई राज्यों की तरफ से दिया गया था. इसके बाद इसे जीएसटी काउंसिल की तरफ से मंजूरी प्रदान कर दी गई है. जारी की गई अधिसूचना के अनुसार पंजीकृत ज्वैलरी व्यापारियों को प्रदेश के अंदर दो लाख रुपये से अधिक की ज्वैलरी की बिक्री, स्टॉक ट्रांसफर या रिपेयरिंग आदि के लिए ई-वे बिल डाउनलोड करने होंगे.
बिना रजिस्ट्रेशन वाले व्यापारियों पर भी लागू होगा
गैर पंजीकरण वाले व्यपारियो पर भी ये बिल लागू होगा. इसके अंतर्गत कुछ बातें गोपनीय रखने की बात कही गई है जैसे ई-वे बिल का फॉर्म दो हिस्सों में होता है.दोनों को भरने के बाद ही यह जनरेट किया जाएगा. पहले पार्ट-ए में माल की जानकारी, वजन व कीमत आदि होती है जबकि दूसरे पार्ट-बी में वाहन संख्या, पहचान व दूरी आदि का विवरण दिया जाता है. ज्वैलरी कीमती रत्न आदि की सुरक्षा को देखते हुए ई बिल का केवल पार्ट-ए ही भरना होगा. पार्ट- बी को इससे मुक्त कर दिया गया है जिससे सुरक्षा की दृष्टि से कोई खतरा न उत्पन्न होने पाए. हालांकि कुछ व्यापारियों को इससे सुरक्षा को लेकर संशय बना हुआ है. लखनऊ चौक सराफा एसोसिएशन के महामंत्री विनोद महेश्वरी का कहना है कि यूपी में ई-वे बिल लागू करने की व्यवस्था नहीं होना चाहिए, क्योंकि कीमतों वस्तुओं सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. छोटे व्यपारियों को साइबर कैफे आदि जाकर इसे भरना होता है इससे गोपनीय जानकारी लीक होने से खतरा रहेगा.
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