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एनसीएलटी ने सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही का दिया आदेश - nclt order in supertech

एनसीएलटी ने सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही के दिए आदेश. इसका असर दिल्ली और एनसीआर एरिया में चल रहे प्रोजेक्ट के लगभर 25000 घर खरीदारों पर पड़ सकता है, हालांकि कंपनी के एमडी मोहित अरोड़ा ने पीटीआई को बताया कि प्रभावित आवासीय प्रोजेक्टों के लगभग 90 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है.

सुपरटेक लिमिटेड
सुपरटेक लिमिटेड
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Published : Mar 26, 2022, 9:42 AM IST

नई दिल्ली: 432 करोड़ का बकाया भुगतान न करने के कारण भारत की NCLT ने सुपरटेक समूह की कंपनियों में से एक रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही का आदेश दिया है. शुक्रवार को इससे संबंधित दस्तावेज दिखाए गए. सुपरटेक लिमिटेड को शुक्रवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा दिवालिया घोषित कर दिया. इसका असर दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में चल रही परियोजनाओं के 25,000 घर खरीदारों पर पड़ सकता है.

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए, एनसीएलटी ने कहा: "वित्तीय ऋण के भुगतान में चूक हुई है" और हितेश गोयल को सुपरटेक लिमिटेड के बोर्ड की जगह अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया. पीएसएन प्रसाद और राहुल भटनागर की दो सदस्यीय एनसीएलटी पीठ ने कहा कि वित्तीय लेनदार यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ-साथ कॉरपोरेट कर्जदार सुपरटेक द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों ने पूर्व के इस दावे को सत्यापित किया है कि एक कर्ज था जिसको बिल्डर ने नहीं चुकाया.

"उपरोक्त चर्चा के आलोक में, पूरे मामले पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, पार्टियों की दलीलें सुनने और दावे को प्रमाणित करने के लिए रिकॉर्ड पर रखे गए दस्तावेजों की गहन अध्ययन करने के पश्चात यह ट्रिब्यूनल इस याचिका को स्वीकार करता है और कॉर्पोरेट देनदार पर CIRP तत्काल प्रभाव से शुरू करता है. एनसीएलटी ने कहा CIRP का तात्पर्य कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से है.

साथ ही सुपरटेक को किसी भी संपत्ति के हस्तांतरण, अलगाव या बदलाव से भी रोक दिया गया है. डिफ़ॉल्ट में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा (पश्चिम) में इको विलेज II परियोजना को दिया गया ऋण शामिल है, जिसे ₹ 1,106.45 करोड़ में विकसित किया जा रहा था. 2013 में, सुपरटेक लिमिटेड ने बैंकों के एक संघ से ₹ ​​350 करोड़ की ऋण सुविधा प्राप्त करने के लिए विभिन्न वित्तीय संस्थानों से संपर्क किया था. उनमें से, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, अग्रणी बैंक, का ₹ 150 करोड़ का एक्सपोजर था. 30 दिसंबर, 2013 को बैंकों और सुपरटेक के बीच एक ऋण समझौता किया गया था, लेकिन कंपनी तब से समय पर भुगतान करने में बार-बार विफल रही.

गत वर्ष 31 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक लिमिटेड के जुड़वां 40-मंजिला टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिए था, जो भवन मानदंडों के उल्लंघन के लिए नोएडा में निर्माणाधीन एमराल्ड कोर्ट परियोजना का हिस्सा हैं. सुपरटेक ग्रुप ने कहा कि वह इस आदेश को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के समक्ष चुनौती देगा. हालांकि, इसने यह भी कहा कि एनसीएलटी के आदेश से सुपरटेक समूह की अन्य कंपनियों के संचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. सुपरटेक लिमिटेड के 38,041 ग्राहक हैं और उनमें से 27,111 लोगों को घर मुहैया कराया जा चुका है. सुपरटेक समूह के प्रबंध निदेशक मोहित अरोड़ा के अनुसार, 10,930 घरों की डिलीवरी होनी बाकी है और उनमें से 8,000 से अधिक घरों के लिए 70 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य पूरा हो चुका है.

यह भी पढ़ें- सुपरटेक केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश- 14 दिन में 40 मंजिला ट्विन टावर गिराएं

संपर्क करने पर, अरोड़ा ने पीटीआई को बताया, "सुपरटेक लिमिटेड में लगभग 11-12 आवास परियोजनाएं हैं, जिनके खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू की गई है. इनमें से लगभग 90 प्रतिशत परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं." उन्होंने कहा कि सुपरटेक लिमिटेड पर करीब 1,200 करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से करीब 150 करोड़ रुपये का कर्ज भी शामिल है. समूह की तीन-चार अन्य कंपनियां दिल्ली-एनसीआर में कई परियोजनाएं विकसित कर रही हैं, जिसमें लक्जरी परियोजना सुपरनोवा भी शामिल है.

पीटीआई

नई दिल्ली: 432 करोड़ का बकाया भुगतान न करने के कारण भारत की NCLT ने सुपरटेक समूह की कंपनियों में से एक रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया घोषित करने की कार्यवाही का आदेश दिया है. शुक्रवार को इससे संबंधित दस्तावेज दिखाए गए. सुपरटेक लिमिटेड को शुक्रवार को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) द्वारा दिवालिया घोषित कर दिया. इसका असर दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में चल रही परियोजनाओं के 25,000 घर खरीदारों पर पड़ सकता है.

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए, एनसीएलटी ने कहा: "वित्तीय ऋण के भुगतान में चूक हुई है" और हितेश गोयल को सुपरटेक लिमिटेड के बोर्ड की जगह अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया. पीएसएन प्रसाद और राहुल भटनागर की दो सदस्यीय एनसीएलटी पीठ ने कहा कि वित्तीय लेनदार यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ-साथ कॉरपोरेट कर्जदार सुपरटेक द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों ने पूर्व के इस दावे को सत्यापित किया है कि एक कर्ज था जिसको बिल्डर ने नहीं चुकाया.

"उपरोक्त चर्चा के आलोक में, पूरे मामले पर सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, पार्टियों की दलीलें सुनने और दावे को प्रमाणित करने के लिए रिकॉर्ड पर रखे गए दस्तावेजों की गहन अध्ययन करने के पश्चात यह ट्रिब्यूनल इस याचिका को स्वीकार करता है और कॉर्पोरेट देनदार पर CIRP तत्काल प्रभाव से शुरू करता है. एनसीएलटी ने कहा CIRP का तात्पर्य कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया से है.

साथ ही सुपरटेक को किसी भी संपत्ति के हस्तांतरण, अलगाव या बदलाव से भी रोक दिया गया है. डिफ़ॉल्ट में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा (पश्चिम) में इको विलेज II परियोजना को दिया गया ऋण शामिल है, जिसे ₹ 1,106.45 करोड़ में विकसित किया जा रहा था. 2013 में, सुपरटेक लिमिटेड ने बैंकों के एक संघ से ₹ ​​350 करोड़ की ऋण सुविधा प्राप्त करने के लिए विभिन्न वित्तीय संस्थानों से संपर्क किया था. उनमें से, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, अग्रणी बैंक, का ₹ 150 करोड़ का एक्सपोजर था. 30 दिसंबर, 2013 को बैंकों और सुपरटेक के बीच एक ऋण समझौता किया गया था, लेकिन कंपनी तब से समय पर भुगतान करने में बार-बार विफल रही.

गत वर्ष 31 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक लिमिटेड के जुड़वां 40-मंजिला टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिए था, जो भवन मानदंडों के उल्लंघन के लिए नोएडा में निर्माणाधीन एमराल्ड कोर्ट परियोजना का हिस्सा हैं. सुपरटेक ग्रुप ने कहा कि वह इस आदेश को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के समक्ष चुनौती देगा. हालांकि, इसने यह भी कहा कि एनसीएलटी के आदेश से सुपरटेक समूह की अन्य कंपनियों के संचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. सुपरटेक लिमिटेड के 38,041 ग्राहक हैं और उनमें से 27,111 लोगों को घर मुहैया कराया जा चुका है. सुपरटेक समूह के प्रबंध निदेशक मोहित अरोड़ा के अनुसार, 10,930 घरों की डिलीवरी होनी बाकी है और उनमें से 8,000 से अधिक घरों के लिए 70 प्रतिशत से अधिक निर्माण कार्य पूरा हो चुका है.

यह भी पढ़ें- सुपरटेक केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश- 14 दिन में 40 मंजिला ट्विन टावर गिराएं

संपर्क करने पर, अरोड़ा ने पीटीआई को बताया, "सुपरटेक लिमिटेड में लगभग 11-12 आवास परियोजनाएं हैं, जिनके खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू की गई है. इनमें से लगभग 90 प्रतिशत परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं." उन्होंने कहा कि सुपरटेक लिमिटेड पर करीब 1,200 करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से करीब 150 करोड़ रुपये का कर्ज भी शामिल है. समूह की तीन-चार अन्य कंपनियां दिल्ली-एनसीआर में कई परियोजनाएं विकसित कर रही हैं, जिसमें लक्जरी परियोजना सुपरनोवा भी शामिल है.

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